Zila Panchayat Adhyaksh Chunav: भाजपा, सपा, बसपा ने अब तक नहीं खोले हैं पत्ते, टिकट के दावेदार असमंजस में

Zila Panchayat Adhyaksh Chunav: भाजपा, सपा, बसपा ने अब तक नहीं खोले हैं पत्ते, टिकट के दावेदार असमंजस में
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-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती.
  जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर होने वाले चुनाव की तिथियां घोषित हो चुकी है. 3 जुलाई को होने वाले चुनाव  से पहले 26 जून को नामांकन, 29 जून को नाम वापसी हाने की बात कही जा रही है. 3 जुलाई को  मतदान होगा और उसी दिन दोपहर बाद मतगणना होगी. जिला पंचायत सदस्य पदों पर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी समाजवादी पार्टी ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले है. कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर चल रही खबरो के अनुसार सपा से पूर्व कुदरहा ब्लाक प्रमुख रहे ब्रह्मदेव यादव उर्फ देवा को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. जबकि जिलाध्यक्ष महेन्द्र नाथ यादव ने इस वायरल  पत्र को सिरे से खारिज कर दिया है. कहा जा रहा है की ब्रह्मदेव यादव उर्फ देवा टिकट के लिए भाजपा के गलियारों में घूमते देखे  गये है. इससे उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा संदेह के घेरे में है. यही उनके टिकट न मिलने का मुख्य कारण बनती जा रही है. 

दूसरे नम्बर पर रही भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों में अंदरखाने से माना जाये तो संजय चैधरी के नाम पर सहमति बन गयी है. मगर जब तक पार्टी हाईकमान घोषण ना करे तब तक स्थानीय पदाधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे है. पार्टी की मानें तो पैनल में सभी टिकट मांगने वालों का नाम गया है. जिनमें चर्चाओं में  संजय चैधरी, प्रमोद कुमार उर्फ गिल्लम चैधरी, आरसी वर्मा के नाम है. 

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इस मामले में बसपा के पास जिला पंचायत के लिए मजबूत स्थिति है. पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह वर्तमान समय में बसपा में ही है. उनके पास जिला पंचायत चलाने का पुराना अनुभव है. घर में दो बार जिला पंचायत की कुर्सी अपने नाम कर चुके राजकिशोर सिंह राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते है. अगर परिस्थितियां सही रहीं तो कुछ भी हो सकता है. पूरा दारोमदार बस बहनजी के उपर है. सदस्यों की संख्या के लिहाज से तीसरे नम्बर पर रही बसपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले है. पार्टी जिलाध्यक्ष जयहिन्द गौतम के मुताबिक बसपा के समर्थन से जीते हुए सभी छः सदस्य एकजुट है. जिला पंचायत  अध्यक्ष के लिए रणनीति बनाई जा रही है. बहनजी के पास पूरी रिपोर्ट भेज दी गयी है. वहां से जैसा दिशा निर्देश प्राप्त होगा. आगे का कदम उठाया जाएगा. 

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नामांकन, नाम वापसी और मतदान की तिथि घोषित  होने के बावजूद अब तक किसी भी प्रमुख दल द्वारा प्रत्याशी घोषित नहीं किये जाने से दावेदार असमंजस में है. सभी दलों के दावेदारों द्वारा वोटरों को लुभाने के लिए जमकर पैसा बहाया जा रहा है. कहने के लिए भले ही पंचायत चुनाव सत्तापक्ष का माना जाता हो. मगर जिस तरह से विपक्षी दल समाजवादी पार्टी सधे कदमों से भाजपा की रणनीति को देख कर अपने मोहरे बिछा रही है. उससे भाजपा प्रत्याशी के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी. 

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समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष महेन्द्रनाथ यादव की मानें तो सपा बस्ती की सीट अपने नाम करेगी. चूंकी सबसे ज्यादा सदस्य सपा के  है. इससे उसे एक मजबूत प्रत्याशी की तलाश है. जो सभी सदस्यों की उम्मीदों को पूरा कर सके. जीत हार की चर्चाओं के बीच अब सिर्फ टिकट का ही फासला शेष रह गया है. पार्टियां अपने-अपने मोहरे खोल दें तो सब कुछ आइने की तरह साफ होते देर नहीं लगेगी. 

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