यूपी में अब बिजली होगी प्राइवेट? इन कंपनियों को सौंपा जाएगा काम

यूपी में अब बिजली होगी प्राइवेट? इन कंपनियों को सौंपा जाएगा काम
यूपी में अब बिजली होगी प्राइवेट?

बस और रेल को प्राइवेट कम्पनियो को हाथ में सौपने का काम अब टेड़िग में चल रहा है। अब यूपी में ही बिजली जल्द ही निजी हाथों में सौंपी जा सकती है। प्रदेश के विद्युत निगमों को अब निजी हाथों में देने की तैयारी है। एक दिन पहले पावर कॉरपोरेशन की वित्तीय समीक्षा बैठक में इस पर सहमति जताई गई है। नई व्यवस्था में अध्यक्ष सरकार का प्रतिनिधि और प्रबंध निदेशक प्राइवेट कंपनियों का होगां घाटे की दुहाई देकर प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाया जाएगा। इसकी शुरुआत दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम से करने की तैयारी है।

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प्रबंधन के पद पर प्रबंध निदेशक संबंधित निजी क्षेत्र की कंपनी का होगा, जबकि कार्पाेरेशन का अध्यक्ष सरकार का प्रतिनिधि रहेगा। इसकी भनक लगते ही ऊर्जा संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है और निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का एलान किया है। विद्युत वितरण निगमों को पीपीपी मॉडल के तहत संचालित करने की तैयारी की भनक लगते ही ऊर्जा संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि घटा क्यों हुआ ?

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इसकी पड़ताल की जरूरत है। 24 साल में 77 करोड़ से घटा 1.18 लाख करोड़ पहुंच गया। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने खुली डिबेट की चुनौती भी दी है। इसी तरह उत्तर प्रदेश विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने भी निजीकरण पर आपत्ति जताई है। घाटे से उबरने को लेकर सभी के राय मशविरा लिया जा रहा है। उपभोक्ताओं और निगम में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों को किसी भी स्तर पर प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस साल पावर कार्पाेरेशन को 46130 करोड़ रुपये सरकार से सहयोग की जरूरत पड़ी है।

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अगले वर्ष करीब 50-55 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। अधिकारियों का मत था कि विद्युत क्षेत्र में मांग को देखते हुए दक्ष मैनपावर की अधिक जरूरत पड़ेगी, जिससे और भी अच्छी सेवा शर्ते होने की सम्भावना रहेगी। बैठक में यह भी सुझाव आया कि जहां घाटा ज्यादा है और सभी कोशिशों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है उन्हीं क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने पर विचार किया जाए। अधिकारियों ने बताया कि पीपीपी मॉडल अपनाए जाने पर प्रबंधन में सरकार की भी हिस्सेदारी रहेगी। यदि प्रबंध निदेशक निजी क्षेत्र का होगा तो अध्यक्ष पद पर सरकार का प्रतनिधि रहेगा। यह भी बताया गया कि अधिकारियों और कर्मचारियों के सभी हित सुरक्षित रहेंगे।

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उनको पेंशन सहित सभी देय हित लाभ समय से मिलेगा। संविदाकर्मियों के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा। लखनऊ स्थित शक्ति भवन में सोमवार को हुई पावर कार्पाेरेशन की बैठक में सभी वितरण निगमों के प्रबंध निदेशक, निदेशक और मुख्य अभियंताओं से निजीकरण के मुद्दे पर राय मशविरा किया गया। निदेशकों एवं मुख्य अभियंताओं से घाटे से निपटने के सुझाव मांगे गए। इस बीच सहभागिता के आधार पर पार्टनरशिप करके निजी क्षेत्र को जोड़कर सुधार पर चर्चा हुई।

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