उत्तर प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बुरी खबर, वेतन बढ़ोतरी के लिए करना होगा इंतजार
1.jpg)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों (Medical institutions) में तैनात लगभग 50000 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों (Outsourced Employees) के वेतन में वृद्धि अभी तक नहीं हो पाई है। इस समस्या के पीछे प्रमुख कारण इन कर्मचारियों का वेतन निर्धारण न होना बताया जा रहा है। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ (United Healthcare Outsourcing Contract Workers Union) ने चिकित्सा शिक्षा के अपर मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary) को पत्र लिखकर वेतन निर्धारण प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने की मांग की है ताकि कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ मिल सके। जानकारी के अनुसार वेतन वृद्धि में देरी के कारण कर्मचारियों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। इस असंतोष का परिणाम किसी आंदोलन के रूप में सामने आ सकता है।
वेतन निर्धारण पर निर्णय में देरी
प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल (State President Ritesh Malla ) ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन निर्धारण का निर्णय पिछले डेढ़ साल से लंबित है। मुख्यमंत्री के आदेश पर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (Director General Medical Education) की अध्यक्षता में एक वेतन समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की रिपोर्ट तैयार कर 9 जून 2023 को शासन को प्रस्तुत की थी। लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया और न ही शासनादेश जारी हुआ है।
प्रमुख संस्थानों में स्थिति
केजीएमयू डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान एसजीपीजीआई (KGMU Dr. Ram Manohar Lohia Institute of Medical Sciences SGPGI) और कल्याण सिंह कैंसर संस्थान जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों (Major medical institutes) में लगभग 15000 आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को वेतन वृद्धि (Salary increment) का लाभ मिलना था लेकिन निर्णय में देरी के कारण वे उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। प्रदेश के करीब 50 मेडिकल कॉलेजों में भी हजारों आउटसोर्स कर्मचारी हैं जिन्हें अभी तक उचित वेतनमान नहीं मिल पाया है। समिति गठन के बाद कर्मचारियों को उम्मीद जगी थी लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों से कोई ठोस निर्णय न होने से उनमें निराशा है।