क्या CSK अब आउटडेटेड टीम बन चुकी है? धोनी का असर या ब्रांड वैल्यू का खेल?

क्या CSK अब आउटडेटेड टीम बन चुकी है? धोनी का असर या ब्रांड वैल्यू का खेल?
Kya ab csk ka khel khatam, kya dhoni ka sanyas ka time aa gaya

चेन्नई सुपर किंग्स अब एक आउटडेटेड टीम बन चुकी है, और जो लोग अभी भी धोनी से मैच जिताने की उम्मीद कर रहे हैं, वे अतीत में जी रहे हैं। धोनी अब सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक ब्रांड हैं, और यही वजह है कि वे टीम का हिस्सा बने हुए हैं। लेकिन अगर कोई ये सोच रहा है कि धोनी अकेले दम पर सीएसके को मैच जिताएंगे, तो यह उम्मीदों की पराकाष्ठा होगी। यह अब रैना और धोनी की टीम नहीं रही। अब जो टीम मैदान पर खेल रही है, वह पहले जैसी नहीं है, और अगर इस टीम से आप वही प्रदर्शन चाहते हैं जो पहले हुआ करता था, तो प्लेऑफ की उम्मीदों को झटका लगना तय है। चेन्नई सुपर किंग्स अपने घर में विराट की टीम से 2008 के बाद हारी है और अब राजस्थान से भी हार गई।

धोनी की टीम को आउटडेटेड कहने के पीछे कई ठोस वजहें हैं। इस टीम में अगर नूर अहमद, रचिन रविंद्र, पथिराना, ऋतुराज और खलील अहमद को हटा दें, तो बाकी के खिलाड़ी आउटडेटेड नजर आते हैं। इन्हीं कुछ खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द पूरा मैच टिका होता है। गेंदबाजी में खलील और नूर से उम्मीद की जा सकती है, बल्लेबाजी में पथिराना और ऋतुराज कुछ कर सकते हैं, लेकिन बाकी टीम सिर्फ मौज काटने आई है। इस टीम को देखकर बड़ी हैरानी होती है, क्योंकि बाकी फ्रेंचाइजी ने अपने ओपनिंग स्लॉट में पावर हाउस खिलाड़ी रखे हैं। आरसीबी ने विल जैक्स को शामिल किया है, मुंबई इंडियंस ने टीम डेविड और लियाम लिविंगस्टन जैसे हिटर को लाया है, जबकि एसआरएच ने क्लासेन, हेनरिक्स, अभिषेक शर्मा और रेड्डी जैसे खिलाड़ियों पर दांव लगाया है। दिल्ली कैपिटल्स ने फ्रेजर मैकगर्क और युवा खिलाड़ियों को मौका दिया है, पंजाब किंग्स भी नई फौज तैयार कर चुका है। लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स ने जिन खिलाड़ियों पर दांव लगाया है, वे बीते जमाने के खिलाड़ी हैं। राहुल त्रिपाठी, विजय शंकर और दीपक हुड्डा जैसे खिलाड़ियों से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं?

ऋतुराज गायकवाड़ के हालिया बयान से भी यह साफ समझा जा सकता है कि सीएसके अब अपडेटेड टीम नहीं रही। ऋतुराज खुद कह चुके हैं कि उन्हें मिडिल ऑर्डर में खेलना मजबूरी हो गया है, क्योंकि टीम में कोई और बल्लेबाज नहीं है। एक जमाने में इस टीम में अंबाती रायडू और अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ी हुआ करते थे, जो मैच जिताने का माद्दा रखते थे। लेकिन अब मिडिल ऑर्डर में ऐसा कोई बल्लेबाज नहीं है, जो मैच फिनिश कर सके। इसीलिए सारा भार ऋतुराज गायकवाड़ के कंधों पर आ गया है। पहले सीएसके ऐसे मैच जीत लेती थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। गेंदबाजी पहले से कमजोर हो चुकी है, और सबसे खतरनाक स्थिति बल्लेबाजी की है। अगर कोई टीम तीन ओवर में सिर्फ पांच रन बना रही है, तो यह अपराध जैसा माना जाएगा। तुषार देशपांडे और जोफ्रा आर्चर के सामने चेन्नई सुपर किंग्स पावरप्ले में सिर्फ पांच रन बना पाई, और यहीं से मैच खत्म हो गया। दुनिया की बाकी टीमों के पास फिल साल्ट, ट्रैविस हेड, रिकल्टन जैसे विस्फोटक बल्लेबाज हैं, लेकिन सीएसके के पास कोई पावर हिटर नहीं है।

