अखिलेश यादव ने अंसल के मामले में योगी आदित्यनाथ को दिया जवाब, कहां कैंची लेकर क्यों गए
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लखनऊ पुलिस ने अंसल समूह के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में इसे गंभीरता से लेते हुए कहा है कि दोषियों को पाताल से भी निकाल लाएंगे। अंसल समूह को दिवालिया घोषित करने के बाद निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।
सीएम योगी का अंसल समूह पर बड़ा एक्शन
अंसल की धोखाधड़ी पर अखिलेश ने योगी को दिया जवाब
राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण दिल्ली ने 25 फरवरी को लखनऊ में अंसल को दिवालिया घोषित कर दिया था। कंपनी का 450 करोड़ रुपए बकाया है। दिवालिया घोषित होने के बाद स्क्। का पैसा भी फंस गया। अंसल कंपनी के बोर्ड को भंग कर दिया है। ऐसे में टाउनशिप की जमीन अंसल के अधिकार में नहीं रही। अब छब्स्ज् की ओर से नियुक्त किया गया रिसीवर ही उसको लेकर निर्णय लेगा। निवेशकों पर आरोप लगाकर हतोत्साहित करने से न तो निवेश का विकास होगा और न ही प्रदेश का। यूपी के सभी समझदार लोग कह रहे हैं, अगर सब गलत था तो आप वहां अपना बुलडोजर लेकर जाते, कैंची लेकर उद्घाटन करने क्यों पहुंच गए? जनता कह रही है, जब उसे ढूंढने पाताल लोक जाएं तो परतों में दबी उस गहरी वजह की भी खोज खबर लेते आएं, जो उनकी गद्दी को हिला रही है। उनके सत्ता से बेदखल होने की जो चर्चाएं हर तरफ फैली हैं। ये उसकी खीझ है। विस्थापन का डर ही उनके मुंह से ऊंची आवाज बनकर निकल रहा है। सफलता व्यक्ति को शांत, शालीन और शिष्ट बनाती है और विफलता वही जो दिख रहा है। इनमें ऐसे भी हैं, जो बॉर्डर पर लड़ाई लड़ चुके हैं, रिटायरमेंट फंड के पैसे अंसल में प्लाट खेला, लेकिन उन्हें रजिस्ट्री आज तक नहीं मिल सकी। अंसल ने उनके सपनों को पूरा नहीं होने दिया। वे किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं। अंसल मामले को लेकर सीएम ने सोमवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण और रेरा के अफसरों की बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने अंसल प्रबंधक के खिलाफ थ्प्त् दर्ज करवाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद स्क्। के अमीन ने गोमतीनगर थाने में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिक पिता-पुत्र समेत 5 लोगों पर मुकदमा दर्ज करवाया। इनमें अंसल प्रमोटर प्रणव अंसल, सुशील अंसल, सुनील गुप्ता, डायरेक्टर विनय सिंह और फेरन्सेटी पैट्रिका अटकिंशन का नाम शामिल है। यूपी में हाईटेक टाउनशिप पॉलिसी के तहत साल 2003 में अंसल को करीब 1335 एकड़ में टाउनशिप का लाइसेंस दिया गया था। 5 साल बीत जाने के बाद भी डेवलपर्स इसका विकास नहीं कर सके। इसके बावजूद 2008 में तत्कालीन सरकार ने टाउनशिप का दायरा बढ़ाकर 3530 एकड़ कर दिया। स्वीकृत टाउनशिप में कंपनी ने खरीदी गई जमीन के अलावा ग्राम समाज, सीलिंग, तालाब, राज्य सरकार के नाम दर्ज, परती, बंजर, नहर और नाली की जमीन अपने प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया। इसकी जानकारी प्राधिकरण को नहीं दी और बेच दिया। 1967 में अंसल एपीआई नाम से रियल स्टेट कंपनी रजिस्टर्ड हुई। 2025 तक 7000 से ज्यादा निवेशकों ने इसमें रुपया लगाया। राजधानी लखनऊ, दिल्ली छब्त् समेत 5 राज्यों में अंसल एपीआई ने अपनी 21 से ज्यादा टाउनशिप बनाई।