यूपी में एक और कॉरिडोर, 193 किलोमीटर का होगा सेक्शन, जुड़ेंगे दो राज्य, कुल 524 KM का है प्रोजेक्ट
देश में बढ़ते सड़कों के जाल और आधुनिक फोरलेन हाईवे और एक्सप्रेस.वे के साथ बन रहे इकोनॉमिक कॉरिडोर से लोगों का सफर आसान हो रहा है। मध्य प्रदेश और यूपी के बडे़ शहरों को जोड़ने में बुंदेलखंड बड़ी भूमिका निभा रहा है।
बुंदेलखंड टू बनारस इकोनॉमिक कॉरिडोर
10 हजार वाहनों की आवाजाही इस रूट से
एनएचएआई के मुताबिक ये मार्ग धार्मिक पर्यटन में अहम भूमिका निभाएगा. ओंकालेश्वर और उज्जैन को वाराणसी से जोड़ने वाला एक बेहरतरीन रूट बन जाएगा। जब इस मार्ग का सर्वे किया गया था. तब प्रतिदिन 10 हजार वाहनों की आवाजाही इस रूट से होती थी, लेकिन फोरलेन बन जाने से वाहनों की संख्या 3 से 4 गुना होने का अनुमान है. इस वजह से यहां 14 ट्रैफिक मेजरमेंट प्वाइंट बनाए जा रहे हैं. जो ट्रैफिक कंट्रोल के साथ रोड की गतिविधियों का विश्लेषण भी करेंगे। इसी कड़ी में जल्द सागर वाराणसी कॉरिडोर परियोजना आकार लेने वाली है. केंद्रीय सडक एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा 524 किमी लंबे सागर-वाराणसी कॉरिडोर की रूपरेखा बनायी गयी है. जिसे सागर-कटनी फोरलेन के जरिए जोड़ा जा रहा है।
सागर एक अहम भूमिका
इस एनएचएआई ने सागर- वाराणसी कॉरीडोर का नाम दिया है. सागर और वाराणसी के जुड़ने से भोपाल, इंदौर के अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लिए बाबा विश्वनाथ के दर्शन आसानी से हो सकेंगे. हालांकि ये परियोजना 524 किमी लंबी है, लेकिन इसे अलग-अलग फेस में तैयार किया गया है. फिलहाल सागर कटनी फोरलेन का काम अंतिम चरण में है। बुंदेलखंड के सागर की बात करें, तो चाहे कानपुर को भोपाल, इंदौर जैसे शहरों से जोड़ने का मामला हो या फिर यूपी की राजधानी लखनऊ से मध्य प्रदेश के बीचो-बीच बसा सागर एक अहम भूमिका निभा रहा है. सागर कानपुर फोर टू सिक्स लेन, भोपाल-लखनऊ इकॉनामिक कॉरिडोर के अलावा सागर वाराणसी कॉरिडोर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बडे़ शहरों के बीच की दूरी और सफर में लगने वाला समय कम करने में सागर शहर अहम भूमिका निभा रहा है।