इस मैच में भी धोनी को दोष मत दीजिए। धोनी के आने से पहले ही सीएसके यह मैच हार चुकी थी। धोनी जब बल्लेबाजी के लिए आए, तब चार ओवर में 54 रन चाहिए थे। इससे पहले जडेजा ने 13 गेंदों पर 13 रन बनाए थे। धोनी अब सिर्फ नॉस्टैल्जिया का हिस्सा हैं, वर्तमान का नहीं। धोनी अब खेल रहे हैं सिर्फ ब्रांड वैल्यू की वजह से। जिस दिन धोनी टीम से हटेंगे, सीएसके का ब्रांड वैल्यू गिर जाएगा, और फ्रेंचाइजी को भारी नुकसान होगा। शायद इसीलिए धोनी खुद भी मजाक में कहते हैं कि मुझे व्हीलचेयर पर भी खिलाया जाएगा। धोनी को अब जितना हासिल करना था, वो कर चुके हैं। अब उन्हें बस क्रिकेट का मजा लेने दिया जाना चाहिए। अगर कोई 43 साल के धोनी से यह उम्मीद कर रहा है कि वे मैच जिताएंगे, तो फिर युवा खिलाड़ियों का क्या काम रह जाएगा?

इससे पहले भी हमने बताया था कि सीएसके की हालत खराब होने वाली है, और राजस्थान ने उसे हरा दिया। क्रिकेट सिर्फ अंधाधुंध अनुमान लगाने का खेल नहीं है, इसमें समझदारी भी जरूरी होती है। सीएसके के पास सिर्फ कुछ ही अच्छे खिलाड़ी हैं—ऋतुराज गायकवाड़, रचिन रविंद्र और शुभम दुबे, और इनमें से भी दुबे इस सीजन में खास प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। अगर ये तीन खिलाड़ी नहीं चले, तो मैच खत्म। यही इस टीम की असली कमजोरी है।

अब सवाल उठता है कि मुंबई इंडियंस और केकेआर के बीच होने वाले मुकाबले में कौन जीत सकता है। मुंबई की टीम इस वक्त बिखरी हुई नजर आ रही है, लेकिन यह मैच मुंबई में हो रहा है, और अगर तिलक वर्मा, रोहित शर्मा या सूर्यकुमार यादव कोई बड़ी पारी खेल देते हैं, तो मुंबई जीत सकती है। हालांकि, टीम कॉम्बिनेशन को देखते हुए केकेआर मजबूत नजर आ रही है।

जहां तक सीएसके का सवाल है, यह टीम आने वाले तीन सालों तक इसी स्क्वाड के साथ रहने वाली है। इसलिए सीएसके को समझना होगा कि सिर्फ ऋतुराज, रचिन रविंद्र और शुभम दुबे के भरोसे मैच नहीं जीते जा सकते। धोनी का हाइप बनाकर जीतना अब संभव नहीं है। धोनी अब सिर्फ ब्रांड वैल्यू के लिए खेल रहे हैं, और जिस दिन वे हटेंगे, सीएसके का ग्राफ गिर जाएगा। यही सच्चाई है, और इसी सच्चाई को स्वीकार करने की जरूरत है।

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