ट्रांसप्लांट के नाम पर मौत! हेयर ट्रांसप्लांट कराने गए इंजीनियर की गई जान, 54 दिन बाद दर्ज हुई FIR

आजकल झड़ते बाल हर दूसरे इंसान की बड़ी चिंता बन चुके हैं। लोग अपने लुक को लेकर इतने परेशान हो चुके हैं कि महंगे से महंगे इलाज, दवाएं और यहां तक कि हेयर ट्रांसप्लांट तक का सहारा लेने लगे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक हेयर ट्रांसप्लांट किसी की जान तक ले सकता है?
यूपी के कानपुर से आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कहानी है पनकी पावर प्लांट में इंजीनियर रहे विनीत दुबे की, जिनका सपना था फिर से अपने बाल पाना... लेकिन इसी सपने ने उनकी जान ले ली।
बालों के लिए उठाया बड़ा कदम, लेकिन...
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जया दुबे का कहना है कि यह डॉक्टर खुद उनके पति से संपर्क में आई थी और ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया था। ट्रांसप्लांट के दौरान ही विनीत के चेहरे पर सूजन आने लगी और हालत बिगड़ती चली गई।
संक्रमण ने ली जान, डॉक्टर ने मानी गलती
विनीत की हालत बिगड़ने पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका था और कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई। जया ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने डॉक्टर से बात की तो डॉक्टर ने अपनी गलती मानते हुए कहा कि ट्रांसप्लांट सही तरीके से नहीं किया गया, जिससे संक्रमण फैल गया।
सोचिए, एक पीएचडी पूरा कर चुका नौजवान, जो जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रहा था, एक गैर-पेशेवर और बिना योग्य डॉक्टर की लापरवाही की भेंट चढ़ गया।
54 दिन बाद दर्ज हुई FIR, परिवार की संघर्षपूर्ण लड़ाई
सबसे शर्मनाक बात यह है कि इस पूरे मामले में परिवार को न्याय की पहली सीढ़ी तक पहुंचने में 54 दिन लग गए। इतने लंबे समय तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई, अस्पताल चक्कर पर चक्कर लगवाता रहा। अंततः जब जया दुबे ने सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, सबूत पेश किए, तब जाकर कल्याणपुर थाने में डॉक्टर अनुष्का तिवारी के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में कुछ तथ्य सामने आए हैं और अब साइंटिफिक एविडेंस समेत अन्य सबूतों को इकट्ठा किया जा रहा है।
फर्जी डॉक्टर, बिना डिग्री—फिर भी खुलेआम काम?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि डॉक्टर अनुष्का तिवारी के पास कोई मेडिकल डिग्री ही नहीं है, फिर भी वह बालों का ट्रांसप्लांट कर रही थी। इस तरह के फर्जी क्लीनिक्स और डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है, जो आम जनता की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
कानून, मेडिकल काउंसिल और प्रशासन क्या कर रहे हैं? क्यों नहीं ऐसे फर्जी डॉक्टरों पर पहले से कार्रवाई होती है?
"एक फोन से बर्बाद हो गई जिंदगी"
जया दुबे ने बताया कि जिस दिन होली थी, उसी दिन उन्हें एक फोन आया कि उनके पति विनीत अस्पताल में भर्ती हैं। जब वह वहां पहुंचीं तो विनीत की हालत बेहद खराब थी। उसी रात उनकी मौत हो गई। बाद में डॉक्टर ने खुद ही एक नंबर से फोन कर बताया कि उनके पति की तबीयत खराब है।
आप कल्पना कीजिए, एक पत्नी को इस तरह की खबर मिलती है, जहां उसका पति उसे बिना बताए ट्रांसप्लांट करवाने चला जाता है और फिर लौटकर कभी वापस नहीं आता।
प्रशासन से गुहार: "सलाखों के पीछे भेजो ऐसी डॉक्टर को"
आज जया दुबे बस यही चाहती हैं कि उन्हें न्याय मिले। उनका कहना है कि जिस तरह से एक फर्जी डॉक्टर ने उनके पति की जान ली, वैसा किसी और के साथ न हो। ऐसी जालिम डॉक्टर को सजा मिलनी चाहिए ताकि कोई और परिवार इस पीड़ा से न गुज़रे।
सिस्टम पर सवाल, लोगों को चेतावनी
इस घटना ने न सिर्फ प्रशासन और चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोली है, बल्कि आम लोगों को भी चेतावनी दी है। हेयर ट्रांसप्लांट या किसी भी कॉस्मेटिक सर्जरी से पहले डॉक्टर की योग्यता, अनुभव और क्लिनिक की प्रमाणिकता जरूर जांचें। सस्ते ऑफर या प्रचार-प्रसार के झांसे में आकर अपनी जान जोखिम में न डालें।