Russia Wagner Group: रूस में व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ बगावत की क्या है वजह? जानकर हो जाएंगे हैरान
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संजीव ठाकुर
रूस यूक्रेन युद्ध में रूस की तरफ से लड़ते हुए भाड़े के वैगनर ग्रुप के सैनिकों के मुखिया येवेगनी प्रिगोझिन ने अपने 25 हजार सैनिकों के साथ बगावत का बिगुल फूंक दिया था. यह विदित है कि प्रिगोझिन पूर्व में 12 साल की जेल की सजा काट चुके हैं और बाद में सेंटपीटरबर्ग में रेस्टोरेंट की एक श्रृंखला खोली थी ,जहां उस समय उसकी तत्कालीन डिप्टी मेयर पुतिन से मुलाकात हुई और उनकी काफी नजदीकियां को विस्तार मिला था उसके उपरांत पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने तो उसको रूस के हेड क्वार्टर क्रेमलिन का कैटरर बना दिया गया तबसे प्रिगोझिन सैफ के नाम से प्रशिद्ध हो गए फल स्वरूप वेगनर समूह के भाड़े के सैनिकों का कद काफी बढ़ा हुआ था. रूस यूक्रेन युद्ध के समय वेगनर समूह के भाड़े सैनिकों की मदद पुतिन ने लेकर यूक्रेन के खिलाफ उन्हें मैदान में उतार दिया था.प्रिगोझिन की सेना ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के अलावा कई देशों की लड़ाइयां लड़ चुके हैं. अब वर्तमान में वैगनर समूह के भाड़े के सैनिकों ने इनके नेतृत्व में सीधे पुतिन को चुनौती दी है.
रूस यूक्रेन युद्ध में रूस की तरफ से लड़ते हुए भाड़े के वैगनर ग्रुप के सैनिकों के मुखिया येवेगनी प्रिगोझिन ने अपने 25 हजार सैनिकों के साथ बगावत का बिगुल फूंक दिया था. यह विदित है कि प्रिगोझिन पूर्व में 12 साल की जेल की सजा काट चुके हैं और बाद में सेंटपीटरबर्ग में रेस्टोरेंट की एक श्रृंखला खोली थी ,जहां उस समय उसकी तत्कालीन डिप्टी मेयर पुतिन से मुलाकात हुई और उनकी काफी नजदीकियां को विस्तार मिला था उसके उपरांत पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने तो उसको रूस के हेड क्वार्टर क्रेमलिन का कैटरर बना दिया गया तबसे प्रिगोझिन सैफ के नाम से प्रशिद्ध हो गए फल स्वरूप वेगनर समूह के भाड़े के सैनिकों का कद काफी बढ़ा हुआ था. रूस यूक्रेन युद्ध के समय वेगनर समूह के भाड़े सैनिकों की मदद पुतिन ने लेकर यूक्रेन के खिलाफ उन्हें मैदान में उतार दिया था.प्रिगोझिन की सेना ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के अलावा कई देशों की लड़ाइयां लड़ चुके हैं. अब वर्तमान में वैगनर समूह के भाड़े के सैनिकों ने इनके नेतृत्व में सीधे पुतिन को चुनौती दी है.
हालांकि वैगनआर ग्रुप के पास केवल 25 से 30, हजार सैनिक ही है जिसके दम पर ही पुतिन की सेना को वैगनर ग्रुप चुनौती दे डाली. पुतिन के कठोर रुख के कारण वैगनर ग्रुप में बिना किसी खून खराबे के बेलारूस के राष्ट्रपति के कहने पर समझौता भी कर लिया है और बेलारूस में आत्मसमर्पण भी कर दिया है पर यह तो शुरुआत है आगे आगे देखिए होता है क्या क्योंकि वैगनर ग्रुप के प्रमुख के अनुसार रूस के रक्षा मंत्री सर शरगई सोइकि और सेना के जनरल स्टाफ प्रमुख वालेरी गेरासिमोव के मंसूबों के कारण यूक्रेन युद्ध हुआ है जो रूस के लिए विनाशकारी साबित हो रहा है.प्रिगोझिन ने अपनी इस बगावत को न्याय के अभियान बताया है और कहां कि रूसी सेना यूक्रेन युद्ध में वैगनर ग्रुप को हथियार की मदद नहीं कर रही थी और रूस की एक टुकड़ी ने उनके एक कैंप में हमला भी किया था. समाचार न्यूज़ एजेंसी अल जजीरा के अनुसार वैगनआर ग्रुप के भाड़े के सैनिकों ने पुतिन की सत्ता को चुनौती दे डाली थी. और विद्रोही मास्को से 450 किलोमीटर दूरी तक पहुंच चुके थे. वर्तमान में इस समूह का दक्षिण रूस के शहर के सेना के मुख्यालय में कब्जा कर लिया है.
