यूपी में दाखिल खारिज प्रक्रिया को लेकर सरकार सख्त, डीएम-मंडलायुक्त होंगे सीधे जिम्मेदार

यूपी में दाखिल खारिज प्रक्रिया को लेकर सरकार सख्त, डीएम-मंडलायुक्त होंगे सीधे जिम्मेदार
Uttar Pradesh News

यूपी में राज्य सरकार ने नया राजस्व कोड संशोधन दाखिल खारिज प्रावधान में प्रणाली पारदर्शिता तथा जवाबदेही को सुनिश्चित करने का दिशा निर्देश दिया है अब इससे जमीनी स्तर पर लोगों को समय पर निर्णय सुविधा तथा न्याय आसानी से मिल पाएगी. अब मंडल और जिला स्तर की प्रक्रिया सुचारू रखना अब वैकल्पिक नहीं अनिवार्य होगा.

दाखिल खारिज की प्रक्रिया में देरी क्यों

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दाखिल खारिज व्यवस्था को लेकर बड़ा फैसला ले लिया है जिसमें उन्होंने आगे बताया है की संपत्तियों के दाखिल खारिज में देरी होने पर अब सीधे और साफ-साफ तौर से मंडला आयुक्त के साथ-साथ जिलाधिकारी भी जिम्मेदार और जवाबदेही ठहराया जाएगा. जिसमें राजस्व संहिता में दी गई तमाम व्यवस्थाओं के आधार पर गैर विवादित मामलों में करीब करीब 45 दिन नामांतरण करना अनिवार्य रूप से किया जाना है.

यह भी पढ़ें: लखनऊ से इस रूट पर सफर होगा आसान, फोरलेन को लेकर अपडेट

विवादित मामलों में करीब-करीब 90 दिनों में फैसला लिया जाएगा दाखिल खारिज मामले में देरी होने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. इस दौरान प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरुप्रसाद मैं इसके आधार पर शासन आदेश जारी करते हुए मंडला आयुक्त तथा जिला अधिकारियों को दिशा निर्देश भेजा है जिसमें बताया गया है कि राजस्व संहिता 2006 की धारा 34/35 अंतर्गत अंतरण मामलों में अविवादित नामांतरण का वाद 45 दिन तथा विवाहित होने पर 90 दिन में निस्तारित किया जाना है. जिसमें शासन स्तर पर इस संबंध में समय-समय पर शासनादेश भी जारी किया जाता रहेगा.

यह भी पढ़ें: यूपी के इस जिले को मिली 4 नई मेमू ट्रेनें, 28 जुलाई से शुरू होगी सेवा

अब मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी होंगे जिम्मेदार

इस प्रावधान में शासन की जानकारी में यह आया है कि कई जिलों में इसका पालन किसी भी तरीके से नहीं किया जा रहा है जिसमें नामांतरण वादों का समय से निस्तारण नहीं हो पा रहा है अब इसके चलते हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की जा रही है अब हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी भी आवश्यक रूप से जताई है इसलिए इसमें धारा 34 के अंतर्गत प्राप्त, लेकिन पंजीकरण के लिए लड़के मामलों का आरसीसीएमएस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण किया जाना है. जानबूझकर प्रार्थना पत्र को लटकाए रखने वाले कर्मचारियों को कड़ी कार्रवाई के दौरान उन्हें दंड दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: UP में अफसरों की नई पोस्टिंग, जानिए किस जिले में कौन पहुंचा

नामांतरण वादों के समय और गुणवत्तापूर्ण निस्तारंट समय के माध्यम में निस्तारण किया जाना आवश्यक है दाखिल खारिज संबंधित गैर विवादित मामलों में लगभग 45 दिन से अधिक समय ना लगाया जाए हाई कोर्ट द्वारा वादों का निस्तारण करने संबंध दिए गए आदेशों वाले मामलों की सुनवाई तिथि नियत कर प्रतिदिन आवश्यक रूप से सुनी जाएगी. जिसमें मंडल आयुक्त तथा जिलाधिकारी अपने स्तर से कार्य योजना बनाकर नामांतरण के लिए लंबित मामलों को बड़ी निगरानी से देखेंगे वादों के समय निस्तारित करने के लिए समीक्षा बैठक बुलाकर करवाई जाएगी मंडला आयुक्त और जिलाधिकारी जिलों के तहसील के अधीनस्थ पीठासीन अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश भी देंगे.

यह भी पढ़ें: योगी सरकार का बड़ा फैसला: अब 25 लाख टैबलेट बांटे जाएंगे, स्मार्टफोन योजना बंद

On

About The Author

Shambhunath Gupta Picture

शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।