यूपी में किसानों का उत्पादन दोगुना, करोड़ों का फायदा किसानों के खाते में
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उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन और उत्पादन के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. पर्याप्त जल संसाधनों के बेहतर उपयोग से न केवल प्रदेश आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि ग्रामीण अंचलों में रोजगार के अवसर भी तेजी से बढ़े हैं. मछली पालन को भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है.
प्रदेश में गंगा, यमुना, चम्बल, बेतवा, गोमती, घाघरा और राप्ती सहित अनेक नदियों के किनारे बड़ी संख्या में मछुआ समुदाय निवास करता है, जिनकी आजीविका मुख्यतः मत्स्य पालन, मत्स्याखेट और मत्स्य विपणन पर निर्भर है. बेकार पड़ी भूमि, तालाब, पोखरे और जलाशयों के उपयोग से ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिल रहा है.
वर्ष 2018 में प्रदेश का मछली उत्पादन 6.3 लाख मीट्रिक टन था, जो 2025 में बढ़कर 13.3 लाख मीट्रिक टन हो गया है. यह दोगुने से भी अधिक की वृद्धि है. पिछले तीन वर्षों में ही मत्स्य उत्पादन में 50% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, जबकि 2023-24 में 26% की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई. वर्ष 2020 से अब तक राज्य एवं केंद्र पोषित योजनाओं से 15,542 लाभार्थियों को ₹437.26 करोड़ का अनुदान दिया जा चुका है.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
नीली क्रांति योजना के स्थान पर वर्ष 2020 से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लागू है, जिसका उद्देश्य उत्पादन बढ़ाना, विविधीकरण करना और जल व भूमि संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना है. इसके तहत लाभार्थीपरक व अलाभार्थीपरक दोनों प्रकार की परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.
महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग को परियोजना लागत का 60% तथा अन्य वर्ग को 40% अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है. अब तक इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में हजारों तालाबों का निर्माण, बॉयोफ्लॉक, हैचरी, आरएएस यूनिट, कियोस्क, फीड मिल, जिंदा मछली बिक्री केंद्र और मोटर वाहनों सहित अनेक ढांचागत सुविधाएं विकसित की गई हैं.
वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक 11,654 लाभार्थियों को ₹410.02 करोड़ का अनुदान वितरित किया गया है. वहीं, 2025-26 के लिए 1650 लाभार्थियों का चयन किया गया है, जिन पर ₹73.90 करोड़ की परियोजना लागत प्रस्तावित है.
इसके अतिरिक्त, अलाभार्थीपरक परियोजना के रूप में चंदौली जिले में ₹61.87 करोड़ की लागत से अल्ट्रा मॉडल होलसेल फिश मार्केट स्थापित किया गया है, जिससे प्रदेश में मत्स्य विपणन को नई दिशा मिलेगी.
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