Bhartiya Basti Sthapna Diwas पर विशेष संपादकीय: 46 वें वर्ष में भारतीय बस्ती, भविष्य के लक्ष्य कठिन, नामुमकिन नहीं
भारतीय बस्ती स्थापना दिवस 2024
-प्रदीप चंद्र पांडेय, संयुक्त संपादक
Bhartiya Basti Sthapana Diwas 2024: बस्ती और अयोध्या से प्रकाशित भारतीय बस्ती के बस्ती संस्करण ने अपनी प्रकाशन यात्रा के 45 वर्ष पूर्ण कर लिये. संस्थापक श्री दिनेश चन्द्र पाण्डेय के कुशल मार्ग दर्शन में यह यात्रा निरन्तर जारी है. बिना संघर्ष के कोई सृजन नहीं होता. कठिनाईयां आती ही इसीलिये हैं कि हमको और बेहतर करने का साहस दें. सूचना विस्फोट के समय में कागज पर छपने वाले समाचार पत्रों का क्या भविष्य होगा इसके लिये तो प्रतीक्षा करनी होगी किन्तु डिजिटल पत्रकारिता ने समचारों की त्वरा को और गति दी है इसमें संदेह नहीं. भारतीय बस्ती के वेब संस्करण पर पाठकों का जो स्नेह मिल रहा है उससे हम आश्वस्त है कि नयी सूचना तकनीक के साथ भारतीय बस्ती की प्रकाशन यात्रा गतिमान है.
हम जिस समय में सांस ले रहे हैं पारम्परिक मुद्रण तकनीक की पत्रकारिता को न्यू मीडिया की त्वरा से एक प्रकार से कड़ी चुनौती मिल रही है और मिलनी भी चाहिये. गतिशीलता समाज की शक्ति है, वह जड़ नहीं हो सकता. एक समय था जब समाचार पत्र हैण्ड प्रेस पर छपा करते थे, फिर ट्रेडिल, लीथों, लाइनों, आफसेट मशीनों के साथ ही अब डिजिटल प्रिन्टिंग से अखबारों का प्रकाशन हो रहा है. निश्चित रूप से कोरोना काल में समाचार पत्रों के समक्ष जो संकट आया उसने नये द्वार भी खोले. भारतीय बस्ती डॉट काम, भारतीय बस्ती यू ट्यूब के द्वारा पाठकों, दर्शकों, श्रोताओं को त्वरित खबरे उपलब्ध करायी जाती हैं.
लक्ष्य है कि 2025 तक न्यू मीडिया की धारा को और विकसित करने के साथ ही समाचार पत्र की साज सज्जा और समाचारों की प्रस्तुति को निखारा जाय. हमारा प्रयास रहा है कि अद्यतन तकनीकों का प्रयोग कर पाठकों का विश्वास अर्जित किया जाय. एक समय था जब पत्रकारिता में समाज को दिशा देने की अपार क्षमता थी किन्तु वर्तमान सन्दर्भो में समाज ने पत्रकारिता को ही दिशा दृष्टि बदलने पर बाध्य कर दिया है. यह तो होना ही था. आजादी के बाद पत्रकारिता का तेजी से व्यवसायीकरण हुआ. उसने उद्योग का रूप ले लिया और सत्यम शिवम सुन्दरम की पत्रकारिता शुभ लाभ के माया जाल में उलझ गई. सत्याभाषी झूठ की पत्रकारिता के कारण जन सरोकारोेें की पत्रकारिता एक तरह से हाशिये पर चली गई है. इसके बावजूद यदि आप की सूचना दृष्टि किसी दबाव, प्रभाव में नहीं हैं तो पाठकों का विश्वास बना रहेगा.
जनमानस के हाथ में मोबाइल आ जाने से पत्रकारिता का सूत्र भी कुछ हद तक उसके हाथ में आ गया है. न केवल वह समाचार सुनता है अपितु समाचार सम्प्रेषण में अपना योगदान भी देता है. मोबाइल में न्यूज एप तथा वाट्सअप की सुविधा के चलते यह आज जनसंचार के स्थापित माध्यमों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है. एप की सेवा में हर प्रकार के समाचार-खेल और खिलाड़ियों के बारे में जानकारी, क्रिकेट की लाइव जानकारी देश-विदेश की खबरें और मनोरंजन आदि सभी विषयों को समेटा जाता है. पहले जहाँ आम आदमी को समाचार जानने के लिए समाचार पत्र हाथ में लेना पड़ता था या टी. वी. के सामने बैठ कर समय देना पड़ता था आज पल भर में मोबाइल के स्क्रीन पर वह न केवल सारी जानकारी हासिल कर लेता है अपितु वॉट्सअप पर संदेश भेज कर अपनी मित्र-मंडली को भी सूचना दे सकता है.
इस प्रकार मोबाइल जनसूचना का हथियार होने के साथ-साथ जहाँ एक ओर व्यक्तिगत मास मीडिया बन गया है वहीं दूसरी और सामाजिक सन्दर्भ का मीडिया भी बन गया है, जिसका आकार इतना छोटा है कि आम आदमी की जेब में समा गया है. आज के दौर में नागरिक पत्रकारिता को महत्वपूर्ण स्थान मिल जाने के कारण आम आदमी को अपने मोबाइल द्वारा लाइव रिपोर्टिंग की सुविधा भी प्राप्त हो गयी है जिससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि कुछ ऐसी खबरों की रिपोर्टिंग भी ब्रेकिंग न्यूज के रूप में तुरंत हो जाती है क्योंकि वहाँ घटना-स्थल पर आम आदमी मौजूद होता है और रिपोर्टर उतनी जल्दी और आसानी से नहीं पहुँच पाता. इसी सन्दर्भ में इन्टरनेट और कंप्यूटर की भूमिका भी बहुत अहम् है जिसमें की-बोर्ड एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है जिसकी मदद से मिनटों में खबरें दुनिया के कोने कोने में चित्रों समेत पहुँचाई जा सकतीं हैं. सोशल नेट्वर्किंग की मदद से आम आदमी ई-मेल, ब्लॉग तथा फेसबुक व अन्य माध्यमों से न केवल उन समाचारों को जान पाता है अपितु अपनी प्रतिक्रिया भी तुरंत दे देता है.
प्रयास होगा कि भारतीय बस्ती अपने जन सरोकार की सुदीर्घ परम्परा के साथ ही आधुनिक पत्रकारिता की धारा में जनता का सबल प्रतिनिधि बनकर खड़ा रहे. भारतीय बस्ती के 44 वर्षों की यात्रा में अनेक साथियोें ने अपना योगदान दिया है और आज भी दे रहे हैं. भारतीय बस्ती से निकले अनेक पत्रकार आज देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, शिक्षण संस्थाओं में हैं और वे मानसिक रूप से हमसे जुड़े है. हम भरोसा दिलाते हैं कि बदलांव की इस आंधी में भी हम अपनी जन पक्षधरता बनाये रखेंगे जिससे भारतीय बस्ती पर पाठकों, शुभेच्छुओं का भरोसा बना रहे.