यूपी में अब आगे दुकान और पीछे घर तो कमर्शियल माना जाएगा निर्माण!

यूपी में अब आगे दुकान और पीछे घर तो कमर्शियल माना जाएगा निर्माण!
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मकान या भूखंड के सामने यदि पार्क है तो अब दस की जगह 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसी तरह कार्नर का भूखंड यानी दो तरफ से रास्ता है तो भी 20 प्रतिशत शुल्क देना होगा जो अभी दस प्रतिशत है। यादि कार्नर का प्लाट है और पार्क की भी सुविधा है तो 30 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसी तरह 12 मीटर से अधिक चौड़े मार्ग के किनारे भूमि पर निर्धारित दर 20 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत की जा रही है।

पीछे मकान तो कमर्शियल माना जाएगा

प्रस्ताव के मुताबिक वे भूखंड जिन पर चहारदीवारी बनी है तो बैनामे के समय संबंधित भूखंड पर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। पहले चहारदीवारी के लिए कोई शुल्क नहीं लगता था। लेकिन, अब तीन फीट तक ऊंची चहारदीवारी के लिए पांच हजार रुपये प्रति रनिंग मीटर, पांच फीट तक के लिए छह हजार प्रति रनिंग मीटर और यदि चहारदीवारी की ऊंचाई पांच फीट से ऊंची है तो आठ हजार रुपये प्रति रनिंग मीटर के हिसाब से अतिरिक्त शुल्क देना होगा। एक ही परिसर की ऐसी इमारत जिसके आगे के हिस्से का इस्तेमाल दुकान या किसी अन्य व्यावसायिक गतिविधि के लिए किया जा रहा है और पीछे की तरफ आवासीय निर्माण है, साथ ही प्रवेश का मार्ग व्यावसायिक हिस्से से है तो इसे खरीदना अब और मंहगा हो जाएगा। बैनामे के समय इस तरह के मकान पर आवासीय नहीं बल्कि व्यावसायिक निर्माण की दर से स्टांप ड्यूटी देनी होगी। स्टांप नियमावली के तहत सामान्य निर्देशों में हुए बदलाव के तहत फ्लैट का सुपर एरिया यदि 600 वर्ग फीट तक है तब तो कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। लेकिन, यदि यह 600 से 1200 वर्ग फीट के मध्य है तो फ्लैट की दर में 20 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। इसी तरह यदि सुपर एरिया 1200 से दो हजार के वर्ग फीट के मध्य होगा तो 30 प्रतिशत और दो हजार से अधिक का होगा तो 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इन जिलों की सीमाओं से सटे गांवों में संबंधित उप निबंधकों को सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसे लेकर जल्द ही डीआइजी स्टांप के नेतृत्व में आस-पास के जिलों के निबंधन अधिकारियों के साथ बैठक भी होगी। इसके बाद दरें फाइनल कर शासन को भेजी जाएगी। हालांकि, इसके लिए सर्किल रेट में बदलाव करना होगा। गोरखपुर में आठ साल से सर्किल रेट में बदलाव नहीं हुआ है, इसके लिए शासन से अनुमति लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल प्रस्ताव पर जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश की ओर से चार मार्च तक आपत्ति मांगी गई है। पांच को आपत्तियों के निस्तारण की तिथि तय की गई है। इसके बाद फाइनल प्रस्ताव पर जिलाधिकारी के दस्तखत होते ही नई दरें और अतिरिक्त शुल्क लागू हो जाएगा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक होली के पहले ही नई दरें लागू करने की तैयारी है। जिले के भीतर अब वेयर हाउस और पाली हाउस, गैराज आदि का निर्माण कराना मंहगा होगा। इनके लिए तीन दरें तय की गई हैं। यदि दीवार 12 फीट ऊंची है तो छह हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसी तरह 12 से 20 फीट ऊंची है तो 12 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर और 20 फीट से अधिक ऊंची है तो 20 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से वृद्धि होगी। अपार्टमेंट जितनी अधिक सुविधाएं होंगी, अब उसके फ्लैट उतने की मंहगे होंगे। किसी भी अपार्टमेंट में यदि स्वीमिंग पूल या जकूजी, जिम या फिटनेस सेंटर, क्लब हाउस, बच्चों का खेल क्षेत्र अथवा पार्क होगा तो सभी सुविधाओं के लिए फ्लैट के दर में अलग-अलग पांच प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। यदि किसी अपार्टमेंट में उपरोक्त में से दो सुविधा होगी तो दस प्रतिशत और यदि चार सुविधा होगी तो कीमत में 40 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी।

