उत्तर प्रदेश के इस रूट की रेल लाइन के काम में तेजी
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रेल मार्ग पर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज
रेल मार्ग का विस्तार और निर्माण भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है. नई रेल लाइनों का निर्माण, रेलवे स्टेशनों की क्षमता बढ़ाना और पुराने मार्गों की उन्नति के लिए भूमि अधिग्रहण एक आवश्यक कदम है. लेकिन जमीन अधिग्रहण एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है, जो कई बार परियोजनाओं में देरी का कारण बनती है. आनंदनगर-महराजगंज-घुघली रेल मार्ग के दायरे में आने वाली जमीनों को अधिग्रहण करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है.
जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में सुधार
सरकार ने प्रोत्साहन और राहत पैकेज जैसी योजनाओं की शुरुआत की है, जिसके तहत भूमि मालिकों को उचित मुआवजा पुनर्वास और नौकरी की पेशकश की जाती है. इसके अलावा यदि भूमि अधिग्रहण से किसी स्थानीय समुदाय को नुकसान पहुंचता है तो उन्हें समुचित सहायता और सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि घुघली से लेकर महुआ तक 24.8 किमी प्रथम चरण में रेल लाइन के लिए अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में काम शुरू किया जाएगा. इसके लिए भूमि अध्याप्ति विभाग की ओर से जिन प्रभावित किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है. उनकी जमीनों को रेलवे विभाग को करीब एक सप्ताह के भीतर हस्तांतरित किया जाएगा. इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है. पारंपरिक तरीके से भूमि अधिग्रहण में समय की खपत और कानूनी विवादों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण रेल परियोजनाओं में देरी हो जाती है.
सरकार द्वारा प्रक्रिया को डिजिटल और त्वरित बनाने से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया कम समय में पूरी हो सकेगी जिससे परियोजनाओं में विलंब कम होगा और रेलवे नेटवर्क के विस्तार में तेजी आएगी. जानकारी के अनुसार, जिले में नई लाइन परियोजना के तहत आनंदनगर-महराजगंज-घुघली तक 52.70 किमी लंबी रेल लाइन बिछेगी. भूमि अध्याप्ति विभाग की ओर से सदर तहसील क्षेत्र के 29 गांवों में रेल लाइन के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया की जा रही है. इसमें अभी तक 3897 किसानों की भूमि और 698 गाटों को अधिग्रहित किया जा चुका है. इसमें 98.9394 क्षेत्रफल प्रभावित हैं. प्रभावित भूमि के बदले किसानों को दो अरब रुपये वितरण किया जा चुका है.