यूपी के इस ओवरब्रिज को लेकर अपडेट, 5 लाख से ज्यादे लोगों की बढ़ी परेशानी
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यूपी में ओवर ब्रिज निर्माण कार्य को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें कुछ कारण वजह से ओवरब्रिज का निर्माण कार्य ठप हो चुका है इस ओवर ब्रिज निर्माण कार्य रुकने पर परेशानी बढ़ चुकी है. जिसको लेकर आपसी विचार विमर्श चल रहा है.
रेल ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य रुका
उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में कृष्णा नगर और केसरी खेड़ा से कनेक्ट होने वाला दो लेंन रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य रूक चुका है. अब ओवर ब्रिज राजधानी लखनऊ और कानपुर शहर में रेल सेक्शन की क्रॉसिंग संख्या चार पर बनने के लिए प्रस्तावित किया गया है जिसमें आए दिन हजारों वाहन रेल फाटक पर रुके रहते हैं. जिसमें यहां के लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है इस प्रोजेक्ट की निर्माण कार्य की शुरुआत 1 फरवरी 2024 को हुआ था जिसमें प्रदेश राज्य योजना के अंतर्गत 74.5 करोड रुपए की धनराशि से मंजूरी मिल चुकी थी
लेकिन उसके बाद भी लागत बढ़ने की वजह से अब करीब 84 करोड रुपए की धनराशि पार कर चुका है. रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण का प्रारंभ कुछ ही दूरी तक जारी ही रहा फिर उसके बाद दीवारों तक काम पहुंच चुका था अब उसमें यह एक परिसर और भूमि अधिग्रहण के कानूनी पेचीदागियों में उलझ कर रुक गया था. इसी बीच प्रदेश राज्य से तो निगम के अंतर्गत निर्माण के तय संरेखण मैं एक पहले से निर्मित भवन निर्माण आ रहा था जो ग्रीन बेल्ट के माध्यम से दर्ज है अब इस भवन को ध्वस्त करने का प्रस्तावित हो चुका है.
स्थानीय लोगों में आक्रोश, जल्द किया जाए समाधान
मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि जिस भूमि पर या भवन बना हुआ है वहां से काश्तकारों ने अधिग्रहण को लेकर अभी तक सहमति नहीं दी है जिसमें अब यह पूरा मामला अधिग्रहण पुनर्वास तथा पुनरव्यवस्थापन संबंधित उचित प्रतिकार और प्रदर्शित का अधिकार अधिनियम 2013 की प्रक्रिया में उलझ कर रह रहा है अब बिना भूमि मालिकों की स्वीकृति तथा मुआवजा प्रक्रिया के पूरा हुए बिना कार्य को आगे बढ़ना भी संभव नहीं है. इस योजना के अंतर्गत देरी किए गए निर्माण कार्य का सीधा असर क्षेत्र के करीब 5 लाख की आबादी पर असर डाल रहा है
जिसमें पंडितखेड़ा, महाराजपुरम, गंगाखेड समेत जैसे इलाकों के लोगों के लिए ट्रैफिक जाम का समस्या आए दिन मुसीबत का झंझट बना रहता है स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या का जल्द निवारण करवाया जाए अब एक साथ दो-तीन ट्रेनें आती जाती हैं तो रेल कर्मी तक परेशानी में आ ही जाते हैं तथा आमजन जीवन जोखिम में डालकर फाटक पार करने के लिए कई बार मजबूर हो चुके हैं. यहां के रह रहे लोगों ने अब इसे अधूरा सपना का नाम दे दिया है जो हर दिन उनकी जिंदगी में रुकावट का कारण बन चुका है अब लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया है कि प्रशासन और राज्य सरकार समय रहते सभी पक्षों से संवाद कर इसका समाधान क्यों नहीं निकल रहे हैं. और यह पुल ऐसे ही अधूरा क्यों छोड़ दिया गया है. जिससे लोगों की परेशानी हर दिन बन पड़ा हुआ है.