चेक बाउंस करना पड़ सकता है भारी! जानिए नियम, सजा और पूरा कानूनी प्रोसेस
चेक बाउंस पर सजा और जुर्माना! जानिए पूरा कानून
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चेक बाउंस होना कोई आम बात नहीं है, इसे कानून के तहत अपराध माना जाता है। अगर किसी का चेक बाउंस होता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है और जरूरत पड़ने पर सजा भी हो सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि चेक बाउंस होते ही तुरंत सजा हो जाती है। कानून चेक देने वाले व्यक्ति को भुगतान करने का पूरा मौका देता है।
इससे जुड़े नियम इनकम टैक्स विभाग और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की गाइडलाइन में साफ तौर पर बताए गए हैं। अगर किसी का चेक बाउंस होता है तो सबसे पहले उसे नोटिस भेजा जाता है और पैसे चुकाने के लिए तय समय दिया जाता है। अगर वह तय समय में पैसे नहीं देता, तभी कानूनी कार्रवाई शुरू होती है। आइए जानते हैं चेक बाउंस से जुड़ी सजा और भुगतान के लिए कितना वक्त मिलता है।
कैसे होता है चेक बाउंस?
अगर किसी के खाते में उतनी राशि नहीं होती, जितनी उसने चेक पर लिखकर दी है, तो बैंक वह चेक बाउंस कर देता है। यानी चेक रिजेक्ट हो जाता है। हालांकि खाते में पैसे न होने के अलावा भी कई कारणों से चेक बाउंस हो सकता है, लेकिन सबसे आम वजह यही मानी जाती है। जब चेक बाउंस होता है तो बैंक उस व्यक्ति के खाते से जुर्माना काट लेता है, जिसने चेक जारी किया था। इसके अलावा कोर्ट भी अलग से जुर्माना या सजा का आदेश दे सकती है। यानी चेक बाउंस होने पर चेक देने वाले की परेशानी बढ़ जाती है।
चेक बाउंस की रसीद जरूरी है
चेक बाउंस पर क्या सजा होती है?
अगर चेक बाउंस का केस साबित हो जाता है तो चेक देने वाले को दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। साथ ही उसे ब्याज समेत बकाया रकम भी लौटानी पड़ सकती है। कोई भी चेक बैंक में लगाने के 3 महीने तक वैध रहता है। इसके बाद वह अमान्य हो जाता है। इसलिए समय रहते चेक को कैश करा लेना जरूरी है।