Basti News: पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेल करने वालों से रहें सावधान, PDF बनाकर करते हैं उगाही

Basti News: पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेल करने वालों से रहें सावधान, PDF बनाकर करते हैं उगाही
journalism in basti (Image by Alexa from Pixabay )

-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. समाज में पत्रकारों  का चोला ओढ़कर केवल अपराध करने वाले ही नही है अब पत्रकारिता को कलंकित करने वाले कथित पत्रकार नकली पीडीएफ बनाकर व्हाट्सएप ग्रुपों में डालकर समाज में भय कारित कर धन उगाही कर रहे है. ऐसे पत्रकार गांव से लेकर शहर तक हजारों बार अपनी फजीहत कराने के बाद भी सीना ताने हर रोज उन्हीं कार्यालयो में खडे़ मिलते हैं जहां उनको तमाम उपाधियों से नवाजा जा चुका होता है. 

ग्राम सभा के प्रधानों से लेकर विधायकों, सांसदों  की गालियां उनके लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं है. ऐसे धन उगाही के बहुतेरे मामलो में पीड़ितों ने ऐसे कथित पत्रकारों को गाली देते हुए पीटा भी है लेकिन नकली पीडीएफ का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है. 

बीते दिनों ऐसे ही एक पत्रकार के आवास पर कुछ जनप्रतिनिधियों ने जमकर गाली गलौज किया. लेकिन ऐसे नकली पीडीएफ का जाल बुनने वाले  पत्रकारो को धन उगाही से मतलब है. उन्हे पत्रकारिता के कलंकित होने का कोई अफसोस नहीं है. उनके लिए यह एक आदती अपराधी की तरह चलने  वाला खेल है, जो लगातार धन मुहैया कराने का साधन मात्र है. सुबह सबेरे पत्रकारिता का लबादा ओढ़ ऐसे डिजायनर पत्रकार आपके कार्यालयों गली मोहल्लों में घूमते मिल जायेंगें. पत्रकारिता के नाम पर समाज में कचरा परोसकर पत्रकारिता को कलंकित करने वाले ऐसे पत्रकारो के नकली पीडीएफ के खेल को समाज के प्रबु़द्व वर्ग को समझना चाहिए.

समाज में ऐसे पत्रकार केवल आर्थिक अपराध को अजांम दे रहे है.व्हाट्सएप  ग्रुपों में चल रह ऐसे नकली पीडीएफ वाले पत्रकारो से सावधान रहें.

तथाकथित पत्रकारों के कारण वास्तविक पत्रकार आये दिन परेशान होते हैं. चंद लोगों की काली करतूतों का खामियाजा निष्ठावान पत्रकारों को भी भोगना पड़ रहा है. ऐसे में अब यह जरूरी हो गया है कि ऐसे कथित पत्रकारों के विरूद्ध लोग आवाज उठाये. कुछ कथित पत्रकारों का पूरा दिन सरकारी कार्यालयों में ही गणित बिठाते बीत जाता है.

अफसरों की खुशामद या अपनी मांग पूरा न होने पर पीडीएफ का खेल रचा जाता है. बहरहाल अब समय आ गया है जब पत्रकार अपने बीच घुस आये ऐसे कथित भेड़ियों को बेनकाब करें. इनसे डरने की नहीं वरन जबाब देनी की जरूरत है जिससे लोगों का भरोसा पत्रकारिता पर कमजोर न होने पाये. प्रशासनिक अधिकारियों को भी अब सतकर्ता बरतनी होगी. ऐसा इसलिये भी कि ऐसे पत्रकार जिन्हें खबर लिखनी हैं उनके पास अधिकारियों के गणेश परिक्रमा के लिये समय नहीं होता.  पत्रकारिता का सम्मान बचाने के लिये पत्रकारों को ही आगे आना ही होगा. 

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पत्रकार विजय प्रकाश पांडेय भारतीय बस्ती के संवाददाता हैं.