यूपी के इस जिले में लाल-नीली बत्ती का रूतबा पड़ा भारी! 72 गाड़ियों के कटे चालान, देखें वीडियो
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भारत में पिछले कई दशकों से वीवीआईपी कल्चर के तहत लाल और नीली बत्तियों का चलन रहा है, जिनका उपयोग महत्वपूर्ण व्यक्तियों, जैसे सांसदों, विधायकों, और उच्च सरकारी अधिकारियों के वाहनों पर होता था. इन बत्तियों का उद्देश्य सुरक्षा प्रदान करना और इन व्यक्तियों के लिए विशेष प्रोटोकॉल सुनिश्चित करना था. हालांकि ये बत्तियाँ आम जनता के बीच एक भौकाल (हंगामा) पैदा करती थीं, क्योंकि कई बार यह वीवीआईपी वर्ग का दिखावा और आम जनता के लिए असुविधा का कारण बनती थीं. इस वजह से कई बार सड़क पर इन बत्तियों वाले वाहनों के चलते ट्रैफिक जाम और अन्य समस्याएँ पैदा होती थीं.
लोकतंत्र में समानता की ओर एक कदम
यूपी के कन्नौज जिले से ताजा मामला सामने आया है. लाल और नीली बत्तियाँ लंबे समय से विवाद का विषय रही हैं। आम जनता को अक्सर लगता था कि ये बत्तियाँ उनकी परेशानियों का कारण बनती हैं, क्योंकि वीवीआईपी वाहन ट्रैफिक को तोड़ते हुए रास्ता बना लेते थे, जबकि आम नागरिकों को घंटों जाम में फंसा रहना पड़ता था. इसके अलावा, कई बार अधिकारियों और नेताओं ने इन बत्तियों का गलत इस्तेमाल भी किया था, जिससे इनका महत्व घटने लगा था. हाल ही में उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में पुलिस ने वीआईपी बत्ती वाली गाड़ियों को रोककर चालान करने की प्रक्रिया शुरू की. जिससे एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है. यह कदम राज्य पुलिस द्वारा वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ उठाया गया एक अहम कदम है. जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और सड़क पर सभी के लिए समान नियम लागू हों. साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लाल बत्तियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था, और इस फैसले का व्यापक स्वागत किया गया था.
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प्रधानमंत्री मोदी ने इस कदम को ‘विपरीत संस्कृति’ के रूप में देखा और इस पर अंकुश लगाने के लिए कानून में संशोधन किया. इसके बाद से, वीवीआईपी बत्तियों का इस्तेमाल केवल विशेष सुरक्षा वाले व्यक्तियों जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, और राज्यपाल के लिए ही सीमित कर दिया गया था. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, इन व्यक्तियों के वाहन पर अन्य सुरक्षा संकेतक जैसे विशेष नंबर प्लेट या उच्च सुरक्षा वाले वाहन होंगे, जो उनकी पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. इससे एक ओर फायदा यह हुआ कि आम जनता को यह अहसास हुआ कि अब अधिकारी और नेता किसी भी प्रकार के विशेष दिखावे में नहीं हैं, और उन्हें सड़क पर समान नागरिक की तरह व्यवहार किया जा रहा है.
पुलिस ने रोकी वीवीआईपी बत्ती वाली गाड़ियां
सीओ ट्रैफिक कुलबीर सिंह ने बताया कि इस विशेष अभियान का मुख्य उद्देश्य उन वाहनों का चालान करना था. जिनमें बिना अनुमति के लाल और नीली बत्तियाँ लगी थीं. इन बत्तियों का इस्तेमाल आमतौर पर वीवीआईपी व्यक्तियों और अधिकारियों द्वारा किया जाता है. लेकिन कई बार इनका अवैध रूप से उपयोग किया जाता है। इसके चलते सड़क पर असमानता और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं उत्पन्न होती थीं. चेकिंग में 72 गाड़ियों के काटे चालान काटे गए है. इसी बीच 8 गाड़ियां सीज मुख्य रोड पर पुलिस परिवहन विभाग की सख्ती देखी गई.
अभियान के तहत पुलिस ने सड़कों पर गाड़ियों की चेकिंग की और जिन गाड़ियों में बिना अनुमति के लाल या नीली बत्तियाँ लगी थीं उन्हें रोका गया. इन गाड़ियों के चालान किए गए और साथ ही उनके मालिकों को चेतावनी दी गई कि भविष्य में किसी भी गाड़ी पर बिना अनुमति के वीआईपी बत्ती नहीं लगाई जाएगी. लाल और नीली बत्तियों के समाप्त होने से यह सवाल भी उठा कि क्या वीवीआईपी की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस संदर्भ में सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि विशेष सुरक्षा की आवश्यकता वाले व्यक्तियों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी, लेकिन यह सुरक्षा किसी दिखावे या भौकाल से नहीं, बल्कि ठोस उपायों के माध्यम से होगी.