एनईपी से संबद्ध शिक्षक: 1997-2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी व 2012 के बाद पैदा हुई पीढ़ी की पढ़ाई
अनिता करवाल, रजनीश कुमार

आप पाठ्यक्रम-साक्षर होंगे: पाठ्यक्रम, सीखने के मानकों को हासिल करने का एक साधन होता है और इसमें पाठ संबंधी योजनाओं से लेकर समय-सारिणी, दक्षताओं, पाठ्य-सामग्री, शिक्षण सामग्री, मूल्यांकन, विषय, कौशल, कला, खेल आदि तक सब कुछ शामिल होता है। आपके पास एक गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम के हर पहलू की विशेषज्ञ समझ होगी और आप इस विशेषज्ञता का इस्तेमाल छात्र के सीखने के नतीजों को हासिल करने के लिए करेंगे।
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आप पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करेंगे: आप सभी भाषाओं को समान मानेंगे और कक्षाओं में भारतीय भाषाओं का प्रचार सुनिश्चित करेंगे।
आपके पास छात्र-केंद्रित आनंदपूर्ण कक्षाएं होंगी और संपूर्ण मस्तिष्क की सोच पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा: आप इस बात को बखूबी समझते हैं कि बाएं मस्तिष्क के आध्यात्मिक, रैखिक और विश्लेषणात्मक किस्म के कौशल और दाएं मस्तिष्क की सहानुभूति, डिजाइन, बड़ी-तस्वीर को देख लेने से जुड़ी क्षमताओं पर समान रूप से काम करने की जरूरत है। आप विषय की गहनता के साथ कला, खेल, किस्सागोई, कौशल-निर्माण, विश्लेषणात्मक सोच, वैज्ञानिक चेतना का समेकन करेंगे। आप पूछताछ और परियोजनाओं पर आधारित शिक्षा, डिजाइन सोच, समस्या-समाधान आदि को अपनाएंगे, जोकि स्व-निर्देशित होती हैं। ये ऐसी विशेषताएं हैं जिनकी जरूरत छात्रों को भविष्य में सफल होने के लिए होगी। छात्र की राय और पसंद के महत्व को इस तरह से पहचाना जाएगा। आप रचनात्मक शिक्षण-सामग्रियों के माध्यम से अपनी कक्षा में सीखने से जुड़े आनंद को वापस लायेंगे।
आप सीखने और सीखने से जुड़ी सहायक प्रक्रियाओं से संबंधित तरीकों को सीखने में मदद करेंगे: अब आप परीक्षा के हिसाब से नहीं पढ़ाते हैं। अब आप छात्रों की ओर अपनी पीठ नहीं करते हैं और ब्लैकबोर्ड पर लगातार लिखना जारी नहीं रखते हैं या रटने व याद करने को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। भला हो इंटरनेट का कि सीखने की प्रक्रिया अब एक पाठ्यपुस्तक, एक पारंपरिक स्कूली दिनचर्या, एक विशुद्ध परीक्षा या एक योगात्मक परीक्षा तक सीमित नहीं है। आप अपने छात्रों को यह सिखाते हैं कि वे सिर्फ सूचनाओं को ग्रहण ही न करें बल्कि उनका कारगर उपयोग कैसे करें। आप ऑडियो, वीडियो, पॉडकास्ट, ग्राफिक उपन्यास, इंटरनेट, टीवी, रेडियो, समाचार-पत्र, कहानी की किताबों आदि का इस्तेमाल सीखने के साधन के रूप में करते हैं। घरेलू, समुदायिक और वैश्विक फलक पर, आप भी अपने छात्रों के साथ सीखेंगे। आप आजीवन सीखते रहने वाले एक प्राणी हैं।
आप अनुभवों के माध्यम से शिक्षार्थियों को कौशल प्रदान करेंगे: भविष्य के बहुआयामी कार्यस्थल में सफल होने के लिए प्रत्येक शिक्षार्थी को रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, सहयोग और संचार से संबंधित सीखने के 21 वीं सदी के चार महत्वपूर्ण कौशल को आत्मसात करने की जरूरत होगी। इसके लिए, आप पाठ्य-सामग्री और विषय से संबंधित अपने व्यापक ज्ञान को वास्तविक जीवन के अनुभवों के साथ समेकित करेंगे ताकि शिक्षार्थियों को भविष्य की दुनिया के हिसाब से आवश्यक कौशल, दृष्टिकोण, व्यवहार और साक्षरता को विकसित करने में मदद मिल सके। विद्यार्थी भौतिकी के साथ दर्शनशास्त्र, संगीत के साथ राजनीति विज्ञान, भूगोल के साथ गणित आदि का अध्ययन करेंगे। इसके लिए आपको विभिन्न विषयों के बीच के अंतर-संबंधों और जुड़ावों को खोजने में कुशल होने की जरूरत होगी। कल्पना कीजिए कि आपका पेशा कितना रचनात्मक होने वाला है!
