यूपी का यह बस अड्डा होने जा रहा बंद, इन रूट पर यात्रियों को होगी परेशानी

उत्तर प्रदेश: आप कानपुर निवासी हैं और झकरकटी बस स्टैंड से आपका आना-जाना लगा रहता है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. जून महीने से झकरकटी बस स्टैंड करीब 2 से 3 वर्षों के लिए पूरी तरह बंद होने जा रहा है.
झकरकटी बस अड्डे का होगा कायाकल्प
कानपुर का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त झकरकटी बस स्टैंड अब नए जमाने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक रूप में बदला जाएगा. 3 महीनों के भीतर इसके पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विकसित किया जाएगा. एक बार नया बस अड्डा तैयार हो जाने के बाद, यह उत्तर प्रदेश का सबसे उन्नत और सुविधा-युक्त बस टर्मिनल बन जाएगा.
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अस्थायी स्थानों से चलेंगी बसें
नया बस स्टैंड बनने तक झकरकटी से चलने वाली सभी बसों को अस्थायी स्थानों से संचालित किया जाएगा. रावतपुर, सिंहनेर सिटी, पेपर्स फैक्ट्री के आसपास और कुछ अन्य चयनित जगहों पर टेंपरेरी बस स्टैंड बनाए जाएंगे, जहां से यात्रियों को बसों की सुविधा दी जाएगी.
हर दिन 1000 से अधिक बसों की आवाजाही
झकरकटी अड्डा न सिर्फ कानपुर, बल्कि पूरे प्रदेश के सबसे व्यस्त अड्डों में शामिल है. यहां से प्रतिदिन लगभग 1050 बसें विभिन्न जनपदों और राज्यों के लिए रवाना होती हैं. यही वजह है कि इसे नई तकनीक और बेहतर सुविधाओं से लैस किया जाना जरूरी हो गया था.
बस अड्डे में क्या-क्या नया मिलेगा?
नए झकरकटी बस अड्डे में यात्रियों को वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिलेंगी.
- ग्राउंड फ्लोर पर वेटिंग एरिया, फूड कोर्ट और किड्स ज़ोन
- एक हिस्सा मॉल और मल्टीप्लेक्स के रूप में तैयार होगा
- फाइव स्टार होटल और सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक भी होंगे
- डिजिटल स्क्रीन पर रियल टाइम बस की जानकारी
- कुल 16 प्लेटफॉर्म बनेंगे, जिनसे AC व नॉन-AC बसें चलेंगी
- बस ड्राइवर-कर्मचारियों के लिए अलग बिल्डिंग और 100 लोगों के लिए ऑफिस स्पेस भी तैयार होगा
बस सेवाओं का विस्तार
झकरकटी से चलने वाली बसें उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों तक जाती हैं. प्रयागराज, लखनऊ, चित्रकूट, झांसी, गोंडा, बहराइच, मऊ और आजमगढ़ जैसे शहरों की कनेक्टिविटी इससे होती है.
मेट्रो कनेक्शन और ट्रांसपोर्ट हब
नया बस अड्डा भविष्य में मेट्रो स्टेशन से भी जोड़ा जाएगा. इसके किनारों पर बसों के खड़े होने के लिए अलग-अलग शेड बनाए जाएंगे, लंबी दूरी की बसों और लोकल रूट्स के लिए शेड्स अलग होंगे ताकि भीड़-भाड़ में कमी आए.
143 करोड़ रुपये का मेगा प्रोजेक्ट
इस संपूर्ण परियोजना पर अनुमानित 143 करोड़ रुपये खर्च होंगे. झकरकटी बस अड्डा न केवल एक ट्रांसपोर्ट सेंटर के रूप में बल्कि एक मिनी-कमर्शियल हब के तौर पर भी उभरने जा रहा है.
अगर आप भी झकरकटी से सफर करते हैं, तो अगले कुछ महीनों में आपको अपने सफर की योजना अस्थायी अड्डों के अनुसार बनानी होगी.