गोरखपुर से लखनऊ के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चलेंगी ट्रेन
बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किलोमीटर रेल रूट पर 316 करोड़ रुपये खर्च करके विद्युत क्षमता बढ़ाई जाएगी
पूर्वोत्तर रेलवे के खाते में जल्द ही एक और उपलब्धि दर्ज हो जाएगी, यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी और रेल नेटवर्क के रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे की मंजूरी मिल गई है। इससे पूर्वोत्तर के राज्यों को जाने वाली ट्रेनों की गति में सुधार आएगा। सर्वे का काम पूरा होने की उम्मीद है।
गोरखपुर में बनेगी चौथी रेल लाइन
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रयागराज में सोमवार से शुरू हुए महाकुंभ के लिए भारतीय रेलवे की तैयारी बढ़ाने के लिए रविवार को कई प्रमुख पहल की शुरुआत की। इसका मकसद अगले 45 दिनों तक चलने वाले इस विशाल समागम में शामिल होने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षितए निर्बाध और तकनीकी रूप से उन्नत सेवाएं प्रदान करना है। पूर्वाेत्तर रेलवे के मुख्य रेलमार्ग बाराबंकी से छपरा तक हाईस्पीड ट्रेनें चलेंगी. रेलवे प्रशासन ने युद्धस्तर पर तैयारी शुरू कर दी है.इसके लिए गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किलोमीटर रेल रूट पर 316 करोड़ रुपये खर्च करके विद्युत क्षमता बढ़ाई जाएगी. रेलमार्ग पर लगे ओएचई (ओवरहेड इक्यूपमेंट) में बह रही बिजली की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि सेमी हाईस्पीड वंदे भारत सहित अन्य ट्रेनें चलाई जा सकें। देशभर से महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओंए तीर्थयात्रियों और यात्रियों की सहूलियत के लिए रेलवे ने खास तैयारी की है। इसमें 24 घंटे कुंभ वॉर रूम, सभी निकटवर्ती स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे, बहुभाषी संचार प्रणाली और अतिरिक्त टिकट काउंटर आदि शामिल हैं। रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने बताया कि रेलवे बोर्ड स्तर पर एक समर्पित वॉर रूम, का उद्घाटन किया गया है।
यह 24 घंटे काम करेगा, जिसमें परिचालन, वाणिज्यिक, आरपीएफ, मैकेनिकल, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल विभागों के अधिकारी गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करेंगे। पूर्वाेत्तर रेलवे के मुख्य रूट पर बिजली क्षमता बढ़ने के साथ ट्रैक की क्षमता भी बढ़ जाएगी. ट्रेनें 130 से 160 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकेंगी. पूर्वाेत्तर रेलवे की लाइनों पर अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही ट्रेनें चल रही हैं। गोरखपुर कैंट से बाराबंकी तक 176 करोड़ की लागत से तथा गोरखपुर कैंट से छपरा तक 140 करोड़ रुपये की लागत से ओएचई में विद्युत क्षमता दोगुनी की जाएगी. रेलवे प्रशासन ने बिजली के तारों में बिजली की क्षमता बढ़ाने के लिए टेंडर फाइनल कर एजेंसी का चयन कर लिया है. दो साल में विद्युत क्षमता बढ़ाने का कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है. जल्द ही काम शुरू हो जाएगा. फिलहाल इस रूट पर ट्रेनों की गति 110 किमी प्रति घंटे से अधिक नहीं हो पा रही. न ही मांग के अनुसार नियमित ट्रेनें चल पा रही हैं.
सर्वे को मिली मंजूरी, ट्रेनों की बढ़ेगी संख्या
बताया कि थर्ड लाइन बन जाने से ट्रेनों की स्पीड तो बढ़ेगी ही, साथ ही ट्रेनों की संख्या भी बढ़ेगी। अभी लाइन की क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जिससे सभी ट्रेनों को समय पर रास्ता नहीं मिल पा रहा है, इसी वजह से ट्रेनें आए दिन लेट हो रही हैं। प्रस्तावित ट्रेनों को भी नहीं चला पाने की यही वजह है, फिलहाल छपरा से गोरखपुर होते हुए बाराबंकी तक तीसरी लाइन बिछाने का काम तेजी से चल रहा है, इस रूट पर कुछ स्टेशनों के बीच लाइन बिछाने का काम शुरू भी हो गया है, बताया कि जिस एजेंसी को सर्वे का काम मिला है, वह यह काम पूरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट निर्माण विभाग को सौंपेगी, जिसके आधार पर डीपीआर बनाया जायेगा। डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद प्रोजेक्ट को वित्तीय मंजूरी मिलेगी, जिसके मिलते ही चौथी लाइन का भी काम शुरू हो जाएगा। पूर्वाेत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया, ‘रेलवे प्रशासन ट्रैक क्षमता बढ़ाने के साथ ट्रेनों की गति बढ़ाने पर भी तेजी से कार्य कर रहा है. 52 की जगह 60 किग्रा वजन की मजबूत रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं. 350 किलोग्राम के चौड़े और मजबूत स्लीपर लगाए जा रहे हैं. ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए रेल लाइनों पर ‘थिक वेब स्विच’ के अलावा आटोमोटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगाए लगाए जा रहे हैं.
सिग्नल सिस्टम के लग जाने से ट्रेनें एक रेलखंड के एक सेक्शन में एक के पीछे एक चल सकेंगी. स्टेशन यार्डों पर इलेक्ट्रोनिक इंटरलाकिंग सिग्नल सिस्टम लगाया जा रहा है. दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए रेल लाइनों के किनारे बाड़ भी लगाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में पूर्वाेत्तर रेलवे के रूटों पर 130 से 160 किमी प्रति घंटे वाली वंदे भारत सहित गतिमान ट्रेनें ही चलाई जाएंगी. गोरखपुर-अयोध्या-लखनऊ-प्रयागराज के बीच चल रही वंदे भारत अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे की गति से ही चल रही है जबकि पूर्वाेत्तर रेलवे में गोरखपुर से दिल्ली और आगरा के बीच स्लीपर वंदे भारत के अलावा वाराणसी के रास्ते प्रयागराज सहित कुल सात वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना है। बताया कि छपरा से देवरिया सर्वे शुरू हो गया है, खलीलाबाद से बैतालपुर तक 50 किलोमीटर लंबी तीसरी रेल लाइन बिछाने के लिए एफएसएल का काम तेजी से चल रहा है, इसके लिए एक करोड़ 20 लख रुपए का बजट भी जारी हो चुका है, वहीं गोंडा. बुढ़वल के बीच तीसरी लाइन बिछाने का काम काफी तेजी से चल रहा है, उम्मीद की जा रही है कि यह काम 2 साल में पूरा हो जाएगा। इस लाइन के पूरी तरह बिछ जाने से लखनऊ से गोरखपुर और बिहार रूट पर चलने वाली यात्री ट्रेनें अब आउटर, डोमिनगढ़, नकहा और कैन्ट स्टेशनों पर बेवजह नहीं रुकेंगी। माल गाड़ियां भी तेजी से निकल जायेंगी। गोरखपुर जंक्शन पर ट्रेनों का भार कम होगा, बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा रेल मार्ग पर ट्रेनों की क्षमता और रफ्तार बढ़ जाएगी।