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संपत्ति खरीदना हुआ अब और महंगा

शासन के निर्देश पर गोरखपुर समेत सभी जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों की संपत्तियों के दर लगभग एक समान किए जाएंगे। इनमें अधिकत दस प्रतिशत का ही अंतर होगा। इसे लेकर सर्वे कराया जा रहा है। एआइजी स्टांप संजय कुमार दुबे का कहना है कि गोरखपुर की सीमा संतकबीरनगर, मऊ, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज से मिलती है। रजिस्ट्री विभाग जिले की आवासीय एवं व्यावसायिक संपत्तियों की सरकारी दरों और अतिरिक्त शुल्क में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। विभाग ने सर्किल रेट तो नहीं बढ़ाया है लेकिन, सामान्य निर्देशों में बड़े पैमाने पर बदलाव किए जा रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शहरी क्षेत्र में पड़ेगा। जिले में वर्ष 2016 के बाद से ही सर्किल रेट में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जबकि बाजार दर कई गुणा अधिक बढ़ गया है। हर साल रजिस्ट्री विभाग नए सर्किल रेट का मसौदा तैयार करता है लेकिन, उसे मंजूरी नहीं मिल पाती है। बड़ी संख्या में विकास परियोजनाओं के जिले में संचालित व प्रस्तावित होने की वजह से सर्किल रेट में बदलाव नहीं किया रहा है। इस वर्ष भी उम्मीद कम है, लेकिन उप्र स्टांप नियमावली में सर्किल रेट के साथ ही संपत्तियों के मूल्यांकन के लिए सामान्य निर्देशों में बदलाव किया जा रहा है। अब ऐसे भूखंड की दर में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाने से स्टांप ड्यूटी भी ज्यादा जमा करनी पड़ेगी। विभाग का कहना है कि सर्किल रेट के मुताबिक भले ही ऐसे भूखंडों की कीमतों में आठ साल से कोई वृद्धि नहीं हो सकी लेकिन इनके बाजार दर में काफी बढ़ोतरी हो गई है। नगरीय, अर्द्धनगरीय अथवा ग्रामीण क्षेत्रों की सीमा में स्थित कृषि भूमि की सीमा के 50 मीटर के दायरे में यदि कोई आबादी, आवासीय गतिविधि, प्लाटिंग या कालोनी विकसित की गई है या की जा रही है तो ऐसी कृषि भूमि की कीमतों में अब 50 की जगह 60 प्रतिशत यानी 10 प्रतिशत की और वृद्धि हो जाएगी। इसी तरह 50 मीटर से अधिक लेकिन 200 मीटर तक की त्रिज्या के तहत कृषि भूमि का मूल्यांकन निर्धारित दर से 40 प्रतिशत अधिक के अनुसार होगा। अभी यह 30 प्रतिशत है। माना जा रहा है कि इस बदलाव से भी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे तो वहीं विभाग की आय बढ़ेगी। शहर के विभिन्न क्षेत्र में तमाम ऐसे भूखंड हैं जो दुकान, बाजार, शापिंग कांप्लेक्स समेत अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के आस-पास होते हुए भी उनपर सामान्य क्षेत्र के आवासीय भूखंड जितनी ही स्टांप ड्यूटी लगती है। कुछ अन्य प्रमुख बदलाव में व्यावसायिक गतिविधियों के आस-पास के आवासीय भूखंड भी शामिल हैं। किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के 50 मीटर के दायरे में यदि आवासीय भूखंड है तो संबंधित भूखंड की दर में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि की जाएगी।

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