यूपी में इस जगह होगा भूमि अधिग्रहण, मिलेगा 4 गुना मुआवज़ा
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कानपुर विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना न्यू कानपुर सिटी अब वास्तविकता की ओर बढ़ रही है. शासन ने इस योजना के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु करोड़ो रुपये की पहली किश्त जारी की है. जिससे इस परियोजना को धरातल पर उतारने का मार्ग प्रशस्त हुआ है.
अधिग्रहण के लिए शासन ने दी मंजूरी
भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों को चार गुना सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त करोड़ो रुपये की सीड कैपिटल के रूप में जारी की गई राशि से अधिग्रहण प्रक्रिया को गति मिलेगी. न्यू कानपुर सिटी योजना में आवासीय प्लॉट्स, स्कूल, अस्पताल, मॉल, मल्टीप्लेक्स, सामुदायिक केंद्र जैसी सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए केडीए ने चरणबद्ध विकास की योजना बनाई है. इसके अलावा भूमि पर भी आवासीय योजना विकसित की जाएगी. न्यू कानपुर सिटी योजना में शासन ने भूमि अर्जन की स्वीकृति दे दी है. इसके लिए एग्रिमा कंपनी को जिम्मेदारी दी है. कंपनी क्षेत्र में दो माह शिविर लगाकर जनसुनवाई करेगी.
इसके बाद जमीन अधिग्रहण शुरू होगा. जमीन देने वालों को मुआवजा प्रशासन देगा. अभी केडीए किसानों से सीधे जमीन खरीद रहा है और सर्किल रेट का चार गुणा मुआवजा दिया जा रहा है. योजना में 89.69 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जानी है. इसमें अभी तक 60 हेक्टेयर जमीन की केडीए रजिस्ट्री करा चुका है. विशेष कार्याधिकारी ने बताया कि अभी केडीए किसानों से रजिस्ट्री कराने के साथ ही मुआवजे की चेक भी देता जा रहा है. अर्जन प्रक्रिया में केडीए भूमि मालिक को नोटिस देगा. उनकी आपत्ति सुनी जाएगी. इसकी एक कापी एडीएम (भू अध्याप्ति) को दी जाएगी. अर्जन की स्वीकृति मिलने पर केडीए जमीन पर कब्जा ले लेगा. मुआवजे की रकम जिला प्रशासन के पास जमा कराई जाएगी. उसके बाद जमीन के मालिक को मुआवजा लेने के लिए जिला प्रशासन जाना होगा.
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विकास की दिशा, अब तक अधिग्रहित भूमि
न्यू कानपुर सिटी योजना के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु शासन से मिली मंजूरी और वित्तीय सहायता से इस परियोजना को साकार करने में मदद मिलेगी. यह योजना कानपुर के शहरी विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी और क्षेत्रीय विकास को नई दिशा प्रदान करेगी. इस परियोजना के पूरा होने से न केवल यात्रा में सुविधा होगी. बल्कि क्षेत्रीय विकास और सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण लाभ होंगे. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4(1) के तहत, भूमि अधिग्रहण से पहले एक अधिसूचना जारी की जाती है, उसमें बताया जाता है कि किसी खास ज़मीन का इस्तेमाल सार्वजनिक कामों के लिए ज़रूरी है या ज़रूरी होने की संभावना है. उसके बाद जमीन का अर्जन यानी भूमि अधिग्रहण, सरकार द्वारा निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को जबरन हासिल करना होता है. यह ज़मीन, सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अधिग्रहीत की जाती है. इनमें सरकारी परियोजनाएं, सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाएं और निजी परियोजनाएं शामिल हैं.
वहीं, योजना में भूखंड की मांग को देखते हुए अब 14 सौ की जगह करीब दो हजार भूखंड विकसित किए जाएंगे. इसका लेआउट तैयार कर लिया गया है. अब केवल केडीए बोर्ड की मुहर लगना बाकी है. केडीए के विशेष कार्याधिकारी डा. रविप्रताप सिंह ने बताया कि शासन ने भू-अर्जन प्रक्रिया लागू करने की स्वीकृति दे दी है. इसका प्रकाशन भी कर दिया गया है. तय कंपनी के प्रतिनिधि किसानों से बात करेंगे और सुनवाई करेंगे. केडीए के अधिशासी अभियंता अमन तिवारी ने बताया कि संशोधित नया लेआउट तैयार किया जा रहा है. इसमें करीब दो हजार भूखंड विकसित किए जाएंगे. केडीए बोर्ड की बैठक में जल्द प्रस्ताव रखा जाएगा. दो माह में प्रक्रिया पूरी करके जमीन अधिग्रहीत की जानी है. हालांकि अभी तक 60 हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री किसानों से कराई जा चुकी है. किसानों से लगातार बात की जा रही है। अगर रजिस्ट्री कराना चाहते हैं तो वह भी कराई जाएगी. योजना का खाका दो माह में धरातल पर दिखने लगेगा. विकास कार्य कराने के लिए नक्शा तैयार किया जा रहा है.