गोरखपुर से लखनऊ यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खबर, टोल टैक्स के लिए चुकाना होगा अब इतने रुपए
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NHAI ने बढ़ाया टोल शुल्क
भारत में सड़क नेटवर्क को लगातार सुधारने और बढ़ाने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है. नई सड़कें फ्लाईओवर पुल और अन्य संरचनाएं बनाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है. टोल शुल्क में वृद्धि के जरिए इन परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने का प्रयास कर रहा है. टोल सूत्रों ने बताया कि इसका असर रोजाना लखनऊ, नवाबगंज, बाराबंकी, सुलतानपुर, अयोध्या, रायबरेली होकर उसी रूट पर लंबी दूरी को तय करने वाले 10 लाख से ज्यादा छोटे व बड़े वाहनों पर पड़ेगा।
प्राधिकरण कानपुर हाईवे पर नवाबगंज, अयोध्या हाईवे पर अहमदपुर, रौनाही, बारा और रायबरेली हाईवे पर दखिना शेखपुर पर टोल शुल्क की वसूली करता है. पहले से मौजूद सड़कों की देखभाल और मरम्मत करने में भी काफी खर्च आता है. बेहतर सड़क सुरक्षा और यात्री अनुभव सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से इन सड़कों का रख.रखाव किया जाता है. जिसके लिए फंड की आवश्यकता होती है. निर्माण सामग्री श्रम लागत और अन्य संबंधित खर्चों में समय के साथ वृद्धि हो रही है. इन बढ़ती लागतों को कवर करने के लिए टोल शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.
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हाईवे पर सफर हुआ महंगा
सामान्य यात्रियों को टोल शुल्क में वृद्धि के कारण अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। खासतौर पर उन यात्रियों को जो नियमित रूप से लम्बी दूरी की यात्रा करते हैं. जैसे कि शहरों के बीच यात्रा करने वाले लोग उन्हें अपनी यात्रा की लागत में वृद्धि का सामना करना होगा. यह वृद्धि उन लोगों के लिए और भी परेशानी का कारण बन सकती है जो सीमित बजट पर यात्रा करते हैं. प्राधिकरण ने शुक्रवार को इस संबंध में सर्कुलर जारी कर इसकी जानकारी दी. परियोजना निदेशक सौरभ चौरसिया ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले दिन से वाहनों को ज्यादा टोल चुकाना पड़ेगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने प्रति ट्रिप पांच से दस रुपये तक टोल शुल्क बढ़ा दिया है।
इससे हाईवे का सफर महंगा हो जाएगा। टोल शुल्क की नई दरें 31 मार्च की मध्य रात्रि (एक अप्रैल) से लागू होंगी. टोल शुल्क में बढ़ोतरी का व्यापार और परिवहन क्षेत्र पर गहरा असर पड़ेगा. विशेष रूप से मालवाहन ;ट्रक और अन्य भारी वाहन करने वाले व्यापारियों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा. जो पहले से ही ईंधन और रख.रखाव की लागत से जूझ रहे हैं. इस अतिरिक्त शुल्क का बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर डाला जा सकता है. जिससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं.