मनोज सिंह टाइगर उर्फ बतासा चाचा का Interview, कहा- नाटक मेरी आत्मा, गांवों में धड़कती है जिन्दगी

मनोज सिंह टाइगर उर्फ बतासा चाचा का Interview, कहा- नाटक मेरी आत्मा, गांवों में धड़कती है जिन्दगी
Manoj Singh Tiger Jitendra Singh Kaushal Bhartiya Basti

भोजपुरी में कामेडी लेवल में बड़ी तेजी से सुधार आया है साथ ही भोजपुरी सिनेमा में इन दिनों उम्दा अभिनय देखने को मिल रहा है. इसका श्रेय भोजपुरी में आये कामेडी के उम्दा कलाकारों को भी है. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे ही एक कलाकार है मनोज सिंह टाइगर (Manoj singh tiger) उर्फ बतासा चाचा. जो भोजपुरी के लिए मील का पत्थर साबित हुए है. मनोज टाइगर उर्फ बतासा चाचा का नाम भोजपुरी बेल्ट का बच्चा-बच्चा जानता है. उन्होंने भोजपुरी कामेडी को अलग पहचान दी है. मनोज सिंह टाइगर उर्फ बतासा चाचा ने भोजपुरी की 150 से अधिक फिल्में की है.

इन्हें अभिनय के लिए 50 से ज्यादा अवार्ड मिल चुके है और इन्होने 50 से अधिक सुपर हिट फिल्में दी है. बस्ती के बहादुरपुर ब्लाक के गोइरी गांव में इश्क हसाये -इश्क रूलाये फिल्म की शूटिंग के लिए आये मनोज सिंह टाइगर से भारतीय बस्ती प्रतिनिधि जितेन्द्र कौशल सिंह से हुई मुलाकात में उनके कई अनछुए पहलुओं पर बात- चीत हुई प्रस्तुत है बात चीत के प्रमुख अंश.

अभिनय के क्षेत्र मे आना कैसे हुआ?

मै मूलतः यूपी के आजमगढ़ जिले से हूँ . मेरा अभिनय की तरफ रुझान गाँव के रामलीला से शुरू हुआ तो घर में मेरे अभिनय के चलते लोग नाराज रहने लगे. इस लिए अपने अभिनय की इच्छा को पूरा करने के लिए मै 1997 में फिल्मों की तलाश में मुंबई चला आया. यहाँ मुझे पृथ्वी थियेटर में काम करने का मौका मिला. यही मैंने एक नाट्य मण्डली बनाई और कई नाटकों में नाट्य प्रस्तुति दी. इसी दौरान मेरी एक प्रस्तुति को अदाकारा आयशा जुल्का ने देखा और उन्होंने मुझे फिल्मों में काम करने की सलाह दिया.

मैंने यहीं से फिल्मों में काम के लिए प्रयास शुरू किया तो मुझे पहली फिल्म चलत मुसाफिर मोह लियो रे में काम करने का मौका मिला जिसमें मेरे अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा. इसके तुरंत बाद मुझे निरहुआ रिक्सा वाला में काम करने का मौका मिला जो मेरे लिये मील का पत्थर साबित हुई.

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आप को बतासा चाचा नाम कैसे मिला ?
मुझे बतासा चाचा के नाम से पहचान निरहुआ रिक्सा वाला फिल्म से मिली. जिसमें मेरे किरदार का नाम बतासा चाचा था. मेरा यह किरदार दर्शकों को इतना पसंद आया की उसके बाद मेरे प्रसंसक बतासा चाचा के नाम से ही जानने लगे. अब तो बहुत कम लोग मुझे मेरे असली नाम से जानते है.

मनोज सिंह टाइगर ने बताया क्यों पड़ा बतासा चाचा नाम…

आप ने भोजपुरी में आर्ट मूवी की शुरुआत की क्या कहना चाहेंगे ?
जी बिल्कुल हां, हाल ही में मैंने लागल रहा बतासा के नाम से फिल्म की है. इस फिल्म में मेरा लीड रोल है. फिल्म में मेरे अपोजिट आम्रपाली दूबे है. यह अब तक की भोजपुरी फिल्म जगत की पहली कला फिल्म है जो साफ-सुथरी होने के साथ ही मनोरंजन से भरपूर फिल्म है. इस में भोजपुरी फिल्म के इतिहास में लीक से हट कर अलग तरह की कहानी है . इस फिल्म में कामेडी का पार्ट अलग मिशाल लिए है जो दर्शकों को हंसा-हंसा कर लोट- पोट कर देगा.

आपकी फिल्म लागल रहा बताशा को सिनेमा घरों में कैसा रिस्पांस मिला ?
बहुत जबरदस्त जितना मैंने सोचा नहीं था उससे कई गुना ज्यादा इस फिल्म ने दर्शकों को अपनी तरफ खींचा. मुझे खुशी है की मै दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरा उतर रहा हूँ.

भोजपुरी सिनेमा में कामेडी को किस नजरिये से देखते हैं?

एक दौर था जब भोजपुरी फिल्मों में कामेडियन की पहचान घुटनों तक कच्छे, लम्बे नाड़े और चार्ली टाइप की मुछों से की जाती थी. इस छवि में भोजपुरी की कामेडी लम्बे समय तक बंधी रही और भोजपुरी फिल्मों में वालीबुड की तरह अच्छे कामेडियन की कमी लगातार बनी रही. लेकिन आज के दौर भोजपुरी में बहुत बेहतरीन कामेडियन कलाकार है जिनकी अभिनय की बदौलत भोजपुरी सिनेमा में भी स्तरीय कामेडी फिल्मों के निर्माण का रास्ता खुला है.

