यूपी में महंगी होगी बिजली ?, अब इन लोगो को और होगा नुक़सान!
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यूपी विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित मल्टी ईयर टैरिफ वितरण रेगुलेशन 2025 का उपभोक्ताओं ने विरोध जताया। परिषद ने कहा कि बिजली चोरी सहित कामर्शियल लाइन लॉस व बिजली कंपनियों की अक्षमता का खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ता नहीं भुगतेंगे। इसके विरोध में आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। आपको बता दें कि आयोग अब अगले पांच वर्ष का रेगुलेशन तय करने जा रहा है।
यूपी में महंगी हो जाएगी बिजली
यूपी विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित मल्टी ईयर टैरिफ वितरण रेगुलेशन-2025 का उपभोक्ताओं ने ऑनलाइन रायशुमारी में विरोध जताया। टैरिफ प्रस्ताव का विरोध कर रही उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने शनिवार को यह रायशुमारी कराई। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बिजली महंगी हो सकती है। नियामक आयोग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के मुताबिक, बिजली चोरी, घपले, वाणिज्यिक नुकसान समेत होने वाले कई घाटों का भुगतान अब प्रदेश के उपभोक्ता करेंगे। इसका सीधा मतलब है कि उपभोक्ताओं को पहले के मुताबिक महंगी बिजली दर चुकानी होगी। परिषद ने कहा कि बिजली चोरी सहित कामर्शियल लाइन लॉस व बिजली कंपनियों की अक्षमता का खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ता नहीं भुगतेंगे। इसके विरोध में आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि नियामक आयोग मल्टी ईयर टैरिफ वितरण रेगुलेशन के आधार पर बिजली की दरें तय करता है। परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से यह अपील की है कि उपभोक्ताओं के हित के लिए पुराने रेगुलेशन को ही रखा जाए। पूर्व में लागू कानून के अनुसार, यह व्यवस्था थी कि बिजली चोरी सहित अन्य प्रकरणों का खामियाजा उपभोक्ताओं को नहीं उठाना पड़ेगा, क्योंकि इसके लिए विजिलेंस विंग, बिजली थाना और अन्य व्यवस्थाएं मौजूद थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि अगर नया रेगुलेशन जारी हो गया तो बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी होगी। इससे सीधा फायदा निजी बिजली कंपनियों को होगा, जबकि नुकसान का भार उपभोक्ता उठाएंगे।
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चोरी और घाटे का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने की तैयारी
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आयोग अब अगले पांच वर्ष का रेगुलेशन तय करने जा रहा है। उप्र में बिजली चोरी करने वाले विद्युत उपभोक्ताओं को पावर कारपोरेशन 65 प्रतिशत तक चोरी के राजस्व निर्धारण में छूट देता है। पिछले वर्षों में लगभग 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की माफी दी गई। अब विद्युत नियामक आयोग द्वारा एक तरफा रेगुलेशन ;कानून प्रस्तावित किया जा रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया है। परिषद के मुताबिक, नए मानकों की वजह से निजी कंपनियों को फायदा और बिजली उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इस मामले पर 56 पेज का ड्राफ्ट जारी किया, जो पांच साल के लिए तैयार किए गए मल्टी ईयर वितरण टैरिफ रेगुलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद है। इस ड्राफ्ट के तहत नए रेगुलेशन पर 15 फरवरी तक आपत्ति और सुझाव मंगाए गए हैं। 19 फरवरी को इन पर सुनवाई होगी और फिर इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर अभी तक जो 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकला है, आने वाले वर्षों में उपभोक्ताओं को उसकी वापसी कैसे दी जाएगी। इसका प्रस्तावित कानून में जिक्र तक नहीं किया गया है। आयोग ने स्वत, वर्ष 2024-25 के बिजली दर के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि बिजली चोरी व अन्य अक्षमता का खामियाजा बिजली उपभोक्ता नहीं भुगतेंगे, अब यह राय बदल ली गई है।