यूपी के इन गाँव के जामीनो की बिक्री पर रोक
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उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिलों में भूमि अधिग्रहण विकास योजनाओं और प्रशासनिक निर्णयों के कारण कई गांवों में जमीनों की खरीद.बिक्री पर रोक लगाई गई है. यह कदम विकास परियोजनाओं को सुचारु रूप से लागू करने सरकारी संपत्तियों की रक्षा और अवैध कब्जों पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से उठाए गए हैं.
गोरखपुर में नया शहर बसाने के लिए भूमि पर रोक
इन कदमों का उद्देश्य विकास योजनाओं को व्यवस्थित रूप से लागू करना और अवैध कब्जों पर नियंत्रण पाना है। हालांकि इससे प्रभावित ग्रामीणों को असुविधा हो रही है. लेकिन प्रशासन का कहना है कि यह कदम भविष्य में बेहतर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए आवश्यक हैं. गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने शहर के विस्तार के लिए प्रस्तावित नए गोरखपुर शहर के लिए 24 गांवों की जमीनों की खरीद.बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी की है. इस परियोजना के तहत लगभग 6.000 एकड़ में नया शहर बसाने का प्रस्ताव है. और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के कारण इन गांवों में रजिस्ट्री में गिरावट आई है. गोरखपुर राप्ती नदी के डूब क्षेत्र की जमीनों की खरीद-बिक्री पर प्रशासन ने रोक लगा दी है.
लहसड़ी-मलौली बांध के किनारे के 14 गांवों की रजिस्ट्री तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है. डीएम की संस्तुति के बाद एडीएम एफआर ने सदर तहसील व रजिस्ट्री कार्यालय को भी इस आदेश से अवगत करा दिया है. नदी के डूब क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग की बात सामने आने पर बांध व नदी के बीच की जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई है. हार्बर्ट बांध के किनारे की जमीनों की रजिस्ट्री पर पहले ही रोक थी, अब मलौली बांध के किनारे के गांवों में जमीनों की रजिस्ट्री रोक दी गई है. नदी के डूब क्षेत्र की जमीनों की रजिस्ट्री कराकर घर बनाने से नदी के बहाव में दिक्कत आती है. साथ ही बांध का रखरखाव भी मुश्किल होता है. इससे शहर की बड़ी आबादी पर बाढ़ का खतरा आ जाएगा. वहीं डूब क्षेत्र में घर बनाने वालों को हर साल बाढ़ सीजन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसीलिए डूब क्षेत्र में 14 गांवों के जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई है.
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14 गांवों में जमीनों की बिक्री पर लगी रोक
राप्ती व रोहिन नदी के बीच डूब क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहे अनियोजित विकास रोकने के लिए दो साल पहले प्रशासन ने डोमिनगढ़, नरसिंहपुर एहतमाली, मुंडेरी चक, हनुमान चक, बसंतपुर एहतमाली, बसंतपुर खास समेत 10 गांवों की जमीन की रजिस्ट्री पर सशर्त रोक लगा दी थी. उन गांवों में जमीन की बिक्री के लिए जीडीए से एनओसी लेनी होती है. एनओसी में इस बात का उल्लेख करना होगा कि रजिस्ट्री कराई जा रही भूमि आवासीय, व्यावसायिक व वाणिज्यिक उपयोग के लिए उपयुक्त है तथा प्राधिकरण की ओर से मानचित्र स्वीकृत करने में कोई समस्या नहीं होगी. यदि कृषि उपयोग के लिए जमीन ली जा रही है तो सिंचाई विभाग के संबंधित खंड, बाढ़ खंड, बाढ़ खंड दो, ड्रेनेज खंड से एनओसी प्रस्तुत करना होगा.
एनओसी में इस बात का जिक्र होना चाहिए कि ली जा रही भूमि कृषि उपयोग के लिए उपयुक्त है. महेवा से शुरू हुए इस बंधे पर महेवा, मंझरिया बिस्टौली, अजवनिया, कठउर, लहसड़ी आदि गांवों में नदी के छोर वाले हिस्से में धड़ल्ले से प्लॉटिंग हुई है. इन गांवों के किसानों की जमीनें नदी की ओर भी हैं, जिसे जमीन के धंधेबाज तेजी से प्लॉटिंग कर बेच रहे हैं. नदी और बांध के बीच 50 से अधिक मकान बन गए हैं. डीएम कृष्णा करुणेश ने बीते जुलाई में बंधे के निरीक्षण के दौरान अवैध प्लॉटिंग और बने मकानों की जानकारी ली तो पता चला कि लहसड़ी, मंझरिया बिस्टौली, कठउर, सेंदुली-बेदुली, अजवनिया, महेवा आदि गांवों में नदी की तरफ की जमीनें धंधेबाज बेच रहे हैं. बहुत सारे लोगों ने सस्ती जमीन खरीदकर मकान बनवा लिए. कुछ लोग नींव डलवाकर मकान बनाने की तैयारी में हैं.