Ayodhya News: हर परिस्थिति में व्यक्ति को प्रसन्न रहना चाहिए- प्रभंजनानंद

अयोध्या. मां सरजू के पावन तट पर स्थित सिद्ध पीठ सियाराम किला झुनकी घाट मंदिर में पीठाधीश्वर महंत करुणानिधान शरण महाराज के संरक्षण में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा पंचम दिवस की बेला में मंदिर के अधिकारी अंतर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता स्वामी प्रभंजनानंद महाराज ने कहा कि व्यक्ति को कर्म में निरंतरता बनाकर रखना चाहिए निरंतरता होने से ही सफलता प्राप्त होती है. अभ्यास के द्वारा मुढ़ से मुढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है जिसकी साधना में निरंतरता होती है उसी की उपासना भी सफल होती है .कभी भी स्वयं की तुलना दूसरों से न करें अपने भाग्य की तुलना दूसरों से कर व्यक्ति व्यर्थ ही तनाव लेता है . परमात्मा भाग्य का चित्र अवश्य बनाता है मगर उसमें कर्म रूपी रंग तो व्यक्ति स्वयं भरता है.
उन्होंने कहा कि हर परिस्थिति में व्यक्ति को प्रसन्न रहना चाहिए कर्म में निरंतरता बनाकर के रखना चाहिए और यह सूत्र अपने जीवन में उतार ले ईश्वर कृपा से जो प्राप्त है वह पर्याप्त है.प्रसन्नता जीवन का सबसे बड़ा स्वर्ग है व निराशा और उदासीनता सबसे बड़ा नरक.व्यक्ति सुख तो प्राप्त करना चाहता है पर सुख के मार्ग पर चलने का प्रयास नहीं करता वह चलता है दुख के मार्ग पर और कल्पना सुखी की करता है .सिद्धि का अर्थ भौतिक वैभव नहीं बल्कि परम तत्व की प्राप्ति है दुनिया में केवल धन ,शक्ति और प्रतिष्ठा से संपन्न हो जाने पर कोई पूजनीय वंदनीय नहीं होता है बल्कि अपने आचरण तथा अपनी शक्ति को सही दिशा में लगाकर ही दुनिया में पूजनीय वंदनीय तथा अमरत्व को प्राप्त करता है. कथा समाप्ति के अवसर पर भागवत जी की आरती उतारी गई और प्रसाद वितरण किया गया.