आपने कई फिल्मों के लिए स्टोरी भी लिखी है , नाटकों का मंचन भी किया है इस बारे में कहना चाहेंगे ?

जी बिल्कुल सही सुना है आप नें मैंनें बहुत सारी फिल्में लिखें और लिखता रहूंगा. खुद के लिखे हुए न जाने कितने नाटक किए हैं हमने. उन्हीं नाटकों को सिनेमा में भी परिवर्तित कर रहा हूं. मुझे 14 साल के भोजपुरी सिनेमा के अपने करियर में बहुत सारे अवार्ड मिले. लगभग 20 से भी ज्यादा कॉमेडियन ऑफ द ईयर अवार्ड मिला, कई फिल्मों के लिए सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला. मुझे वर्ष 2018 में सर्वश्रेष्ठ स्टोरी राइटर का अवॉर्ड सिपाही फिल्म के लिए मिला. यह मेरे लिए इस साल 2018 के लिए सबसे खुशी लेकर आया, क्यों कि मैंने लगभग 15 फिल्म में लिखी लेकिन यह अवॉर्ड मुझे पहली बार मिला. इस अवॉर्ड ने मेरे उत्साह को बढ़ाया है आगे मै और अच्छा लिखने की कोशिस जारी रहेगी .

रियल्टी शो भी किया होस्ट 

आपने छोटे पर्दे पर रियल्टी शो को भी होस्ट किया है कैसा अनुभव रहा ?
यह सही है मै रंगकर्म और भोजपुरी फिल्मों के अलावा छोटे पर खासा सक्रिय रहता हूँ. मैंने कई रियल्टी शो को होस्ट किया है. जिसमें बिरहा मुकाबला और दो दूनी के पांच प्रमुख रहा है. मुझे रियल्टी शो को होस्ट कर बहुत खुशी महसूस होती है.

कामेडी के साथ- साथ निगेटिव और लीड रोल में कई भूमिकाएं की हैं और दोनों में आप बेहद कामयाब रहें है. इतना कुछ कैसे संभव हो पाता है?
भोजपुरी में अभी तक स्टार कामेडियन को दर्शकों ने विलेन के रूप में स्वीकार नहीं किया था. मैंने इस लीक को तोड़ा और भोजपुरी फिल्मों का पहला कामेडी एक्टर हूँ जिसने कामेडी के साथ- साथ निगेटिव किरदार भी निभाये है. जिसे दर्शकों ने उतना ही प्यार दिया है जितना मुझे एक कामेडियन के तौर पर देते रहें है. कामेडी और निगेटिव रोल के अलावा और भी कई तरह के रोल किये है जो आगे भी जारी रहेगा.

Manoj singh tiger ने किया नाटक का मंचन

आपने नाटक मांस का रुदन का मंचन किया है , नाटकों से कैसा जुड़ाव रहा है. थियेटर को किस नजरिये से देखते हैं ?

थियेटर मेरी आत्मा में बसा है,या कह लिया जाए की थियेटर मेरी कमजोरी और मजबूरी है. थियेटर के बिना मुझे जिदंगी अधूरी लगती है. जब भी मुझे कहीं से थियेटर में मंच पर प्रस्तुति के लिए ऑफर मिलता है तो मै सारे काम छोड़ कर थियेटर पर अपने नाटकों के मंचन के लिए पहुँच जाता हूँ.
जहाँ तक थियेटर का फिल्मी कैरियर में लाभ मिलने की बात है तो थियेटर ही तो है जिसने मुझे फिल्मों में अपनी अलग पहचान दी. थियेटर के चलते फिल्म में शूट के दौरान गलतियाँ कम होती है. मै अगर सच कहूँ तो मुझे फिल्मों में लाने का श्रेय मेरे रंगकर्म को ही जाता है. मेरा नाटक मांस का रुदन खासा सफल रहा है और इसे मैंने लगभग देश के सभी हिस्सों में प्ले किया है. मै जीवन भर थियेटर करते रहना चाहता हूँ.

आप भोजपुरी के साथ ही बॉलीवुड में भी सक्रिय हैं ?

जी हाँ मै एक बॉलीवुड की बायोपिक फिल्म किया है जिसमें मैं राजनेता अमर सिंह का सशक्त किरदार निभाया . इस फिल्म में कई राजनेताओं के रोल को देखनें को मिलेंगे इस फिल्म मुख्य रूप से अनुपम खेर है जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के रोल में है. यह फिल्म खासा चर्चित रही है. इसके अलावा जॉन अब्राहम के साथ बाटला हॉउस में भी काम किया है.

फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाली है.बस्ती के कई लोकेसन में फिल्मों की लगातार शूटिंग चल रही है गवई लोकेशन में फिल्मों की शूटिंग बढ़ रही है इस पर क्या कहना चाहेंगे देखिये गंवई लोकेशन में भोजपुरी फिल्मों के शूट का कारण फिल्म की कहानी को जाता है. लोकल लेवल पर शूट किये जाने से होटल, गाड़ी आदि के खर्चे और बढ़ जाते है. लेकिन कहानी का जुड़ाव बढ़ जाता है इस लिए अब कहानी के हिसाब से फिल्म सिटी को छोड़ कर फिल्मकार गाँवों की तरफ रुख कर रहें है.

एक अभिनेता और फिल्म कलाकार के तौर पर अपने प्रशंसकों से क्या कहना चाहेंगे?
एक कलाकार की भूख यही होती है की वह आखिरी तक काम करता रहे. मेरी भी यही इच्छा है की जब तक जिंदा रहूँ तब तक अभिनय के साथ ही जिंदा रहूँ .नाटक मेरी आत्मा, गांवों में धड़कती है जिन्दगी.

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