यूपी के इस जिलें में चला बुलडोजर तो मचा हाहाकार, तीन कालोनियां ध्वस्त,एक्शन में GDA
Uttar Pradesh
बीते गुरुवार को गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने बिना मानचित्र स्वीकृति के गैरकानूनी रूप से बसाई गई कालोनियों पर फिर से कार्रवाई की। इस बार प्राधिकरण ने जंगल कौड़िया क्षेत्र में 3 गैरकानूनी कालोनियों को ध्वस्त किया। इन स्थानों पर केवल 1.5 - 2 फीट ऊंची चहारदीवारी को निर्मित किया गया था, जो कि प्लॉट के सीमांकन के लिए बनाई गई थी। इस कार्रवाई के दौरान, अधिकारियों ने देखा कि कुछ कालोनाइजरों ने अपने अस्थायी कार्यालय भी स्थापित कर रखे थे, जिन्हें तुरंत हटाने का आदेश दिया गया। प्राधिकरण की इस सख्त कार्रवाई से अवैध निर्माण करने वालों में हड़कंप मच गया है। जीडीए के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे भविष्य में भी इस तरह की अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते रहेंगे। इस कार्रवाई से यह संदेश भी गया है कि गोरखपुर में अवैध निर्माण के खिलाफ जीडीए की नीतियां और अधिक कठोर होंगी, ताकि शहर में योजनाबद्ध विकास सुनिश्चित किया जा सके।
जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने जानकारी दी कि "प्राधिकरण को यह सूचना मिली थी कि जंगल कौड़िया क्षेत्र में गैरकानूनी कालोनी का निर्माण किया जा रहा है।" इस सूचना के बाद जीडीए ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्णय लिया है। इस प्रकार के अभियान से यह स्पष्ट होता है कि प्राधिकरण अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त है और शहर की विकास योजनाओं को सुरक्षित रखने के प्रति गंभीर है।
जांच के दौरान मौके पर सभी संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए गए थे। निर्धारित समय सीमा के भीतर गैरकानूनी निर्माण को नहीं हटाने पर, गुरुवार को जीडीए की टीम ने कार्रवाई किया। सबसे पहले जंगल कौड़ियां चौराहे पर सुरजीत सिंह द्वारा बनाई जा रही 5 एकड़ की प्लॉटिंग को ध्वस्त किया गया। इसके पश्चात संतोष पांडेय के द्वारा विकसित की जा रही 6 एकड़ की कालोनी पर और एक अन्य स्थान पर 8 एकड़ क्षेत्रफल में चल रहे गैरकानूनी निर्माण पर भी कठोर कदम उठाए गए। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि प्राधिकरण अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए है और शहर में विकास योजनाओं को संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। जीडीए की इस मुहिम से यह संदेश भी जाता है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और सभी को नियमों का पालन करना होगा।
एक विशेष अभियान के तहत, गैरकानूनी कालोनियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए गए। इस समय, कालोनाइजरों के कार्यालय, चहारदीवारी और सड़कों को ध्वस्त किया गया। जीडीए की टीम ने स्थानीय निवासियों से अपील की कि वे नियमों के खिलाफ विकसित हो रही कालोनियों में किसी भी प्रकार का निवेश न करें, क्योंकि यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने स्पष्ट किया कि "गैरकानूनी कालोनियों के खिलाफ यह ध्वस्तीकरण अभियान आगे भी होता रहेगा।" उन्होंने कहा कि प्राधिकरण का उद्देश्य शहर में अव्यवस्थित विकास को रोकना है और नागरिकों को सुरक्षित और नियोजित आवास उपलब्ध कराना है। इस प्रकार की कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि प्राधिकरण कानून के प्रति गंभीर है और किसी भी अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा।
एक विशेष अभियान के दौरान, प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों ने अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई की। इस अभियान में प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता नरेन्द्र कुमार, सहायक अभियंता विनोद कुमार शर्मा, और अन्य प्रमुख अधिकारी जैसे राज बहादुर सिंह, ज्योति राय, अवर अभियंता सुनील शर्मा, रमापति वर्मा, मनीष कुमार त्रिपाठी, संजीव तिवारी और प्रभात निषाद शामिल थे। इस दौरान, जिला प्रशासन से नामित मजिस्ट्रेट और पुलिस बल भी उपस्थित थे, जिन्होंने कार्रवाई को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिकारियों ने मिलकर अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए ठोस कदम उठाए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि प्राधिकरण किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
बशारतपुर क्षेत्र में स्थित खरैया पोखरे की भूमि पर किए गए गैरकानूनी निर्माण को नगर निगम की टीम ने बुधवार को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई उस समय की गई जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। नगर निगम की टीम ने बुलडोजर और पोकलेन मशीनों का उपयोग करते हुए अवैध निर्माण को पूरी तरह से गिरा दिया। इस दौरान, टीम ने आवासीय निर्माण की चारदीवारी को भी गिराने का काम किया। नगर निगम ने संबंधित लोगों को 1 महीने का समय दिया है ताकि वे पोखरे की भूमि से हट जाएं। यह कार्रवाई अवैध कब्जों के खिलाफ नगर निगम की सख्त नीति को दर्शाती है और स्थानीय लोगों के बीच इस मुद्दे को लेकर असंतोष भी पैदा कर रही है। नगर निगम का कहना है कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए यह कदम आवश्यक था।