मुख्यमंत्री योगी ने इन 16 विकास परियोजनाओं की दी मंजूरी, देखें लिस्ट

मुख्यमंत्री योगी ने इन 16 विकास परियोजनाओं की दी मंजूरी, देखें लिस्ट
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हर बड़े शहर में विकास प्राधिकरण एवं प्लानिंग बोर्ड होने के बावजूद निचले इलाकों में कॉलोनियों को बढ़ावा मिल रहा है। इसके परिणामस्वरूप न सिर्फ नालियों का अतिक्रमण हो रहा है, बल्कि नदियों.नालों का प्राकृतिक बहाव भी संकरा और बाधित होता जा रहा है जिससे बारिश के दिनों में इन निचले इलाकों में पानी भर जाता है। जलभराव की सबसे विकट समस्या नवविकसित कॉलोनियों में है।

समस्या की रोकथाम के लिए ढांचागत सुधारों की आवश्यकता

परंतु जलनिकासी का कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। पॉलिथीन मलबा और अन्य ठोस कचरे से नालियों के जाम हो जाने के कारण सड़कों पर पानी लंबे समय तक भरा रहता है तो कहीं नालियों के ढाल ठीक न होने की वजह से भी जलभराव होता है। इन परिस्थितियों में यह महत्वपूर्ण प्रश्न है कि आखिर इस समस्या का हल क्या है। लगातार होने वाले निर्माण कार्यों जैसे पुलों, उपरिमार्गों, मेट्रो परियोजनाओं आदि की शहरी प्राधिकारण द्वारा इस बात की जांच भी की जानी चाहिए कि ये शहर के प्राकृतिक जलनिकासी मार्गों को तो बाधित नहीं कर रहे हैं। शहरों में बनने वाले नए घरों, कॉलोनियों, सोसायटियों आदि में वॉटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्य व्यवस्था होनी चाहिए। इससे न सिर्फ जलभराव की समस्या से निजात मिलेगी, बल्कि बारिश के पानी का संचय होने से भूमि के जल स्तर में भी वृद्धि होगी। शहरों में जलभराव की समस्या से छुटकारा दिलवाने में स्मार्ट शहर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। एक ऐसा शहर ही स्मार्ट शहर होगा जहां हरियाली होगी एवं ठोस कचरा प्रबंधन सहित स्वच्छता की समुचित व्यवस्था होगी, जिसका विकास चार स्तंभों संस्थागत, भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना पर आधारित होगा। बारिश के दौरान शहरों में जलभराव न हो, इसके लिए अभी से काम शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री नगरीय अविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना के तहत मथुरा, मुरादाबाद, आजमगढ़ व गाजियाबाद में 16 प्रमुख विकास परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है। इनको पूरा करने के लिए 65.540 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र में वार्ड संख्या दो, सिद्धार्थ विहार भाग-10 में जल निकासी व इंटरलाकिंग सड़क निर्माण के लिए 14.727 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। आजमगढ़ नगर पालिका क्षेत्र, सिविल लाइंस क्षेत्र में सड़क व नाली निर्माण के लिए 22.906 लाख रुपये की राशि जारी की गई है। यह क्षेत्र शहरी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां बारिश में जलभराव होता है।

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स्मार्ट शहर बनाने की साहसिक पहल से जलभराव की समस्या से मिलेगी मुक्ति

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस साहसिक पहल की शुरुआत 2015 में की गई थी। इसके अंतर्गत पहले चरण में 2015 से 2020 तक 59 शहरों को स्मार्ट शहर बनाया जाना था, परंतु इस क्षेत्र में मात्र 30 प्रतिशत ही कार्य पूर्ण हो सका है। यदि इन शहरों में कार्य की गति को तेज कर उसे जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए तो काफी हद तक जलभराव की समस्या से मुक्ति मिलेगी। शर्त बस इतनी सी है कि इस संबंध में प्रयास गंभीरता से होने चाहिए। इनमें प्रमुख रूप से बैंक कॉलोनी, बंगला गांव व बसंत बहार क्षेत्र में इंटरलॉकिंग सड़कों व जल निकासी व्यवस्था का निर्माण शामिल है। मथुरा शहर में जलभराव व चोक नालियों को ठीक करने के लिए पांच परियोजनाओं चल रही हैं। इसमें मथुरा नगर निगम, मथुरा वृन्दावन, नगर पंचायत, गोवर्धन, राय व बल्देव शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य केवल सड़कों व नालियों का निर्माण करना ही नहीं, बल्कि स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करना भी है। इसी कड़ी में मुरादाबाद नगर निगम क्षेत्र में अधूरी नौ परियोजनाओं के लिए 65.416 लाख रुपये जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जलभराव की समस्या न हो, इसके लिए अभी से आवश्यक प्रबंध किए जाने का निर्देश दिया है। सड़क व नाली निर्माण के कार्य समय से पूरे किए जाने के साथ ही स्वच्छता, पेयजल व अन्य नागरिक सुविधाओं पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए 1.69 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि स्वीकृति की गई है। इन परियोजनाओं के माध्यम से शहरी बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने का काम किया जा रहा है। बरसात के मौसम में महानगरों की स्थिति बद से बदतर हो जाती है। पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण सड़कों, गलियों और कॉलोनियों में घंटों पानी भरा रहता है। ऐसे हालात में कामकाजी लोगों और स्कूली बच्चों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सड़कों पर लगने वाला जाम इस दौरान आम हो जाता है। जलभराव के कारण कई बार हादसे तक हो जाते हैं। क्षेत्र भी मानसून के दौरान जलभराव की विकट स्थिति का सामना करता है।

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