OPINION: भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई ठंडी न पड़े
-डॉ. आशीष वशिष्ठ
पिछले दिनों दो मौकों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर बड़ा हमला बोला. पहला अवसर था भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के विस्तार का कार्यक्रम और दूसरा केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की 60वीं सालगिरह. दोनों मौकों पर प्रधानमंत्री ने बिना किसी लाग लपेट के भ्रष्टाचार की सर्जरी करने में संकोच नहीं किया. प्रधानमंत्री ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को हरी झंडी दे दी है कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई रुकनी नहीं चाहिए. भ्रष्टाचार का इकोसिस्टम 300 दिन में खत्म करना है. विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई का मकसद विपक्ष को डराना और सत्ता हासिल करना रहा है. लेकिन यह आरोप पूरी तरह सही नहीं है. केंद्र सरकार ने राजनीति सहित अनेक क्षेत्रों में भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई की है. इसकी शुरुआत केंद्र सरकार के प्रशासन में जड़ें जमाए भ्रष्ट अधिकारियों को जबरन रिटायर करके की गई थी. बाद में गैर-राजनीतिक दूसरे क्षेत्रों में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई है.
प्रधानमंत्री ने अपने ताजा संबोधनों में किसी भ्रष्टचारी का नाम नहीं लिया लेकिन जिनके बारे में वो बोल रहे थे, वहां तक साफ संदेश पहुंच गया है. और जिस तरह भ्रष्ट नेता और प्रभावशाली लोग जांच एजेंसियों को धमकाने और अपनी सत्ता आने पर अंजाम भुगतने की बातें कर रहे थे, उनका तक भी ये मैसेज पहुंच गया है कि एजेंसियों की कार्रवाई रूकने वाली नहीं है. चूंकि प्रधानमंत्री ने एजेंसियों का एक तरह से संदेश दे दिया है कि सरकार उनके साथ है. ऐसे में एजेंसियां बिना किसी भय, दबाव या धमकी के अपनी कार्रवाई को अंजाम देंगी.
सीबीआई की 60वीं सालगिरह के अवसर पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह आह्वान किया है, लेकिन भ्रष्टाचार का समग्रता में नाश करना है, यह उनका मन्तव्य रहा है. प्रतिक्रिया में विपक्ष का चिलचिलाना स्वाभाविक है, क्योंकि जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं या आरोप-पत्र अदालत में दाखिल किए जा चुके हैं अथवा न्यायाधीशों ने आरोप भी तय कर दिए हैं या जो राजनेता जेल की सलाखों के पीछे हैं, वे कमोबेश 2024 के चुनाव तक ‘मुक्त’ नहीं हो सकेंगे, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ आक्रामक होकर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. कुछ केस ऐसे भी संभव हैं कि उन्हें 2 साल या अधिक की सजा हो और वे चुनाव के अयोग्य ही करार दे दिए जाएं. प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार को सामान्य अपराध नहीं मानते और सीबीआई को सत्य और न्याय का ‘ब्रांड’ मानते हैं, लिहाजा जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी ज्यादा मान रहे हैं. कांग्रेस, एनसीपी, तृणमूल, बीआरएस, द्रमुक, शिवसेना (उद्धव गुट) और ‘आप’ आदि विपक्षी दलों के नेता जेल में हैं या भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं. प्रधानमंत्री मोदी के कालखंड के दौरान 124 नेता सीबीआई के शिकंजे में फंस चुके हैं.
प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों जो संदेश जांच एजेंसियों को दिए उनका निहितार्थ यह है कि जिनके खिलाफ सीबीआई के केस चल रहे हैं, वे बहुत ताकतवर लोग हैं और संस्थाओं की छवि भी बिगाडने का काम करेंगे, लेकिन हमें भ्रष्टाचार को समाप्त करना है. आपका फोकस भी आपके काम पर होना चाहिए. भ्रष्टाचार गरीब के हक छीनता है. प्रतिभाएं बलि चढ़ जाती हैं. भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को पैदा करता है. भ्रष्टाचार न्याय और लोकतंत्र के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है. भ्रष्टाचार की कार्रवाई किसी भी बड़े व्यक्ति के खिलाफ हो, आपको उसे अंजाम देना है. भ्रष्टाचार के खिलाफ यह देश की इच्छा है और कानून तथा संविधान आपके साथ हैं. आपको डरना और हिचकिचाना नहीं है. ताकतवर लोग सालों-साल सत्ता में रहे हैं और सिस्टम का हिस्सा भी रहे हैं, आज भी कुछ राज्यों में वे सत्ता में हो सकते हैं, लिहाजा वे इस भ्रष्ट इकोसिस्टम के हिस्सा रहे हैं. अब यह सीबीआई की जिम्मेदारी है, क्योंकि उसमें जनता का विश्वास बढ़ा है. जांच एजेंसियों के नाम कई उपलब्धियां हैं. प्रधानमंत्री के इस संबोधन और आह्वान से स्पष्ट है कि अभी सीबीआई, ईडी आदि के छापे बढ़ेंगे, संपत्तियां जब्त की जाएंगी और संभव है कि प्रधानमंत्री ने 2024 का आम चुनाव भ्रष्टाचार के प्रमुख मुद्दे पर लडना तय कर लिया है!
