यूपी में रजिस्ट्री में भू-उपयोग का अब उल्लेख अनिवार्य
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अक्सर ये शिकायतें आती थीं कि जांच के दौरान अफसर ने बिना मानचित्र देखे ही कार्रवाई कर दी, जबकि उनका मानचित्र स्वीकृत है। अब इस पर रोक लगाने के यह व्यवस्था की गई है कि लोग खुद ही निर्माण स्थल के सामने मानचित्र स्वीकृत होने का नंबर व तारीख चस्पा कर दें। ताकि कोई अफसर वहां पहुंचे तो आसानी से मानचित्र की जांच हो सके।
मानचित्र नंबर व स्वीकृति की तारीख
जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने बताया कि बैठक में इस मुद्दे पर काफी देर तक चर्चा के बाद यह तय किया गया कि इसके लिए लोगों को अभी जागरूक करने की जरूरत है। इसके अलावा जीडीए से स्वीकृत मानचित्र का नंबर और स्वीकृत होने की तारीख घर के सामने के दरवाजे पर चस्पा करानी होगी। ये ऐसी जगह होना चाहिए, जहां आम लोग आसानी से पहुंचकर नंबरों की जांच कर सकें। वहीं जीडीए के अफसर भी जांच के दौरान इन्हीं नंबर को देखेंगे। अगर किसी कर्मचारी को शक होगा तो वह इन नंबर के सहारे ऑनलाइन भी अपने प्लाट के लिए स्वीकृत मानचित्र की वर्तमान स्थिति को जांच सकेगा। गोरखपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में निर्माणाधीन स्थल पर आवासीय एवं व्यवसायिक निर्माण स्थल पर स्वीकृत मानचित्र की प्रति रखनी होगी। इसके अलावा मानचित्र का नंबर और तारीख प्रदर्शित करना होगा। ताकि जीडीए के अधिकारी-कर्मचारी जब जांच के लिए जाएं तो स्वीकृति मानचित्र एवं प्रदर्शित मानचित्र की संख्या और तारीख से स्वीकृत मानचित्र और उसके मुताबिक किए जा रहे निर्माण का सत्यापन कर सकें। प्राधिकरण मानचित्र स्वीकृत करते हुए इसके लिए सख्त हिदायत देता है लेकिन आमतौर पर इस पर अमल नहीं किया जाता। जीडीए सचिव उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में हुई इनफोर्समेंट कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया। बैठक में तय किया गया कि जीडीए की सभी कालोनियों और क्षेत्राधिकार वाले क्षेत्रों में निर्माण स्थलों पर स्वीकृत मानचित्र की प्रति रखने के लिए जागरूक किया जाए। इसके अलावा स्वीकृत मानचित्र की संख्या और स्वीकृति की तारीख प्रदर्शित की जाए।
अब निर्माण स्थल पर लिखवाना होगा
घर दुकान या अन्य कामर्शियल निर्माण के लिए जीडीए से मानचित्र स्वीकृत कराना होता है। हाल ही में कई ऐसे मामले आए, जिसमें पीड़ित पक्ष का यह आरोप है कि जांच करने गए अफसर ने बिना मानचित्र देखे एकतरफा चालान काट दिया। वहीं अफसरों का तर्क होता है कि जांच के दौरान नक्शा प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे वे जांच नहीं कर पाए। बुधवार को जीडीए सचिव उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में हुई इनफोर्समेंट कमेटी की बैठक में भी यह मुद्दा उठा। इसी बैठक में तय किया गया कि जीडीए की सभी कॉलोनियों और क्षेत्राधिकार में आने वाले मकानोंए बहु मंजिली इमारतों या व्यावसायिक भवनों पर उनके मानचित्र स्वीकृति की जानकारी साथ करना अनिवार्य होगा। प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने बताया कि नक्शा पास कराने वाले लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए। ताकि जीडीए स्वीकृत मानचित्र का नंबर और स्वीकृत होने की तारीख निर्माण स्थल पर प्रदर्शित करें। जीडीए के अधिकारी, कर्मचारी जांच के दौरान इन्हीं नम्बर को चेक करेंगे। संदेश होने पर अंकित नम्बर के सहारे प्लॉट के लिए स्वीकृत मानचित्र की वर्तमान स्थिति को जांच सकेंगे। निर्माण स्थल पर जांच के दौरान शिकायत मिलती थी कि मानचित्र देखे बिना ही अधिकारी-कर्मचारी ने कार्रवाई कर दी। उधर कार्रवाई करने लेख वाले कहते कि मानचित्र दिखाया ही नहीं। इसलिए अब निर्माण स्थल पर स्वीकृत मानचित्र की प्रति रखने के साथ मानचित्र ऐप पर स्वीकृति की संख्या और तारीख निर्माण स्थल पर अंकित व पढ़ें जाएगी। जीडीए ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि हाल के दिनों में ऐसे कई मामले आए जिसमें आरोप लगा कि जांच करने अधिकारियों ने बिना मानचित्र देखे ही एकतरफा जुर्माना कर दिया। उधर जांच करने अधिकारी कहते हैं कि निर्माण स्थल पर नक्शा नहीं दिखाया गया।