Zomato में मैनेजमेंट का बड़ा फेरबदल: दीपेंद्र गोयल ने खुद संभाली फूड डिलीवरी की कमान, जानिए पूरी कहानी

भारत की अग्रणी फूड डिलीवरी कंपनी Zomato एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह है – कंपनी के मैनेजमेंट लेवल पर हुआ बड़ा बदलाव। लगातार दूसरे टॉप एग्जीक्यूटिव के इस्तीफे के बाद अब खुद कंपनी के फाउंडर और CEO दीपेंद्र गोयल ने Zomato के फूड डिलीवरी बिजनेस की जिम्मेदारी संभाल ली है।
इस बदलाव ने न केवल इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है, बल्कि इन्वेस्टर्स और मार्केट एनालिस्ट्स की नजर भी अब Zomato के आने वाले कदमों पर टिक गई है।
क्या है पूरा मामला?
Zomato के फूड डिलीवरी डिवीजन के CEO राकेश रंजन ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। यह लगातार दूसरा बड़ा रेजिग्नेशन है, इससे पहले रिंशुल चंद्रा, जो कि Zomato के एक अन्य डिवीजन के CEO थे, वे भी अपनी पोस्ट छोड़ चुके हैं।
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Zomato अब जा रहा है One Zomato मॉडल की ओर
इन रेजिग्नेशन्स और जिम्मेदारियों के बदलाव का मकसद सिर्फ टीम में फेरबदल नहीं है, बल्कि इसके पीछे है एक बड़ा स्ट्रैटजिक विजन—One Zomato Model।
इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य है कि कंपनी के अलग-अलग डिवीज़नों को अलग-अलग CEOs के अधीन रखने के बजाय, एक यूनिफाइड लीडरशिप के तहत काम किया जाए। इससे डिसीजन मेकिंग तेज होगी, दिशा स्पष्ट होगी, और सभी वर्टिकल्स में तालमेल बेहतर रहेगा।
दीपेंद्र गोयल अब देखेंगे Zomato के ये चार मुख्य बिजनेस वर्टिकल्स:
1. फूड डिलीवरी: कंपनी का कोर बिजनेस, जिसे अब गोयल खुद लीड करेंगे।
2. Blinkit: Zomato का क्विक ग्रोसरी डिलीवरी प्लेटफॉर्म, जो पहले से ही कंपनी के लिए तेजी से ग्रो करता वर्टिकल है।
3. Hyperpure: यह Zomato का B2B प्लेटफॉर्म है, जो रेस्टोरेंट्स को सीधे सप्लाई करता है।
4. Going Out Business: इसमें रेस्टोरेंट बुकिंग, Zomato Live Events और डाइन-आउट से जुड़े फीचर्स शामिल हैं।
इसका मतलब अब टेक्नोलॉजी से लेकर ऑन-ग्राउंड ऑपरेशन्स तक, टेक और टेबल दोनों पर गोयल का पूरा कंट्रोल होगा।
इस बदलाव के पीछे क्या है असली वजह?
Zomato की ओर से कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट इस पर नहीं आया है, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह स्टेप कंपनी को सिंपलीफाई करने और रिस्ट्रक्चरिंग की दिशा में उठाया गया है।
कई बार जब कंपनी अलग-अलग दिशाओं में बंट जाती है, तो लीडरशिप कमजोर हो जाती है। यूनिफाइड लीडरशिप से न सिर्फ निर्णय जल्दी लिए जाते हैं, बल्कि संगठन की दिशा और उद्देश्य भी स्पष्ट रहता है।
Zomato को मिलेंगे ये तीन बड़े फायदे:
1. Focused Leadership: जब एक ही व्यक्ति सभी वर्टिकल्स को लीड करता है, तो विजन क्लियर रहता है और एक्सीक्यूशन में तेजी आती है।
2. Fast Decision Making: CEO के सीधे हस्तक्षेप से निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, जो आज के कंपटीटिव मार्केट में जरूरी है।
3. Strong Signal to Investors: यह इन्वेस्टर्स को एक मजबूत संकेत देता है कि कंपनी अपने बिजनेस मॉडल को सिंपल, डायरेक्ट और लीडरशिप-ड्रिवन बना रही है।
क्या Zomato बन पाएगा टेक-ड्रिवन और कस्टमर-सेंट्रिक ब्रांड?
दीपेंद्र गोयल लंबे समय से भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम का एक चर्चित चेहरा रहे हैं। उनकी लीडरशिप में Zomato ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन कंपनी हर बार खुद को बेहतर करने की कोशिश करती रही है।
अब जबकि सभी वर्टिकल्स की कमान खुद गोयल ने संभाल ली है, सवाल उठता है—क्या वह Zomato को एक स्ट्रांग, टेक-ड्रिवन और कस्टमर-सेंट्रिक ब्रांड बना पाएंगे?
इसका जवाब समय देगा, लेकिन जिस तरह से कंपनी ने वन Zomato मॉडल की ओर कदम बढ़ाया है, वह इस दिशा में एक ठोस शुरुआत है।
Zomato में यह बदलाव केवल एक मैनेजमेंट शफल नहीं है, बल्कि कंपनी की सोच और ऑपरेशनल स्ट्रक्चर को फिर से डिजाइन करने की कोशिश है।
दीपेंद्र गोयल अब सीधे कंपनी के चार मेन बिजनेस वर्टिकल्स को लीड करेंगे, जिससे न सिर्फ डिसीजन मेकिंग तेज होगी, बल्कि Zomato एक यूनिफाइड और फोकस्ड ब्रांड के रूप में सामने आएगा।
भारतीय फूडटेक इंडस्ट्री में यह बदलाव बड़ा असर डाल सकता है। अब सबकी नजर Zomato के अगले कदम और गोयल की लीडरशिप में कंपनी के परफॉर्मेंस पर रहेगी।