बस्ती: ऐसा शहर जहां पार्किंग की स्थायी कोई सुविधा नहीं लेकिन धड़ल्ले से कटता है चालान
बस्ती. वाहन चालक पेट्रोल, डीजल की बढ़ी कीमतों के साथ चालान से भी जूझ रहे है. देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है. इसकी मार से हलकान बाइक, कार, ट्रक चालक ई-चालान से परेशान है.
वाहन चालकों का दर्द है की यातायात पुलिस चलती गाड़ी का फोटो पीछे से खींचकर चालान भेज देती है. एक चालान का हजारों रूपए तक पड़ जा रहा है. ऐसे में अब वाहन रखना और चलाना दोनों मुसीबत बनती जा रही है. एक कार मालिक ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया की चलती गाड़ी का पीछे से फोटो खींचा गया जब मोबाइल पर चालान कटने की सूचना मिली तो वाहन मालिक हक्का-बक्का रह गये. दस हजार रूपए के चालान भरने को लेकर अब वो अदालत के चक्कर काट रहे है.
ऐसे ही एक मामला रौता चैराहे के पास का है. जब एक माननीय के करीबी किसी मामले की पैरवी के लिए चैकी में गये थे तभी उनके बाइक का फोटो खींच लिया गया. अपने दर्द को छुपाते हुए उन्होंने शालीनता से एक हजार का चालान जमा किया. इस तरह के सैकड़ों मामलों से जनता को रोज जूझना पड़ रहा है.
शहर में पार्किंग के लिए कोई जगह निश्चित नहीं है. यातायात पुलिस द्वारा गांधीनगर की सड़क के बीचोबीच रबर की पाइपें लगा कर वहां वाहन खड़ा करने के लिए अवरूद्ध कर दिया गया है. जिससे वाहन चालकों को सड़क किनारे अपने वाहनों को खड़ा करना पड़ता है. ऐसे में खड़े वाहनों की तस्वीरें भी चालान के दायरे में आकर सरकारी खजाने को भरने में अपना योगदान कर रही है.
यही हाल रोडवेज और अस्पताल चैराहे का है. जहां मुस्तैदी से चालान काटने को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी उन बाइक सवारों को होती है जो दूसरे की बाइक मांग कर ले जाते हैं और चालान कटवा कर वापस देते है. ऐसे में वाहन मालिकों के दर्द को अनसुना कर प्रशासन सरकारी खजाने को भरने में लगी है. वहीं वाहन मालिक पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के साथ चालान कटने की दोहरी मार से कराह रहा है.