यूपी के इस एक्सप्रेसवे से महज 30 मिनट में पहुंच सकेंगे कानपुर

उत्तर प्रदेश: यूपी में स्थित लखनऊ से कानपुर की दूरी अब केवल 40 मिनट में तय होगी, ऐसे में यात्रियों को सफल करने में काफी आसानी होगी. एनएचएआई इस मेगाप्रोजेक्ट को तय समय से पहले पूरा करने के लिए तेजी से कार्य कर रहा है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से औद्योगिक नगरी कानपुर का सफर बहुत जल्द और भी आसान, तेज और सुगम होने वाला है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निर्मित लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. परंतु, इस आधुनिक और अत्याधुनिक रूट के पूरी तरह संचालित होने में अभी लगभग 82 दिन शेष हैं. अधिकारियों की मानें तो 31 जुलाई तक इस प्रोजेक्ट से संबंधित तमाम सिविल कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे. एनएचएआई की तरफ़ से जारी जानकारी के अनुसार, इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग 63 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे निर्मित किया जा रहा है, जिसमें 18 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड रूट रहने वाला है जबकि 45 किलोमीटर क्षेत्र ग्रीनफील्ड सेक्शन के अंतर्गत आता है. वर्तमान में प्रोजेक्ट का लगभग 90% कार्य पूरा हो चुका है और इस निर्माण में कार्य कर रही एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि तय समय सीमा के भीतर शेष कार्य भी निपटा लिया जाए. एक्सप्रेसवे का उद्घाटन आने वाले अगस्त महीने में कराने की तैयारी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति संभावित मानी जा रही है. यह उद्घाटन लखनऊ में बड़े स्तर पर भव्य कार्यक्रम के ज़रिए किया जाएगा.
इस हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे के शुरू होते ही लखनऊ से कानपुर के मध्य में यात्रा का समय घटकर मात्र 35 से 40 मिनट रह जाएगा. यह समय पहले की तुलना में काफी कम है, खासकर उन यात्रियों के लिए जिन्हें रोजाना इन दोनों शहरों के बीच आना-जाना होता है. लेकिन इसका लाभ सिर्फ लखनऊ और कानपुर तक ही सीमित नहीं रहेगा. आसपास के अनेक जिले जैसे उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर, सीतापुर, हरदोई, बाराबंकी आदि को भी इस एक्सप्रेसवे का सीधा लाभ प्राप्त होगा. एक्सप्रेसवे को लखनऊ के आउटर रिंग रोड से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि यात्री बिना शहर के अंदर प्रवेश किए सीधे अपने गंतव्य तक पहुंच सकें. इसके लिए विशेष स्लिप रोड्स निर्मित की गई हैं, जहां से वाहन सीधे आउटर रिंग रोड पर उतर सकेंगे. यह योजना खासतौर पर भारी वाहनों और उन यात्रियों के लिए उपयोगी साबित होगी जिन्हें लखनऊ शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होती. अब ऐसे वाहन शहर को बायपास करते हुए सीधे अपने रास्ते जा सकेंगे, जिससे शहर में अपने वाले ट्रैफिक को काम किया जा सके.
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यह ध्यान देने योग्य है कि लखनऊ शहर से होकर गुजरने वाले 50% से अधिक वाहन अन्य जेलों की ओर जाते हैं. अभी तक इन वाहनों को शहीद पथ या अन्य वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ता था, जिससे ट्रैफिक और समय दोनों का नुकसान होता था. लेकिन अब इस नई व्यवस्था से यात्रियों को राहत मिलेगी और ट्रैफिक नियंत्रण में भी मदद मिलेगी. टोल प्लाजा की व्यवस्था भी आधुनिक तरीके से की जा रही है. एक्सप्रेसवे पर पांच स्थानों पर टोल प्लाजा बनाए जाएंगें:-

- पहला मीरनपुर पिनवट के पास
- दूसरा खंडेदेव
- तीसरा बनी के निकट
- चौथा अमरसास गांव (उन्नाव-लालगंज मार्ग)
- पांचवां टोल प्लाजा आजाद नगर के पास होगा
यह सुनिश्चित किया गया है कि जहां भी रैंप होंगे, वहीं टोल प्लाजा की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे वाहन चालकों को कोई असुविधा न हो. इस मेगाप्रोजेक्ट के लिए 43 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है. इस परियोजना की कुल लागत हजारों करोड़ में बताई जा रही है और इसे उत्तर भारत के सबसे तेज रफ्तार वाले हाइवे के तौर पर निर्मित किया जा रहा है. यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विश्राम स्थलों, शौचालय, एंबुलेंस सेवा और फूड कोर्ट्स जैसी सुविधाओं का भी इंतजाम किया जा रहा है.