यूपी में इस नई रेल लाइन बन जाने से लखनऊ से इस जिले की यात्रा होगी सस्ती

कई वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात अब बहराइच से जरवल रोड तक की बहुप्रतीक्षित रेल परियोजना धरातल पर उतरने को तैयार है. सर्वेक्षण और डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, और यह रिपोर्ट रेल मंत्रालय को भेज दी गई है. अब भूमि अधिग्रहण और ट्रैक निर्माण का कार्य तेज़ी से आरंभ होने वाला है. यह रेलमार्ग न केवल स्थानीय लोगों की आवाजाही को आसान बनाएगा, बल्कि पर्यटन और व्यापार के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार भी खोलेगा.
रेल परियोजना को मिला नया जीवन
इस परियोजना के लिए दिसंबर 2023 में पटना की स्काईलार्क डिज़ाइनर एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा स्थान सर्वेक्षण की शुरुआत की गई थी. कुछ ही महीनों में सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर मंत्रालय को भेज दी गई थी. इसके बाद से ही जिले के लोगों को मंत्रालय की अगली कार्रवाई का इंतजार था.
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गौरतलब है कि इस रेल मार्ग का सर्वे सबसे पहले वर्ष 2012 में हुआ था, जिसमें इसकी कुल लंबाई 69.66 किलोमीटर और अनुमानित लागत 529.96 करोड़ रुपये बताई गई थी। लेकिन हालिया सर्वे के अनुसार अब इसकी लंबाई 65 किलोमीटर तय की गई है. बढ़ती महंगाई को देखते हुए लागत भी पहले से अधिक हो गई है.
लखनऊ तक सफर होगा और भी सस्ता और आरामदायक
वर्तमान में बहराइच से लखनऊ तक रोडवेज बस का किराया लगभग 190 से 275 रुपये के बीच होता है. रेल मार्ग बन जाने के बाद यह यात्रा मात्र 100 रुपये से भी कम में संभव हो सकेगी. इसके साथ ही रेल यात्रा अधिक आरामदायक और सुविधाजनक मानी जाती है, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा.
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पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, वन्य क्षेत्र तक होगी आसान पहुंच
कतर्निया घाट वन्य जीव विहार तक पहुंचने के लिए फिलहाल बस या निजी वाहन ही एकमात्र साधन है, जो पर्यटकों के लिए समय और थकावट दोनों का कारण बनता है. रेल कनेक्टिविटी मिलने के बाद देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा. विशेष रूप से श्रीलंका, जापान, बर्मा, थाईलैंड और चीन जैसे देशों से आने वाले बौद्ध अनुयायी अब बहराइच के प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक स्थलों तक आराम से पहुंच सकेंगे.
लंबे समय से हो रहा था प्रयास
इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 1990 के दशक में तत्कालीन रेल मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज से सिफारिश की थी. पूर्व सांसद अक्षयवर लाल गोंड और कमांडो कमल किशोर ने भी संसद में इस विषय को जोर-शोर से उठाया था. इसके अलावा कैसरगंज निवासी और केडीसी के सहायक प्रोफेसर डॉ. सत्यभूषण सिंह ने भी इस योजना के लिए प्रयास किए.
जरवल रोड से बहराइच तक की यह रेल परियोजना अब अंतिम चरण में है. डीपीआर को मंजूरी मिल चुकी है, और जल्द ही यह सपना हकीकत में बदलेगा. इससे न केवल क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार और सुविधा भी प्राप्त होगी.