देश में छात्रों के सुसाइड करने के मामले में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, इसका मुख्य कारण परीक्षा है, फेल होने के डर से आत्महत्या। ऐसा क्यों हो रहा है, और इसे कैसे रोका जा सकता है।
छात्रों में बढ़ते सुसाइड के लिए कौन हैं असल जिम्मेदार
बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्रों के साथ-साथ माता-पिता भी बेचैन हो जाते हैं। परीक्षा का नाम सुनते ही अधिकतर छात्रों के माथे पर पसीना आ जाता है। कई छात्रों का दिमाग परीक्षा के समय मानो जम-सा जाता है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है और वे बेचैनी महसूस करने लगते हैं। यह केवल छात्रों के साथ ही नहीं होता, बल्कि माता-पित्ता भी खुद को इससे नहीं बचा पाते। ऐसा परीक्षा की चिंता एंजाइटी के कारण होता है। ऐसा ही एक दर्दनाक वाक्या बस्ती शहर में घटना को अंजाम दिया है। सीबीएसई इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहे छात्र ने आत्महत्या कर ली है। आदर्श पांडेय निवासी बौर व्यास थाना खलीलाबाद जनपद संतकबीरनगर बस्ती शहर के बैरीयहवा मोहल्ले में किराए का मकान लेकर रह रहा था। वह सरस्वती विद्या मंदिर रामबाग में इंटरमीडिएट अंतिम वर्ष का छात्र था। उसकी परीक्षा शहर के उर्मिला एजुकेशनल एकेडमी केंद्र पर हो रही थी। बताया जाता है कि पिछला दो प्रश्न पत्र खराब होने के कारण वह अवसाद में चल रहा था। सोमवार की देर रात उसने अपने कमरे में फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। जानकारी होने पर कोतवाली पुलिस पहुंची और शव को कब्जे में लिया। मकान मालिक और पुलिस ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। मौके पर परिजन पहुंच गए हैं। यह आम बात है। कम चिंता नुकसानदेह नहीं है। लेकिन जब इसका स्तर बढ़ जाता है तब यह निश्चित रूप से आपको और आपके बच्चे को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में, आपको चाहिए कि आप अपने साथ साथ बच्चों को भी इस समस्या से उबारने की कोशिश करें। इसके कारणों की पहचान करके और उसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करके आप अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उनका हौसला बढ़ा सकते हैं।
बोर्ड परीक्षा को लेकर बेचैनी क्यों
यह परीक्षा से पहले या उसके दौरान डर या घबराहट की तोव भावना है। छात्रों की बात करें तो, कम चिंता करने वाले छात्र थोड़ा कम नर्वस महसूस करते हैं। इस कारण वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और आसानी से सवालों के जवाब देते हैं। वहीं अधिक चिंता करने वाले छात्र परीक्षा को लेकर कुछ ज्यादा ही घबराते हैं। कुछ तो असफलता के डर से परीक्षा में शामिल तक नहीं होते, जबकि कुछ ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। इससे उनमें नकारात्मक विचार आ जाते हैं। ऐसे में चिंता को नियंत्रित करने के तरीकों को सीखना और सिखाना उनके प्रदर्शन को बेहतर बना सकता है। इस घटना से पूरा इलाका शोक में डूब गया है। स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं के अनुसार, आदर्श पांडेय पढ़ाई में अच्छा था। लेकिन परीक्षा में कमजोर प्रदर्शन के कारण वह मानसिक दबाव में था।