बीजेपी मंत्री के बयान से उठा नया विवाद, अखिलेश यादव का बड़ा हमला

भारतीय राजनीति एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मुद्दा है मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह का एक बयान, जिसने ना सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि सोशल मीडिया से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच गया है। विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई टिप्पणी के बाद देशभर में उनकी आलोचना हो रही है और विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह हमलावर हैं।
इस विवाद पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। अमेठी दौरे के दौरान मीडिया ने जब उनसे विजय शाह के बयान पर सवाल किया, तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर सीधा हमला बोला। अखिलेश ने कहा कि बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा अब केवल मध्य प्रदेश से ही नहीं, बल्कि बलिया और बिहार जैसे जगहों से भी पूरी तरह उजागर हो चुका है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ 'नारी वंदन' का नारा देती है, लेकिन जब महिलाओं के सम्मान की बात आती है, तो उसका असली चेहरा सामने आ जाता है।
अखिलेश यादव ने साफ कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब बीजेपी का ऐसा चेहरा सामने आया हो। वह पहले भी कई बार महिलाओं के खिलाफ की गई टिप्पणियों या घटनाओं पर चुप्पी साध चुकी है, और अब एक महिला फौजी अधिकारी के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी ने बीजेपी के कथित 'नारी सम्मान' के दावों को झूठा साबित कर दिया है।
मंत्री विजय शाह का बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे, उन्हीं को सबक सिखाने के लिए मोदी जी ने बहनें भेजीं और उनके खिलाफ कार्यवाही करवाई। इस तरह की भाषा और तुलना को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है।
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विजय शाह ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से साफ इनकार कर दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या विजय शाह की मुश्किलें यहीं थम जाएंगी या यह विवाद और भी गहराएगा।
इस पूरी घटना की पृष्ठभूमि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई एक आतंकी घटना से जुड़ी है, जहां आतंकियों ने 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा जवाब दिया था। इसी दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम सामने आया, जिन्होंने साहस और नेतृत्व दिखाकर आतंकियों के खिलाफ अभियान में अहम भूमिका निभाई। कर्नल सोफिया की बहादुरी की देशभर में प्रशंसा हो रही थी, लेकिन विजय शाह ने उनके खिलाफ जिस तरह की टिप्पणी की, उससे पूरे मामले ने एक नया मोड़ ले लिया।
कर्नल सोफिया जैसे अधिकारी देश की सुरक्षा में लगे हैं, जो सीमा पर खड़े होकर अपने प्राणों की बाज़ी लगाते हैं। ऐसे में किसी राजनेता द्वारा उनके खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करना न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि देश की सेना और महिलाओं का भी अपमान है। यह घटना सिर्फ एक राजनेता की भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े राजनीतिक, सामाजिक और नैतिक सवाल भी खड़े होते हैं।
बीजेपी की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है, और पार्टी का रुख इस मामले में संतुलित दिख रहा है, जो लोगों के बीच और सवाल खड़े कर रहा है। अगर पार्टी वास्तव में ‘नारी वंदन’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांतों पर चलती है, तो क्या ऐसे बयान देने वाले मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए?
यह घटना यह भी दिखाती है कि किस तरह राजनीतिक बयानबाज़ी अब निजी और संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंच गई है। सेना और सुरक्षाबलों का काम राजनीति से ऊपर होता है और हर पार्टी को यह समझना चाहिए कि उन पर टिप्पणी करने से पहले उन्हें उनके योगदान और बलिदान का सम्मान देना चाहिए।
अब देखना यह होगा कि विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर आगे क्या रूप लेती है और क्या उन्हें पार्टी से कोई सज़ा मिलती है या मामला कोर्ट के भरोसे छोड़ दिया जाएगा। फिलहाल विपक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहा है और जनता के बीच भी इसे लेकर काफी गुस्सा है।
यह विवाद बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बनता जा रहा है, खासकर तब जब देश चुनावी मोड में धीरे-धीरे प्रवेश कर रहा है। महिलाओं के सम्मान की बात करने वाली पार्टी के लिए यह एक कठिन परीक्षा है कि वह अपने ही मंत्री के इस बयान पर क्या रुख अपनाती है।