योगी आदित्यनाथ के आदेश पर हरकत में आया विकास प्राधिकरण, अंसल के मालिक पिता पुत्र पर FIR दर्ज
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हाईटेक सिटी बसाने के नाम पर हजारों खरीदारों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंसल ग्रुप के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाया है। उन्होंने लखनऊ विकास प्राधिकरण को इस मामले की पूरी जांच करने और जरूरत पड़ने पर कड़े कदम उठाने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सबको इस बात के लिए भी आश्वस्त करूंगा कि अगर किसी को गलतफहमी होगी कि गरीब का पैसा लेकर वह कहीं भाग जाएगा, तो हम उसे पाताल से भी निकालकर लाएंगे और सजा दिलाएंगे। हम गारंटी देंगे कि सबको पैसा वापस मिलेगा।
किसकी सरकार में अंसल के कारोबार को मिला विस्तार
अंसल के मालिक पिता.पुत्र समेत कई पर दर्ज
योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ;सपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सपा सरकार के दौरान अंसल ग्रुप को बेधड़क भ्रष्टाचार करने का मौका मिला था। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और अगर जरूरत पड़ी, तो उन्हें पाताल से भी खोजकर सजा दी जाएगी। अंसल प्रापर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रमोटर्स, मालिक सुशील अंसल, उनके बेटे व सह मालिक प्रणव अंसल, सुनील कुमार गुप्ता, फ्रेन्सेटी पैट्रिका अटकिंशन, अंसल के निदेशक विनय कुमार सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अमीन अर्पित शर्मा ने मंगलवार देर शाम को गोमतीनगर थाने में तहरीर दी। आरोप लगाया कि प्राधिकरण ने 2005 में 1765 एकड़ की हाईटेक टाउनशिप विकसित करने के लिए भूमि चिह्नित की थी। इसकी डीपीआर 2006 में स्वीकृत की गई। अंसल ने टाउनशिप विकसित करने का काम शुरू किया। अंसल एपीआई पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के 24 घंटे के अंदर सभी विभाग हरकत में आ गए। मंगलवार देर रात गोमतीनगर थाने में अंसल प्रापर्टीज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिक पिता-पुत्र समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज हो गया। यह तहरीर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अमीन ने दी है। आरोप है कि कंपनी ने दो बार टाउनशिप की योजना स्वीकृत कराई थी जिसमें निर्धारित भूमि से कई गुणा पर टाउनशिप बना ली। इस मामले में कंपनी के मालिक सुशील अंसल और प्रणव अंसल के अलावा दो निदेशकों और दो कंपनियों पर फर्जीवाड़े का आरोपित बनाया गया है। बीएनएस 316(5), 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2), 352, 351(2) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। इन सभी धारओं में दो वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की सजा है। योगी सरकार की इस कार्रवाई से उन हजारों लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जगी है, जो सालों से अपने हक के लिए भटक रहे थे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि दोषियों को सजा दिलाने के साथ.साथ होम बायर्स को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।