यूपी में इतनी केवी बिजली चोरी करने पर नहीं होगा FIR !

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यूपी में इतनी केवी बिजली चोरी करने पर नहीं होगा FIR !
UP Bijli Vibhag (2)

भवानी सिंह जो की मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक हैं उन्होंने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्देश घोषित किया। इस आदेश के अनुसार, यदि किसी परिसर के एक हिस्से में पांच किलोवाट तक के घरेलू कनेक्शन पर बहुत सी छोटी-मोटी दुकान संचालित हो रही है, तो बिजली चोरी के मामले में कोई मुकदमा अंकित नहीं किया जाएगा। 

हालांकि, अगर उपभोक्ता कॉमर्शियल कनेक्शन नहीं लेते हैं, तो बिजली निगम राजस्व निर्धारण कार्रवाई करने में सक्षम रह सकता है। इस निर्णय से छोटे व्यवसायियों को राहत मिलेगी, क्योंकि उन्हें अब बिजली चोरी के मामलों में मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह कदम बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो छोटे व्यापारियों को अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेगा। 

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बिजली निगम की इस नई नीति का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सुविधाएं प्रदान करना और छोटे व्यापारियों को प्रोत्साहित करना है।

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उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, यदि किसी घरेलू उपभोक्ता के परिसर का आंशिक उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है और यह भार पांच किलोवाट या उससे कम है, तो इसे विशेष ध्यान में रखा जाएगा। 

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आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसी स्थितियों में, अगर मीटर बाईपास, मीटर टेम्पर या किसी अन्य प्रकार की विसंगति नहीं पाई जाती है, तो संबंधित मामले में धारा-135 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह धारा विद्युत अधिनियम-2003 के अंतर्गत आती है, जो विद्युत चोरी और अनुचित उपयोग से संबंधित है। 

इस आदेश का उद्देश्य घरेलू उपभोक्ताओं के द्वारा व्यावसायिक गतिविधियों के लिए घरेलू बिजली की अनधिकृत उपयोग को रोकना है। आयोग का मानना है कि इस प्रकार के कदम उठाने से विद्युत प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगा। 

इस आदेश के तहत, उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे अपनी घरेलू बिजली का उपयोग केवल घरेलू उद्देश्यों के लिए करें, ताकि किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।

इस संदर्भ में नियमों के अनुसार, उपभोक्ताओं को प्रोविजनल असेसमेंट की राशि के बारे में नोटिस के माध्यम से सूचित किया जाना चाहिए। अवधेश कुमार वर्मा जो की राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष हैं उन्होंने बताया कि "साल 2009 में एक कानून लागू हुआ था, जिसके तहत ऐसे मामलों में बिजली चोरी का मामला अंकित नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति में केवल राजस्व निर्धारण की प्रक्रिया ही की जा सकती है।"

इस कानून के तहत उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि उन्हें पहले से सूचना दी जाए, ताकि वे अपनी स्थिति को समझ सकें और उचित कार्रवाई कर सकें। इससे न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि बिजली वितरण कंपनियों को भी पारदर्शिता के साथ काम करने की आवश्यकता होती है। 

इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सही जानकारी प्रदान करना और उन्हें बिजली के बिलों के संबंध में किसी भी तरह की गलतफहमी से बचाना है। इससे बिजली चोरी के मामलों में भी कमी आएगी, क्योंकि उपभोक्ता अब सही तरीके से अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकेंगे।

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