मंडला की बेटी ने रचा इतिहास, भारतीय महिला टीम में चुनी गई

मंडला की बेटी ने रचा इतिहास, भारतीय महिला टीम में चुनी गई
Mandla's daughter created history, was selected in the Indian women's team

मंडला की बेटी ने रचा इतिहास – भारतीय महिला टीम में चुनी गई सुरुचि उपाध्याय

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमाओं से सटा एक छोटा सा जिला – मंडला। और इसी जिले से एक बड़ी कामयाबी की कहानी सामने आई है। सुरुचि उपाध्याय – वही लड़की जो कभी ग्राउंड में अकेली लड़कियों की तरह अभ्यास करती थी, आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम में शामिल होकर पूरे देश का गौरव बन चुकी है।

सुरुचि का सफर बेहद साधारण जमीन से शुरू हुआ, लेकिन उनके हौसले हमेशा असाधारण रहे। उन्होंने मंडला के उसी मैदान से शुरुआत की जहाँ ज़्यादातर लड़के अभ्यास करते थे। एकमात्र लड़की के रूप में उन्होंने उस माहौल को चुनौती की तरह लिया और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

वो कहती हैं – "मैं जहां खड़ी हूं, उसी को क्रेडिट देती हूं। मैं महिला में खड़ी हूं, वही मेरी कर्मभूमि है। मेरे साथ जो भैया लोग थे, मेरी फैमिली थी, मैं इस सफलता का श्रेय उन्हीं सबको देती हूं।"

सुबह-सुबह दौड़ना, फिर मैदान में घंटों पसीना बहाना, यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। कोई शॉर्टकट नहीं, कोई विशेष संसाधन नहीं, बस आत्मविश्वास, मेहनत और परिवार का साथ।

उनकी माँ ने भावुक होते हुए कहा – "बेटी को हम बचपन से देख रहे थे कि वो सुबह-सुबह दौड़ती थी, मैदान में जाती थी। हम सबके लिए ये गर्व की बात है कि आज मंडला की बेटी भारत की टीम में शामिल हुई है।"

उनकी इस उपलब्धि पर न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा मंडला और प्रदेश गौरव महसूस कर रहा है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने भी सुरुचि से बातचीत की और उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि उन्हें जो भी ट्रेनिंग की जरूरत होगी, सरकार उसमे पूरा सहयोग देगी।

सुरुचि का अगला लक्ष्य है आगामी त्रिकोणी सीरीज़, जिसमें वह श्रीलंका के खिलाफ मैदान पर उतरेंगी। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने इसके लिए कोई खास योजना बनाई है, तो उनका जवाब बेहद सहज और प्रेरणादायक था – "मैं कुछ नहीं सोची हूं, अभी तक जो करती आ रही हूं, वही करूंगी। बाकी सब भगवान की मर्जी।"

उनकी इस सादगी और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। उनके इस जज़्बे से आज की युवा पीढ़ी, खासकर बेटियां बहुत कुछ सीख सकती हैं।

उनकी माँ ने सही कहा – "मैं सभी युवा बेटियों और बेटों से कहना चाहती हूं कि सुरुचि उपाध्याय से सीखें और इसी तरीके से आगे बढ़ें।"

यह कहानी सिर्फ सुरुचि की नहीं है – यह उस भरोसे की कहानी है जो एक छोटे जिले की बेटी ने अपने सपनों पर रखा। यह उस भारत की कहानी है जहाँ बेटियाँ आज हर क्षेत्र में इतिहास रच रही हैं।

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