मथुरा में बड़ी कार्रवाई: 90 बांग्लादेशी अवैध प्रवासी पकड़े गए, ईंट भट्टों पर छापेमारी के दौरान पुलिस का एक्शन

पकड़े गए लोगों में 35 पुरुष, 27 महिलाएं और 28 बच्चे शामिल हैं। इन सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, जिसमें उन्होंने कबूल किया है कि वे बांग्लादेश से हैं और हाल ही में, लगभग तीन से चार महीने पहले ही मथुरा आए थे। इससे पहले वे उत्तर प्रदेश के किसी और जिले या आसपास के राज्य में रह रहे थे।
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पुलिस के अनुसार, ये सभी लोग लंबे समय से अपनी असली पहचान छुपाकर ईंट भट्टों पर मजदूरी कर रहे थे। जब खाजपुर गांव के भट्टों पर चेकिंग की गई, तो वहां पर लगभग 90 लोगों के बारे में जानकारी मिली, जो संदेहास्पद रूप से रह रहे थे। विस्तृत पूछताछ में इनके बांग्लादेशी मूल के होने की पुष्टि हुई।
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इस पूरे अभियान में अन्य जांच एजेंसियों को भी शामिल किया गया है। केंद्रीय एजेंसियों को इस कार्रवाई की सूचना दे दी गई है, और उनकी टीमें भी अब इन लोगों से पूछताछ में जुट गई हैं। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है और उन्हें जेल भेजने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार की अवैध प्रवासियों के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है। योगी सरकार लगातार अवैध रूप से भारत में रह रहे लोगों के खिलाफ सख्त रुख अपना रही है। चाहे वह इंडो-नेपाल बॉर्डर पर हो, अवैध मजारों या मसीदों पर हो, या फिर अब मथुरा जैसे इलाकों में अवैध विदेशी नागरिकों पर कार्रवाई – सरकार किसी भी स्तर पर ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।
हाल ही में सरकार की तरफ से निर्देश जारी किए गए थे कि पूरे प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसी क्रम में मथुरा में एसएसपी के नेतृत्व में यह विशेष अभियान चलाया गया। जांच में सामने आया कि ये सभी लोग भट्टों पर मजदूरी करते थे और किसी भी सरकारी दस्तावेज़ या वैध पहचान के बिना भारत में रह रहे थे।
इससे जुड़ी कई अहम बातें सामने आई हैं:
ये सभी बांग्लादेशी नागरिक बिना वैध दस्तावेजों के भारत में दाखिल हुए थे।
उन्होंने स्थानीय लोगों को भी अपनी असली पहचान नहीं बताई और सामान्य मजदूरों की तरह जीवन यापन कर रहे थे।
इनकी पहचान छुपाने के लिए नकली नामों और झूठी जानकारी का इस्तेमाल किया गया।
इनके पास से कोई भी वैध पासपोर्ट, वीजा या पहचान पत्र बरामद नहीं हुआ।
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इन लोगों को यहां तक पहुंचाने में किन लोगों की भूमिका थी और क्या इसमें किसी स्थानीय नेटवर्क या दलालों की मिलीभगत रही है। संभावना जताई जा रही है कि यह एक बड़ा रैकेट हो सकता है, जो अवैध रूप से बांग्लादेशियों को भारत में प्रवेश दिलाता है और फिर ईंट भट्टों जैसी जगहों पर मजदूरी के लिए भेज देता है।
अब इन सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाएगा, और साथ ही केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से इनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि कर आगे की विधिक प्रक्रिया चलाई जाएगी।
मथुरा में हुई यह कार्रवाई योगी सरकार के उस संकल्प को दर्शाती है जिसमें राज्य को अवैध गतिविधियों और अवैध प्रवासियों से मुक्त करने की दिशा में कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। 90 बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी न सिर्फ प्रशासनिक मुस्तैदी का उदाहरण है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि अब प्रदेश में अवैध रूप से रहने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।