प्रिगोझिन ने आशा की थी की यूक्रेन युद्ध में रूस को सफलता नहीं मिलने से रूस में बड़ी संख्या में नागरिकों में असंतोष पनपने के कारण विद्रोही सेना को उनका समर्थन मिलेगा पर ऐसा हुआ नहीं कुछ. बेलारूस के राष्ट्रपति लुकनशेंको की मध्यस्थता में वैगनर विद्रोही ग्रुप में समझौता कर हथियार डाल दिए थे पर प्रिगोझिन की राह बेलारूस में आसान नहीं होगी बेलारूस के राष्ट्रपति 1994 से सत्ता में है और यूरोप के तानाशाह के रूप में जाने जाते हैं. वहां वैगनर ग्रुप के प्रमुख को गिरफ्तार भी किया जा सकता है. आप सब को यह बता दूं की वैगनर ग्रुप में अचानक विद्रोह नहीं किया है यह यूरोपीय देशों और अमेरिका की सोची समझी साजिश हो सकती है .इसके पूर्व वैगनर ग्रुप ने सूडान, लिबिया, माली आदि युद्ध में इन्हीं लड़ाकों ने लड़ाई लड़ी थी भाड़े के सैनिक इन देशों में सोना तथा अन्य खनन की सुरक्षा के लिए लगाया गया था यहां पर यह भाड़े के सैनिक अफ्रीकी तानाशाओं के लिए मदद करते थे और इन्हीं अफ्रीकी तानाशाह की मदद से वह अमेरिका के संपर्क में आए थे .इसमें इस तरह अमेरिकी साजिश होने का कुछ प्रमाण की संभावना होने लगी हैं.
इसके पूर्व पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में बड़ी संख्या में भाड़े के सैनिकों को मैदान में उतारा था और भाड़े के सैनिक ही रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे थे. रूस में वैसे भी यूक्रेन युद्ध की असफलता से वहां के आम नागरिक बड़ी संख्या में नाखुश हैं और जबरिया भर्ती किए गए सैनिकों के मामले में उनके अभिभावक पुतिन से काफी नाराज थे पर रूस का आंतरिक असंतोष वैगनर ग्रुप के भाड़े के सैनिकों के यह कोई मददगार साबित नहीं हुआ है.प्रिगोझिन ने आश्चर्यजनक रूप से यह बयान देकर सबको चौका दिया कि बहुत जल्द रूस को पुतिन के जगह नया मुखिया मिलेगा जाहिर है किप्रिगोझिन को अमेरिका तथा नाटो देश के बड़े नेताओं का समर्थन प्राप्त है और मास्को की भी प्रभावशाली लोगों का समर्थन उसके साथ है. रूस यूक्रेन युद्ध पुतिन के अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है पुतिन निसंदेह अपने अस्तित्व और देश को हर हाल में सुरक्षित रखना चाहते हैं पर यूस यूक्रेन युद्ध और यूक्रेन की तरफ से नाटो तथा अमेरिका के खुले समर्थन के बाद रूस सामरिक तथा आर्थिक रूप से काफी कमजोर हुआ है और पुतिन भी अपने ही सैनिक कमांडरों से स सशंकित भी हैं. इसमें कोई संदेह नहीं की प्रिगोझिन ने अचानक विद्रोह का ऐलान नहीं किया उसके पीछे संभवतः कई बड़ी सामरिक शक्तियां और थिंक टैंक भी शामिल होंगे अब यह तो भविष्य ही बताएगा बेलारूस के तानाशाह उन्हें रूस को स्थानांतरित करके सजा दिलवा देते हैं या खुद सजा देते हैं.
कुल मिलाकर रूस के लिए यह विद्रोह की एक शुरुआत की है क्योंकि रूस में भी आंतरिक असंतोष काफी हद तक पनप चुका है और वह कभी भी ज्वालामुखी बनकर फूट सकता है. यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पूर्व में पुतिन के साथ काफी नजदीक रहकर प्रिगोझिन पुतिन के संबंध में सारी जानकारी जान चुके हैं. इसी तरह उनकी ताकत तथा कमजोरियों को भी जानते हैं और निश्चित तौर पर उन्हीं जानकारियों के चलते प्रिगोझिन ने पुतिन की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए इतना बड़ा कदम उठाया है. इस आकस्मिक विद्रोह पर सारी दुनिया के रूस के शत्रु देशों की नजदीकी नजरें टिकी हुई है और यह सर्व विदित है कि रूस अमेरिका तथा चीन के मध्य त्रिकोणीय संघर्ष वर्तमान में चल रहा है. चीन अमेरिका की दुश्मनी जगजाहिर है और अमेरिका द्वारा रूस के विघटन के बाद पुतिन विघटन का बदला लेने की नियत से रूस यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी भी दे चुका है.
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