यूपी में ट्रैफिक नियम को लेकर नई अधिसूचना जारी
.png)
उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया है. हाल ही में जारी नई अधिसूचना के तहत राज्य में पहली बार मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर को चुनिंदा यातायात अपराधों पर सीधे जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है. अब तक यह अधिकार केवल ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों के पास ही सीमित था.
यातायात अपराधों पर जुर्माना लगाने का अधिकार
परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा इस निर्णय का उद्देश्य यातायात व्यवस्था को मजबूत करना और नियमों के उल्लंघन को कम करना है। इससे ईमानदार चालकों को राहत और लापरवाह लोगों पर लगाम लगेगी. प्रदेश में पहली बार परिवहन विभाग के मोटर वाहन निरीक्षकों (एमवीआई) को यातायात नियमों के उल्लंघन से संबंधित कुछ अपराधों पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है. यह अधिकार देश के कई अन्य राज्यों में पहले से लागू था. लेकिन उत्तर प्रदेश में यह पहली बार एमवीआई को औपचारिक रूप से सौंपा गया है. अब इन अधिकारियों को ई.चालान प्रणाली से जोड़ा जा रहा है ताकि जुर्माना लगाने की प्रक्रिया डिजिटल और ट्रैक की जा सकने योग्य हो.
समझौता करना अपराधियों और प्रवर्तन अधिकारियों के बीच एक तत्काल समझौता है, जो उल्लंघनकर्ताओं को प्रत्येक समझौता योग्य अपराध के लिए निर्दिष्ट शुल्क या जुर्माना का भुगतान करके अदालती कार्यवाही से बचने की अनुमति देता है. एक वरिष्ठ परिवहन अधिकारी ने कहा, ताजा अधिसूचना में एकमात्र नई बात यह है कि यह मोटर वाहन निरीक्षकों को अपराधों, मुख्यतः छोटे अपराधों, को भी निपटाने का अधिकार देती है. उन्होंने कहा, मोटर वाहन निरीक्षकों, जिन्हें क्षेत्रीय निरीक्षक भी कहा जाता है, को कभी भी अपराधों पर लगाम लगाने का अधिकार नहीं दिया गया. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों और आम लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया है. उनका मानना है कि इससे सड़कों पर अनुशासन बढ़ेगा और दुर्घटनाओं में कमी आएगी. राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने पिछले साल दिसंबर में सहायक मोटर वाहन निरीक्षकों (एएमवीआई) के 351 पदों के सृजन को मंजूरी दी थी. वे तहसील स्तर के पदाधिकारियों के रूप में काम करेंगे.
Read Below Advertisement
पहली बार लागू हुआ अधिकार
सरकार ने यातायात व्यवस्था को सख्त और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है. अब राज्य में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर को भी कुछ चुनिंदा यातायात अपराधों पर मौके पर ही जुर्माना लगाने का अधिकार दे दिया गया है. पहले यह अधिकार केवल ट्रैफिक पुलिस के पास था. जिन अपराधों के लिए संयुक्त जुर्माना स्वीकार किया जाएगा, उनमें अवैध पार्किंग, ड्राइविंग या प्रदूषण प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करना, वाहनों का अनधिकृत संचालन, ओवरलोडिंग, परमिट का दुरुपयोग और वाहन चलाते समय हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरणों का उपयोग शामिल हैं. इनमें अवैध पार्किंग, ड्राइविंग या प्रदूषण प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करना, वाहनों का अनाधिकृत संचालन, ओवरलोडिंग, परमिट का दुरुपयोग और वाहन चलाते समय हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरणों का उपयोग जैसे उल्लंघन शामिल हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत विभिन्न यातायात और परिवहन से संबंधित अपराधों के लिए समझौता प्रावधानों का विवरण देते हुए एक नई अधिसूचना जारी की है. सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 21 के साथ अधिनियम की धारा 200 (1) के तहत जारी अधिसूचना, 30 जुलाई, 2020 के पिछले आदेश को रद्द कर देती है.
प्रमुख सचिव, परिवहन द्वारा 22 अप्रैल को अधिसूचित नए नियमों के तहत, परिवहन और पुलिस विभागों के नामित अधिकारियों के साथ-साथ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को विभिन्न प्रकार के अपराधों के लिए संयोजन जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है. कुछ अपराधों और उनके लिए निर्धारित शुल्क में पार्किंग उल्लंघन शामिल हैरू पहली बार अपराध करने पर 500 रुपये तथा बार-बार अपराध करने पर 1,500 रुपये. दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफलतारू ₹ 500- रु 1,500, वैध लाइसेंस के बिना वाहन चलानारू ₹ 5,000, बिना बीमा वाले वाहन चलानारू ₹ 2,000-₹4,000, वैध प्राधिकारी की अवज्ञाः ₹ 2,000; ओवरलोडिंगरू ₹20,000 $ ₹2,000 प्रति अतिरिक्त टन, पंजीकृत नंबरों के साथ छेड़छाड़रू ₹ 5,000-₹10,000; तेज गति से वाहन चलानाः हल्के मोटर वाहन के मामले में ₹ 2000 तथा मध्यम एवं भारी यात्री/माल वाहनों के मामले में ₹ 4000, वाहन चलाते समय संचार उपकरण का प्रयोगः प्रथम अपराध के मामले में ₹ 1,000 तथा प्रयोग न करनारू ₹ 1,000 तथा हेलमेट न पहननाः ₹ 1,0001 द्वितीय अपराध के मामले में ₹ 10,000, सुरक्षा