Privatisation of Electricity in UP: यूपी में प्राइवेट कंपनियों की भर्ती के विरोध में उतरे कर्मचारी, 76 हजार कर्मी हो जाएंगे बेरोजगार
उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के खिलाफ बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन किया
पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के विरोध में शुक्रवार को भी बिजली कार्मिकों ने काली पट्टी बांध कर कार्य किया। भोजनावकाश और शाम को काम खत्म करने के बाद प्रदेशभर के कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया। संकल्प लिया कि निगमों को निजी हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी को उग्र आंदोलन किया जाएगा।
कॉर्पोंरेशन प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी
उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के खिलाफ बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन किया। जिले भर में कर्मचारियों ने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर अपना आक्रोश जाहिर किया। यह विरोध जनवरी तक जारी रहेगा। यूपी में बिजली के निजीकरण का विरोध हर जिले में चल रहा है. इसी कड़ी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्रान पर बिजली कर्मियों ने बीते दिनों काली पट्टी बांधकर काम किया है. कर्मी रोज शाम को एक घंटा धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि अगर बिजली का प्रदेश में निजीकरण हुआ तो दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के करीब 76 हजार कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. इनमें संविदा और नियमित कर्मचारी शामिल हैं। प्राविधिक संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष धीरेन्द्र सिंह ने कहा कि निजीकरण से कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। निजी कंपनियां केवल मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जिससे सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होगी और जनता को भी अधिक शुल्क चुकाना पड़ेगा। भर्ती का विरोध जतायाः बिजली के निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति शुरू हुई है. इसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर एसडीओ, जेई व अन्य कर्मचारी निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. बीते दिन विद्युत कर्मचारी संयुक्त समिति के बैनर तले प्रदर्शन किया गया. शाम को एक घंटा भोलेपुर स्थित विद्युत वितरण मंडल कार्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन विरोध जताया. इसके साथ ही कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कामकाज किया। प्रदेशभर में स्थित ऊर्जा कार्यालयों एवं विभिन्न परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन करते हुए संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के बाद बड़े पैमाने पर छंटनी होनी तय है। लखनऊ में शक्ति भवन पर अभियंताओं एवं अन्य कार्मिकों ने नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि वे किसी भी कीमत पर निजीकरण नहीं होने देंगे।उग्र आंदोलन की चेतावनी, बोले. बड़े पैमाने पर छंटनी तय
आज लखनऊ समेत राज्य के कई जिलों और परियोजना मुख्यालयों में विरोध सभाएं हुईं। राजधानी में रेजिडेंसी, शक्ति भवन, पारेषण भवन और एसएलडीसी में प्रदर्शन हुए। समिति ने साफ किया कि अगर निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी गई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। आंदोलन जारी रखने का ऐलानः कर्मचारियों ने निजीकरण का फैसला वापस होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का निजीकरण के विरोध में आंदोलन बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को प्रदर्शन के साथ काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध किया गया था. करीब 76 हजार कर्मचारियों की छंटनी की आशंकाः उन्होंने बताया कि उपभोक्ता के साथ निजीकरण का सबसे अधिक खामियाजा बिजली कर्मचारियों को उठाना पड़ेगा. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण होने से करीब 50 हजार संविदा कर्मियों और 26000 नियमित कर्मचारियों की छंटनी होगी. कॉमन कैडर अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों की बड़े पैमाने पर पदवनति और छंटनी में शामिल किया जाएगा. कर्मचारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब तक विरोध प्रदर्शन का कार्य साथ-साथ आंदोलन जारी रहेगा। नौकरी खत्म होने के साथ बेरोजगारी बढ़ेगीः अभियंता संघ शाखा के सचिव रविंद्र पांडेय ने बताया कि कर्मचारियों को कहना है कि निजीकरण के बाद कर्मचारियों की नौकरी समाप्त हो जाएगी. इससे बेरोजगारी बढ़ने के साथ ही कई पद खत्म हो जाएंगे. इसके अलावा किसानों को मुफ्त में बिजली की सुविधा मिल रही है जो निजीकरण के बाद समाप्त हो सकती है. वहीं, गरीब उपभोक्ता मुफ्त कनेक्शन का लाभ उठा रहे हैं. निजीकरण के बाद बिजली महंगी होगी. इसके चलते महंगी बिजली चलाना संभव नहीं होगा।