यूपी में शहरों के विकास के लिए कैबिनेट का बड़ा फैसला
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अब स्टांप शुल्क का दो प्रतिशत पैसा आसानी से मिलेगा
स्टांप शुल्क एक तरह का कर होता है. जो संपत्ति के हस्तांतरण. रजिस्ट्री और अन्य लेन.देन पर लिया जाता है। यह शुल्क राज्य सरकारों के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है। पहले इस राशि का अधिकांश हिस्सा राज्य के खजाने में चला जाता था. लेकिन अब इसका एक हिस्सा विशेष रूप से शहरों के विकास के लिए आवंटित किया जाएगा. यूपी सरकार ने शहरों के विकास के लिए स्टांप शुल्क का दो फ़ीसदी देने के लिए बार-बार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के झंझट को खत्म कर दिया है. अब दो किस्तों यानी 6 महीने में खर्च के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र देना होगा. इसके बाद अगली किस्त का पैसा मिल जाएगा.
विकास कार्यों के लिए फंडिंग
स्टांप शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल के मुताबिक़ संबंधित संस्थाओं को अब भुगतान त्रैमासिक आधार पर चार किस्तों में किया जाएगा. प्रथम एवं द्वितीय किस्त मिलने के बाद तीसरी किस्त तब दिया जाएगा जब पहली किस्त की उपयोगिता का प्रमाण पत्र संबंधित विभागों द्वारा उपलब्ध करा दिया जाएगा. इसी प्रकार चौथी किस्त का पैसा दूसरी किस्त का उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर दिया जाएगा. इससे बार बार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने का झंझट ख़त्म हो गया है. यह कदम शहरी विकास परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने में मदद करेगा.
स्थानीय निकायों और विकास प्राधिकरणों को अधिक वित्तीय संसाधन मिलेंगेए जिससे वे अधिक प्रभावी तरीके से विकास कार्यों को संचालित कर सकेंगे. इस वित्तीय सहायता से शहरों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार होगा और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी. शहरी विकास में सुधार से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और नए उद्योगों के लिए अवसर खुलेंगे. एक अनुमान की मुताबिक इस समय करीब 30 अरब रुपये इस मद में है. मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अभी पहली किस्त का पैसा खर्च के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र देना होता है, इसके बाद दूसरी क़िस्त का पैसा मिलता है, इससे आवास एवं नगर विकास और बार-बार उपयोगिता प्रमाण पत्र देने में दिक्कतें आ रही थी और पैसा भी खर्च नहीं हो पा रहा था।