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की साल 2005 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सार्वजनिक कार्यालय से काम कराने के लिए भारत के 62 फीसदी लोगों को रिश्वत देने का अनुभव है. भ्रष्टाचार के कम जोखिम और अधिक इनाम वाली गतिविधि बनने का मुख्य कारण है, अब तक बहुत कम लोगों को भ्रष्टाचार के लिए सजा मिल पाना. आपराधिक न्याय प्रणाली ने शिकायत करने वाले की कम और भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी की अधिक सुनी है. फैसले आने में देरी के कारण आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से ठप्प हो गई है. भ्रष्टाचार के कारण भारत को अपनी कुल जीडीपी का डेढ़ से दो फीसदी का नुकसान उठाना पड़ता है.
जांच एजेंसियों ने 2014-22 के दौरान 1.10 लाख करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की हैं, जबकि 2004-14 के दौरान कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार में यह आंकड़ा 5346 करोड़ रुपए था. कई गुना का फासला है. स्पष्ट है कि जांच एजेंसियों ने ज्यादा छापे मारे हैं और ज्यादा संपत्तियां जब्त की हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने देश को खुलासा किया है कि करीब 2.25 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचाए गए हैं और लाभार्थियों को सीधा लाभ मिल रहा है. इसमें जन-धन खातों, आधार और मोबाइल का बहुत बड़ा योगदान है. सरकार ने 8 करोड़ से ज्यादा फर्जी लाभार्थियों के नाम सिस्टम से मिटा दिए हैं. यह भी भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक कार्रवाई है.
देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई बहुत समय से चली आ रही है. यह परिणाम तक कब पहुंचेगी कह पाना कठिन है. पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह पनपने में मदद की है. बहरहाल, यह टिप्पणी कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च अदालत के फैसले को रद्द करते हुए की है. अदालत ने कहा कि संविधान के तहत स्थापित अदालतों का देश के लोगों के प्रति कर्तव्य है कि वे दिखाएं कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. साथ ही वे अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करें.
प्रधानमंत्री मोदी की पूरी राजनीतिक जीवन यात्रा को ध्यान से देखें तो उन्होंने हर जगह भ्रष्टाचार को समाप्त करने और संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने का काम किया है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने राज्य से भ्रष्टाचार समाप्त कर राज्य को विकास की दौड़ में सबसे आगे पहुंचाया. उनकी यह सोच आज प्रधानमंत्री बनने के बाद भी जारी है. बेशक सीबीआई, ईडी के दुरुपयोग को लेकर विपक्ष ने, मोदी सरकार के खिलाफ, एक सुनियोजित अभियान जारी रखा है, उसके बावजूद प्रधानमंत्री ने जांच एजेंसियों को ‘हरी झंडी’ दी है कि जांच और कार्रवाई ठंडी नहीं पडनी चाहिए.
प्रधानमंत्री ने यह आंकड़ा भी देश के सामने रखा कि कुछ भगोड़े अपराधियों की 20,000 करोड़ रुपए की संपत्तियां कानूनन जब्त की जा चुकी हैं. वर्ष 2022 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों के सहयोग से 2047 तक भारत को एक ‘विकसित और वैभवशाली राष्ट्र’ बनाने का संकल्प लिया था. और इसमें कोई दो राय नहीं है कि भ्रष्टाचार को खत्म किए बिना यह संकल्प पूरा नहीं किया जा सकता, लिहाजा भ्रष्टाचार पर हमले की पीएम मोदी की बात और जांच एजेंसियों का उनके संदेश को इसी संदर्भ में लिया जाना चाहिए.
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