यूपी में इन जिलों के रास्ते इस राज्य को जोड़ेगी 135 किलोमीटर लंबी ईस्टर्न आर्बिटल रेल कारीडोर
बुधवार को जीडीए सभागार में ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट (ईओआरसी) की एक महत्वपूर्ण प्रस्तुति आयोजित की गई। इस प्रोजेक्ट का मार्ग बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल से होकर गुजरेगा। हरियाणा रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने इस कॉरिडोर की फ्रेमवर्क को प्रस्तुत करते हुए प्रोजेक्ट के काम की क्षमता और सफलता के लिए विस्तृत रिपोर्ट पेश की। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से क्षेत्र में परिवहन सुविधाओं में सुधार होगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इसके साथ ही, इस परियोजना के माध्यम से न्यू नोएडा औद्योगिक टाउनशिप, कृषि उत्पादन केंद्र बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के बीच बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित होगी। इस कॉरिडोर के निर्माण से स्थानीय निवासियों को भी लाभ होगा, जिससे उनकी यात्रा में समय की बचत होगी और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रेल कॉरिडोर के निर्माण से नई सुविधाओं का आगमन होने वाला है। इस परियोजना के अंतर्गत, जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे यात्रियों और माल ढुलाई में सुविधा बढ़ेगी। इससे आयात, निर्यात और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में कम लागत पर नए उद्योग स्थापित करने में सहायता मिलेगी। यह परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगी। इसके साथ ही, यह परिवहन प्रणाली को और अधिक प्रभावी और समर्पित बनाने में मदद करेगी, जिससे व्यवसायियों और आम जनता दोनों को लाभ होगा।
अतुल वत्स ने यह भी जानकारी दी कि गूगल अर्थ का उपयोग करते हुए दो वैकल्पिक मार्गों का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस अवसर पर, इन मार्गों की तुलना पर भी विस्तृत चर्चा हुई। चर्चा में यह बताया गया कि इन मार्गों पर यात्रा करने वाली आबादी, मार्ग की स्थिति, रेलवे क्रॉसिंग, और भूमि अधिग्रहण जैसी विभिन्न चुनौतियों पर विचार किया गया है।
बैठक में जीडीए के उपाध्यक्ष ने दोनों मार्गों का गहन अध्ययन करने के लिए जीडीए के सचिव और अन्य अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को इस बात पर जोर देने के लिए कहा कि सभी संभावित समस्याओं का समाधान निकाला जाए ताकि विकास कार्य सुचारु रूप से चल सके। इस चर्चा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भविष्य में कोई भी बाधा न आए और परियोजनाएं समय पर पूरी हों।