योगी सरकार इस जिले का करेगी अब विकास, जल्द तैयार होगा ब्लू प्रिन्ट
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महाकुंभ से लौटने के बाद मुख्यमंत्री ने वहां की यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से कहा कि महाकुंभ जाने वाले मार्गों पर यातायात थमने न दें। वाहनों को पार्किंग स्थलों पर ही लगवाएं। योगी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर अधिकारियों से कहा कि प्रयागराज में हर दिशा से लोगों का आगमन हो रहा है। कहीं भी सड़कों पर वाहनों की कतार नहीं लगनी चाहिए, जाम की स्थिति बिल्कुल न बने।
कुशीनगर को पर्यटन विकास की दरकार
कुशीनगर में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं
पर्यटन क्षेत्र में यूपी बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक लोगों की देश-दुनिया से आमद के बाद अब सरकार की योजना पर्यटकों के ठहरने के स्थल और अन्य सुविधाएं बढ़ाने की है। देशी पर्यटकों के मामले में यूपी लगातार शीर्ष पर बना हुआ है। अब विदेशी पर्यटकों को भी लुभाने की है। दरअसल केंद्र सरकार ने जिन 50 स्थानों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की बात कही है, उसमें जमीन की उपलब्धता अनिवार्य है। यही कारण है कि शुरुआत कुशीनगर से की जा रही है। वहां पर्यटन विभाग के पास 50 एकड़ से अधिक भूमि उपलब्ध है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह का कहन अगला है कि इसे लुम्बिनी की तर्ज पर विकसित करने की रूपरेखा लेख बनाई जा रही है। इसके लिए जल्द एक कंसल्टेंट का चयन भी किया जाएगा। यही कंसल्टेंट पूरा ब्लू प्रिंट तैयार करेगा। उन्हों ऐप पर कहा कि अन्य स्थलों पर भी जमीन की उपलब्धता दिखवाइ पढ़ें रही है। जहां जमीन नहीं है, वहां हम दूसरे विभागों की मदद से इसकी व्यवस्था का प्रयास कर रहे हैं। जयवीर ने कहा कि यूपी में पांच नये स्थलों के विकास की योजना है। इसके लिए बुद्ध सर्किट के विकास का खाका खींचा जा रहा है। हालिया दिनों में इसी कड़ी में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत यूपी दौरे पर आए थे। शेखावत प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के साथ कुशीनगर भी गए थे। बजट में प्रमुख बौद्ध स्थलों की दशा बदलने पर इस बार खासा जोर है। बुद्ध की धरा कुशीनगर विश्व पटल पर काफी विख्यात है। देश ही नहीं बल्कि विश्व के देशों में इस स्थल का ऐतिहासिक धार्मिक व पुरातात्विक महत्व है। लेकिन विकास के पथ पर अभी यहां काफी बदलाव की दरकार है। स्थल महत्व के हिसाब से अब तक यहां का पर्यटन विकास नहीं हो सका है। जो योजनाएं चल रही हैं, वह पूरी होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं ऐसे भी स्थल हैं, जहां अब तक जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ी हैं। बजट मिलने के बाद अगर इन पर ध्यान दिया जाए तो न सिर्फ यहां की दशा बदल जाएगी, बल्कि बुद्ध की यह धरती पर्यटकों को भी लुभाएगी और विकास के साथ रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे।