उत्तर प्रदेश में औद्योगिक भूखंडों के लिए नई व्यवस्था, योगी सरकार ने नीति को दी मंज़ूरी
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औद्योगिक आस्थानों की स्थापना 1960 के दशक में की गई थी, लेकिन इनके प्रबन्धन की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। वर्ष 1978 से लेकर 2022 तक औद्योगिक आस्थानों के भूखण्ड/शेडों के आवंटन, हस्तांतरण, पुनर्जीवीकरण आदि के सम्बन्ध में अलग-अलग शासनादेशों के माध्यम से कार्य किया गया, जो समय की मांग और प्रबन्धन की समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहे थे।
औद्योगिक आस्थानों में उपलब्ध या रिक्त औद्योगिक भूमि/शेड/भूखण्डों का आवंटन लीज या किराए पर नीलामी/ई-ऑक्शन के आधार पर किया जाएगा। लीज की अवधि और नीलामी का माध्यम या पोर्टल तय करने का अधिकार आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग को होगा।
भूखण्डों की रिजर्व प्राइस:
मध्यांचल: ₹2,500 प्रति वर्गमीटर
पश्चिमांचल: ₹3,000 प्रति वर्गमीटर (20% अधिक) पूर्वांचल और बुन्देलखण्ड: ₹2,000 प्रति वर्गमीटर (20% कम) यह दरें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए होंगी और प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल को 5% की वार्षिक वृद्धि होगी। ई-ऑक्शन में भाग लेने के लिए आवेदक को आरक्षित मूल्य की 10% राशि अर्नेस्ट मनी के रूप में जमा करनी होगी।
हायर परचेज एग्रीमेंट को अनिश्चितकालीन पट्टा माना जाएगा और इस पर वही स्टाम्प शुल्क देय होगा जो विक्रय पत्र पर होता है। शेड सहित सभी निर्माणों की लीज अनिश्चितकालीन होगी और उनका स्वामित्व आवंटी का माना जाएगा। औद्योगिक आस्थान की भूमि का उपयोग बदलने का निर्णय शासन द्वारा, आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग की संस्तुति पर लिया जाएगा। लीज डीड पर स्टाम्प शुल्क का निर्धारण स्टाम्प एवं पंजीयन अधिनियम तथा समय-समय पर निर्गत शासनादेशों के अनुसार होगा।
अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण के अंतर्गत कुल भूखण्ड/शेडों में से 10% भूखण्ड/शेड एससी/एसटी श्रेणी के व्यक्तियों या फर्मों को दिए जाएंगे। यदि आवंटी शर्तों का पालन नहीं करता, तो आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। आवासीय या वाणिज्यिक भूखण्ड/शेड की बेस रेट और अन्य दरें औद्योगिक भूखण्ड/शेड की तुलना में दोगुनी होंगी। इनमें भी हर वर्ष 5% वृद्धि होगी।
आवंटन की तिथि से एक वर्ष बाद हर साल लीज रेंट जमा करना अनिवार्य होगा। समय से रेंट जमा न होने पर 18% पेनल ब्याज लिया जाएगा।
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वागार्थ सांकृत्यायन
संपादक, भारतीय बस्ती
वागार्थ सांकृत्यायन एक प्रतिबद्ध और जमीनी सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भारतीय बस्ती के संपादक के रूप में वे खबरों को सिर्फ़ घटनाओं की सूचना तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके सामाजिक और मानवीय पक्ष को भी उजागर करते हैं।
उन्होंने भारतीय बस्ती को एक मिशन के रूप में विकसित किया है—जिसका उद्देश्य है गांव, कस्बे और छोटे शहरों की अनसुनी आवाज़ों को मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंचाना। उत्तर प्रदेश की राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी विशेष पकड़ है, जो खबरों को गहराई और विश्वसनीयता प्रदान करती है