यूपी के इस जिले के किसानों के लिए खुशख़बरी, होगा बेहतर लाभ
-(1).png)
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिससे उनकी कृषि गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं. जलभराव की समस्या के समाधान में प्रशासन की विफलता के कारण धरना प्रदर्शन किया.
डीएम के विशेष प्रयासों से, मालामाल होंगे ज़िले के किसान
जलभराव की समस्या को लेकर किसानों ने जल सत्याग्रह किया. जिसमें जलभराव की समस्या का समाधान प्रमुख था. इन समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं पर विचार कर रही है. जलभराव की समस्या से निपटने के लिए उपसतह जल निकासी, वर्टिकल जल निकासी, खारा जल जलीय कृषि और हरी खाद जैसे उपायों पर चर्चा की जा रही है. इसके अलावा जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों में नालों की सफाई और जल निकासी प्रणालियों की मरम्मत की योजना बनाई जा रही है. जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित लोकसभागर में मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन, सीओ सुश्री गरिमा पंत, अधिषासी अभियंता सिचाई विभाग राजीव कुमार, अधिशासी अभियन्ता शशिकांत सिंह सहित सम्बंधित अधिकारियों के साथ जनपद की जल निकासी एवं ड्रेनेज व्यवस्था सुचारू बनाये रखने हेतु सिंचाई एवं चल संसाधान विभाग की कार्ययोजना की समीक्षा बैठक करके आवश्यक निर्देश दिए.
बैठक में कुल 105 अदद ड्रेन/नालों, लम्बाई 562 किमी0 की सफाई कराये जाने का प्रस्ताव जिलाधिकारी, बाराबंकी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया गया है. किसानों को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए ये कदम निश्चित रूप से राहतकारी साबित होंगे. हालांकि इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समय और संसाधनों की आवश्यकता होगी. जलभराव की समस्या पर सरकार द्वारा उठाए गए ये प्रयास न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिरता के लिए अहम हैं. बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भी जरूरी हैं. यदि इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए. तो आने वाले वर्षों में लाखों किसान इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं.
Read Below Advertisement
लोगो को जलभराव की समस्या से भी मिलेगी निजात
जिलाधिकारी ने कहा कि नालों की सफाई हो जाने से जनपद में जल भराव की समस्या से निजात मिलेगी. उन्होंने यह कार्य मानसून के पूर्व पूर्ण कराने के निर्देश दिये. वही जिलाधिकारी द्वारा खरीफ फसली वर्ष में सिंचाई व्यवस्था को सुचारू बनाये जाने हेतु 1433 नहरों के संचालन का रोस्टर भी अनुमोदित किया गया. उन्होंने जानकारी दी कि जनपद में कृषकों द्वारा मेंथा की सिंचाई हेतु नहरों को माह मई में भी संचालन की माँग की जाती रही है, जिसके दृष्टिगत जनपद में नहरों का संचालन 17 मई तक जारी रखने हेतु रोस्टर अनुमोदित किया गया है. जिससे मेंथा सहित अन्य खरीफ की फसलों के किसानों को खेतों की सिचाई के लिये पर्याप्त पानी मिल सकेगा. जिससे डीजल खर्च बचने और उत्पादन बढ़ने से उन्हें आर्थिक लाभ होगा. भारत के कई राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और बंगाल जैसे कृषि.प्रधान क्षेत्रों में जलभराव किसानों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है. फसलें बर्बाद हो जाती हैं. खेतों में लंबे समय तक पानी भरा रहता है. और उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित होती है.
इस गंभीर समस्या को समझते हुए सरकार और स्थानीय प्रशासन ने अब कुछ ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. जलभराव तब होता है जब भारी बारिश या अव्यवस्थित जल निकासी के कारण खेतों में लंबे समय तक पानी जमा हो जाता है. इसका असर सिर्फ फसलों पर ही नहीं बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और बीज अंकुरण पर भी होता है. सबसे ज़्यादा नुकसान धान, गेहूं, दलहन और सब्जियों जैसी फसलों को होता है. हाल के महीनों में प्रयागराज, बिजनौर और पूर्वांचल के कई हिस्सों में किसानों ने जल सत्याग्रह और धरनों के ज़रिए अपनी पीड़ा को आवाज़ दी. भारतीय किसान यूनियन ;भाकियू जैसे संगठनों ने सरकार से जलभराव के स्थायी समाधान की मांग की है. यह किसानों के संघर्ष और समाधान की ओर बढ़ते कदमों का प्रत्यक्ष प्रमाण है.