बस्ती में भी 'अलीगढ़' दोहराना चाहते हैं जिम्मेदार! कब खोलेंगे अवैध शराब के धंधे पर आंख?
बस्ती में जोरो से चल रहा है अवैध शराब का धंधा, जिम्मेदार मौन...?
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. जनपद में अवैध जहरीली और कच्ची शराब का कारोबार चल रहा है. लाइसेंसी दुकानों तक से नकली शराब की बिक्री का खुलासा हो चुका है. इसके बावजूद आबकारी, पुलिस सफेदपोशों के संरक्शण में अवैध शराब का कारोबार जारी है. आबकारी विभाग की भूमिका भी मात्र कागजी कोरम पूरा करने तक सिमटी हुई है.शराब की लाइसेंसी दुकानों की जांच तब की जाती है जब प्रदेश के किसी जिले में अवैध शराब इंसानी जिंदगियों पर कहर बरपाता है. इसके बाद अभियान चलता है और जैसे ही मामला ठंडा पड़ता है आबकारी विभाग भी अपने पुराने ढर्रे पर लौट आता है. बता दें बीते दिनों राज्य के अलीगढ़ में अवैध शराब का मामला सामने आया है जिसमें कई लोगों की मौत हो गई.
अवैध और कच्ची कारोबार को लेकर पुलिस एवं आबकारी विभाग द्वारा नकली शराब कारोबार पर कार्यवाही केवल खानापूर्ति बनकर रह गई है. विशेष मौकों को छोड़ दें तो जनपद में कच्ची के साथ ही नकली शराब के कारोबार पर आबकारी और पुलिस विभाग की कार्यवाही केवल दिखाया बनकर रह गई है. कप्तानगंज थाना क्षेत्र के देसी सरकारी शराब के ठेके पर नकली शराब पकड़ी गई. इस पर कार्यवाही करने का कोरम पूरा कर जिम्मेदारों ने राहत की सांस ली. नकली शराब की खेप भी इस थाना क्षेत्र से बरामद हो चुकी है. कच्ची के लिए कुख्यात थूहा में शराब की भठ्ठी आज भी दिन-रात धधकती है. जिले का शायद ही कोई ऐसा थाना क्षेत्र हो जहां अवैध शराब कारोबार का यह खुला खेल न चल रहा हो. वर्शों से चल रहे अवैध शराब के कारोबार पर नकेल कसने की दिशा में आबकारी और पुलिस तब जागती है जब होली, दिवाली, मध्य निषेध दिवस, गांधी जयंती, चुनावी दौर आदि आता है. पुलिस के हाथ तो अवैध शराब और कारोबारी तक पहुंच जाते हैं, लेकिन आबकारी की छापामारी में शायद ही कभी ऐसा होता है जब कच्ची की धधकती भट्ठियों, अवैध शराब के अलावा कारोबारी गिरफ्त में आते हों. माझा क्षेत्र में सैकड़ो कुंतल लहन, कच्ची शराब की बरामदगी करने वाली आबकारी यह कहकर अपना बचाव कर लेती है कि टीम को देखकर अवैध कारोबारी फरार हो गए. लेकिन सच्चाई इससे इतर है. कभी कभार प्रदेश में कहीं भी कच्ची या नकली जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद जिम्मेदार जाग जाते है और जांच अभियान, अवैध ठिकानों पर छापामारी कर जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है. कुछ लहन ,गैलन, भट्ठी के साथ तोड़फोड़ कर आबकारी और पुलिस वापस अपने काम में लग जाती है और शराब माफिया भी राहत की सांस लेते हैं.
जनपद के मुंडेरवा, हरैया, दुबौलिया, छावनी, परशुरामपुर, विक्रमजोत जैसे इलाके कच्ची के कारोबार के लिए कुख्यात हैं . कोतवाली थाना क्षेत्र के नदी किनारे वाले इलाकों में भी कच्ची का कारोबार अब खूब पनप रहा है. ईंट भट्ठों पर कच्ची के कारोबार में चुनावी सत्र के बाद जबरदस्त रंगत आई है . लालगंज थाना क्षेत्र में कच्ची से एक व्यक्ति की मौत के बाद ईट भट्ठा पर दबिश के दौरान तब दर्जनों भट्ठियां पकड़ी गई जब मौत को लेकर ग्रामीणों ने सड़क जाम कर कार्यवाही की मांग की.
शराब माफियाओं का काकस थाने से लेकर राजनीतिक गलियारों तक पैठ बना चुका है. हालत यह है कि किसी भी अनहोनी के बाद पुलिस असहाय बनकर खड़ी हो जाती है, फिर वही पुरानी लकीर पीट कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है. इसी बलबूते पर कच्ची और नकली शराब माफिया आम जनता के जीवन के साथ खेलते रहते हैं. और पुलिस खानापूर्ति कर अपनी आदत के अनुसार अपने काम में लग जाती है और यह अवैध कारोबार बदस्तूर जारी रहता है .
क्हा जा रहा है कि यदि जिले में लाइसेंसी शराब की दुकान पर नकली शराब मिलने के बाद कोई ठोस कार्यवाही की गई होती और समय- समय पर दुकानों की जांच होती तो शायद ही कहीं हादसा होने के बाद दुकानों की जांच का अभियान चलाना पड़ता. यदि समय रहते इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो अलीगढ़ जैसे भयानक परिणाम कभी भी सामने आ सकते हैं.