आप छात्रों का विकास अभिनव प्रयोगकर्ताओं और ज्ञान-धारा के जनक के रूप में करेंगे: बहुत कम आयु में आपके छात्रों को कौशल और क्षमता मिल जायेगी, जो सूचना की खोज के लिये उन्हें योग्य बनायेगी, वे सूचनाओं को अर्थवान बनायेंगे, वे दावों/राय/मिथ्या में से तथ्य को छानकर अलग करने में सक्षम होंगे। छात्र ज्ञान-धारा को ठोस रूप देंगे और ज्यादा से ज्यादा ज्ञान का सृजन करेंगे, ताकि न्यायसंगत, मानवीय और बराबरी की दुनिया कायम हो सके। आप उन्हें नये-नये प्रयोग करने के लिये प्रेरित करेंगे और आपकी अपनी तत्परता के जरिये आपके छात्र आधुनिक सोच, सहयोग, लचीलापन, रचनात्मकता और हर नई चीज को अपनाकर ज्ञान-धारा को आगे बढ़ायेंगे।
आप नई प्रौद्योगिकियां सीखने में उनकी सहायता करेंगे और खुद भी नई प्रौद्योगिकियों से परिचित होंगे: आप ऐसे व्यक्ति होंगे, जो पहले बच्चे की जिज्ञासा और सीखने की ललक पैदा करने के लिये उसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना सिखाते हैं! और ज्ञान की भूख, जो आप पैदा करेंगे, उससे बच्चे में नई से नई प्रौद्योगिकियां सीखने की ललक बनी रहेगी।
आप 'जड़ से जग तकÓ के बीच के सम्बन्ध को विकसित करेंगे: आप अपने छात्रों को हमारी विरासत, संस्कृति, परंपराओं, रिवाजों, साहित्य, भाषाओं, 'लोक विद्याÓ के बारे में बतायेंगे। इसके साथ ही आप अपने छात्रों को विश्व नागरिक के रूप ढालेंगे। आप ही माध्यम बनेंगे, जिसके जरिये छात्र अपनी भूमिका, समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझेंगे तथा राष्ट्र के प्रति सम्मान और गौरव का भाव उनमें पैदा होगा।
आप उनके सामने खुद मिसाल बनेंगे: पाठ्यक्रम के सभी क्षेत्रों में, चाहे वह शारीरिक फिटनेस हो या बहु-भाषी होना हो, कला के प्रति बोध हो, नैतिक व्यवहार, समावेशिता, विविधता या पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता हो, आप ही बदलाव लायेंगे और आप ही अपने छात्रों में भी यही बदलाव देखना चाहेंगे।
आप मार्गदर्शक भी हैं और सलाहकार भी: हरफनमौला और सूचना का भंडार बनने की कोशिश करने के बजाय, शिक्षक राह दिखायेंगे, सलाह देंगे, छात्रों को शक्तिसम्पन्न बनायेंगे और उनका सहयोग करेंगे, ताकि वे अपनी पसंद के नये क्षेत्रों में कदम रख सकें। शिक्षक उन्हें बुरे का सामना करने और बेहतरी की तरफ बढऩे के लिये तैयार करेंगे।
आप बिना किसी हिचक के सही तरीके से बदलाव को आत्मसात करेंगे: आप लगातार और पूरी तैयारी के साथ आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और सामाजिक बदलावों को आत्मसात करेंगे। ये बदलाव बहुत तेजी से हो रहे हैं। आप छात्रों को सिखायेंगे कि कैसे लगातार आगे बढ़ते, निरंतर बदलने और खुद को नया आकार देने वाले समाज में तुम प्रौद्योगिकियों को सीखकर खुद को कैसे भावी रोजगार के लिये सक्षम बना सकते हो।
(लेखक सचिव, स्कूली शिक्षा, और निदेशक, स्कूली शिक्षा हैं)