यूपी के इस जिले में कचडों के माध्यम से सड़क का निर्माण, पर्यावरण में होगा सुधार

यूपी के इस जिले में कचडों के माध्यम से सड़क का निर्माण, पर्यावरण में होगा सुधार
यूपी के इस जिले में कचडों के माध्यम से सड़क का निर्माण, पर्यावरण में होगा सुधार

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में स्थित औरैया जिले में अब सड़कें प्लास्टिक से निर्मित की जाएंगी, जिससे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ मजबूत व जलरोधी सड़कों का निर्माण होगा. वही प्लास्टिक जिसे हम रोज़मर्रा की जिंदगी में प्रयोग कर कूड़ेदान में डाल देते हैं, अब वही प्लास्टिक सड़कों को निर्मित करने में मदद करेगी.

भारत लंबे समय से सिंगल यूज़ प्लास्टिक की समस्या से जूझ रहा है. हर दिन हजारों टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जो न तो जलाया जा सकता है और न ही आसानी से नष्ट होता है. ऐसे में औरैया जिले की यह पहल एक नयी उम्मीद की किरण के रूप में सामने आई है. जिला मुख्यालय के पास स्थित आदर्श ग्राम पंचायत बूढ़ादाना इस परिवर्तन का केंद्र बन चुका है. यहां एक “प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम” की स्थापना की गई है. गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित रिसोर्स रिकवरी सेंटर में सिंगल यूज़ प्लास्टिक जैसे बिस्कुट और मसाले के रैपर, चिप्स के पैकेट, थैलियाँ व अन्य रद्दी पन्नियाँ बड़ी मात्रा में जमा की जा रही हैं. ये पन्नियाँ आसपास के खेतों, दुकानों, गलियों और कस्बों से इकट्ठी की गई हैं.

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ग्राम प्रधान मोहित सिंह ने जानकारी दी है कि इस प्लास्टिक की‌ पहले छंटाई की जाती है, फिर उन्हें ‘फटका मशीन’ से गुजारा जाता है, और इसके बाद ‘श्रेडर मशीन’ में डालकर बारीक टुकड़ों में काटा जाता है. इन टुकड़ों को गर्म कर सड़क निर्माण में उपयोग होने वाले एक विशेष मिश्रण में बदला जाता है. अभी तक करीब चार कुंतल प्लास्टिक की कतरन तैयार की जा चुकी है, और लक्ष्य है कि 10 कुंतल इकट्ठा होते ही निर्माण प्रक्रिया शुरू कर दी जाए. प्लास्टिक मिश्रित सड़कें तकनीकी रूप से काफी प्रभावशाली हैं. डामर और सीमेंट की तुलना में ये अधिक टिकाऊ होती हैं और बरसात या जलजमाव से जल्दी खराब नहीं होतीं. औरैया के जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने जानकारी दी कि लखनऊ में पहले से प्लास्टिक से बनी सड़कें मौजूद हैं, और उनके अनुभव सकारात्मक रहे हैं. इन सड़कों की खासियत यह है कि ये समय के साथ न तो टूटती हैं, न ही उखड़ती हैं और न ही जलभराव इनका कुछ बिगाड़ पाता है. इस परियोजना का लक्ष्य सिर्फ एक सड़क बनाना नहीं है, बल्कि प्लास्टिक कचरे को उपयोगी संसाधन में बदलना है. ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई को लेकर अक्सर जागरूकता की कमी होती है, जिससे प्लास्टिक इधर-उधर फेंक दी जाती है. अब यह पहल न सिर्फ लोगों को जिम्मेदार बनाएगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार का भी एक नया रास्ता खोलेगी. प्लास्टिक संग्रहण, छंटाई, मशीन संचालन जैसे कामों के लिए स्थानीय लोगों को जोड़ा जा सकता है. अगर यह प्रयोग सफल होता है तो अन्य जिलों के लिए भी यह एक मॉडल बन सकता है. यूपी के विभिन्न इलाकों में खराब सड़कों की समस्याएँ आम बात हैं, हर मानसून में डामर की सड़कें बह जाती हैं या उनमें गड्ढे हो जाते हैं. लेकिन प्लास्टिक मिक्स सड़कों से ये समस्याएँ काफी हद तक खत्म की जा सकती हैं और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी.

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