वंदे भारत मेट्रो की पहली झलक आई सामने, देखे अपने शहर का रूट और किराया

वंदे भारत मेट्रो की पहली झलक आई सामने, देखे अपने शहर का रूट और किराया
Vande Bharat Metro Photo

देश मे पहली बार वंदे भारत मेट्रो चलने जा रही है अब तक देश मे तीन तरह की वंदे भारत का योजना बनाया गया है जिसमे ऐसी चेयर कार ये ट्रेन 500 से 600 किलोमीटर के लिए बनाया गया है दूसरा स्लीपर वंदे भारत जो की जल्द ही पटरियों पे आने वाली है ये ट्रेन लंबी दूरी ट्रेनों के लिए बनाई गई है वही अब वंदे भारत मेट्रो जो की 200 से 300 किलोमीटर के दायरे मे चलेगी इसका संचालन जून के बाद कभी भी हो सकता है वंदे भारत मेट्रो की पहली झलक सामने आगई है 

मुंबई लोकल की जगह ले सकती है वंदे भारत मेट्रो 

मुंबई वालों के लिए खुशखबरी वंदे भारत मेट्रो हो सकती है क्यू की ये ट्रेन छोटे दायरे के लिये बनाई गई है लोगों को इसमे ऐसी की सुविधा मिलेगी बल्कि मुंबई लोकल मे दरवाजे ऑटोमेटिक नहीं बंद होते जिससे दुर्घटना होती रहती है लेकिन वंदे भारत मेट्रो मे औटीमेटिक दरवाजे होंगे जिससे दुर्घटनाए नहीं होंगी 

वंदे भारत मेट्रो का कितना हो सकता है किराया 

वंदे भारत मेट्रो सभी के लिए अच्छी होगी और किसी के भी जेब पे असर नहीं करेगी ऐसी तैयारी रेलवे कर रही है अभी तक किराये को लेके कोई भी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है सुविधा को देखते हुए और ट्रेनों के किराये और वंदे भारत मेट्रो के किराये मे उचाई हो सकती है 

इन रूटों पे चलेगी वंदे भारत मेट्रो

हावड़ा से लेके भागलपुर के लिए वंदे भारत मेट्रो चलेगी जिसमे 7 स्टेशन होंगे हफ्ते मे 6 दिन चलेगी इसी के साथ ही लखनऊ से कानपुर, दिल्ली से रेवाड़ी के लिए भी वंदे भारत मेट्रो चल सकती है। वंदे भारत मेट्रो ट्रेन से ऐसे लोगों को फायदा होगा जो शुबह बगल के शहरो मे ऑफिस जाते है या फिर वो स्टूडेंट जो अपने स्कूल या कॉलेज जाते है वंदे मेट्रो से जल्दी पहुचेंगे लोग। 

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वागार्थ सांकृत्यायन
संपादक, भारतीय बस्ती

वागार्थ सांकृत्यायन एक प्रतिबद्ध और जमीनी सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भारतीय बस्ती के संपादक के रूप में वे खबरों को सिर्फ़ घटनाओं की सूचना तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके सामाजिक और मानवीय पक्ष को भी उजागर करते हैं।

उन्होंने भारतीय बस्ती को एक मिशन के रूप में विकसित किया है—जिसका उद्देश्य है गांव, कस्बे और छोटे शहरों की अनसुनी आवाज़ों को मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंचाना। उत्तर प्रदेश की राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी विशेष पकड़ है, जो खबरों को गहराई और विश्वसनीयता प्रदान करती है